भारत सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए एक बड़ी राहत की योजना बनाई है, जिसके तहत छोटी कारों और दोपहिया वाहनों पर GST दर को मौजूदा 28% से घटाकर 18% करने की तैयारी चल रही है। यह निर्णय दिवाली से पहले लागू होने की संभावना है और इससे करोड़ों भारतीयों को वाहन खरीदने में काफी राहत मिल सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह GST सुधार भारत की कर व्यवस्था में 2017 के बाद सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
वित्त मंत्रालय ने GST परिषद के समक्ष एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें मौजूदा चार-स्तरीय GST संरचना (5%, 12%, 18%, 28%) को सरल बनाकर केवल दो मुख्य स्लैब 5% और 18% रखने का सुझाव दिया गया है। इस बदलाव के तहत आवश्यक वस्तुएं 5% GST स्लैब में बनी रहेंगी, जबकि ऑटोमोबाइल सहित अन्य सामान 18% स्लैब में आ जाएंगे।
फिलहाल भारत में सभी यात्री वाहनों पर 28% GST लगता है, जिसके अतिरिक्त इंजन के आकार, लंबाई और बॉडी टाइप के आधार पर 1% से 22% तक का अतिरिक्त उपकर (सेस) भी लगाया जाता है। इससे कुछ कारों पर कुल कर दर 50% तक पहुंच जाती है। वहीं इलेक्ट्रिक कारों पर केवल 5% GST लगता है और कोई सेस नहीं है।
छोटी कारों की श्रेणी में 1.2 लीटर इंजन तक की और 4 मीटर से कम लंबाई वाली कारें आती हैं। इसमें मारुति अल्टो के10, वैगनआर, स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, टाटा टियागो, टिगोर, पंच, हुंडई i10, i20 और एक्सटर जैसे लोकप्रिय मॉडल शामिल हैं। अगर GST दर 18% हो जाती है, तो इन सभी कारों की कीमतों में काफी कमी आएगी।
दोपहिया वाहनों के मामले में भी वर्तमान में 28% GST लगता है। 350cc तक के इंजन वाली बाइक्स पर कोई अतिरिक्त सेस नहीं है, लेकिन 350cc से बड़े इंजन वाली बाइक्स पर 3% अतिरिक्त सेस भी लगता है। प्रस्तावित सुधार के बाद हीरो स्प्लेंडर, होंडा शाइन, बजाज पल्सर और TVS राइडर जैसी कम्यूटर बाइक्स काफी सस्ती हो जाएंगी।
इस संभावित बदलाव की खबर से शेयर बाजार में ऑटो कंपनियों के शेयरों में तेज उछाल आया है। सोमवार 18 अगस्त को निफ्टी ऑटो इंडेक्स में 4% की वृद्धि देखी गई, जबकि हीरो मोटोकॉर्प और मारुति सुजुकी के शेयरों में 7% से अधिक का उछाल रहा। निवेशकों का मानना है कि यह सुधार ऑटो सेक्टर की मांग को बढ़ावा देगा।
मिड-साइज कारों और SUV की श्रेणी में भी बदलाव की उम्मीद है। वर्तमान में 1.5 लीटर तक के इंजन वाली कारों पर 28% GST और 15% सेस के कारण लगभग 43% तक कर लगता है। रिपोर्टों के अनुसार, इन्हें नए 40% स्लैब में लाया जा सकता है, जिससे मारुति ब्रेज्जा, टाटा नेक्सन, किया सेल्टोस, सोनेट और हुंडई क्रेटा जैसी लोकप्रिय SUV की कीमतों में भी 3% तक की राहत मिल सकती है।
लग्जरी कारों और बड़ी SUV के लिए अलग व्यवस्था की जा सकती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, 28% स्लैब हटाने के बाद इन वाहनों को 40% के विशेष कर स्लैब में रखा जाएगा। एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि “छोटी कारें कोई लग्जरी आइटम या हानिकारक वस्तु नहीं हैं। केवल 5-7 वस्तुओं को ही 40% स्लैब में रखा जाएगा”।
यह सुधार विशेष रूप से भारत के मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिकांश भारतीय एंट्री-लेवल कारें और कम्यूटर बाइक्स ही खरीदते हैं। कोविड-19 महामारी के बाद से ऑटो सेक्टर में मांग की कमी देखी जा रही थी और महंगाई के कारण खरीदारी क्षमता प्रभावित हुई थी। इस कर कटौती से उद्योग में नई जान आने की उम्मीद है।
350cc से अधिक इंजन वाली प्रीमियम मोटरसाइकिलों जैसे रॉयल एनफील्ड 650cc, KTM और हार्ले डेविडसन पर टैक्स अधिक ही रहने की संभावना है। वर्तमान में इन पर 28% GST और 3% सेस मिलाकर 31% कर लगता है, जो आगे भी बना रह सकता है या बढ़ भी सकता है।
ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम देश के ऑटो उद्योग के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। जेफरीज के इक्विटी एनालिस्ट महेश नंदुरकर के अनुसार, “यह कर कटौती सामर्थ्य बढ़ाएगी, उपभोग को बढ़ावा देगी और आवश्यक तथा आकांक्षापूर्ण वस्तुओं को व्यापक जनता तक पहुंचाने में मदद करेगी”। उनका कहना है कि इस संभावित कटौती से मारुति सुजुकी को सबसे अधिक फायदा होगा।
भारत में दोपहिया वाहन खरीदारों की संख्या कारों से कहीं अधिक है और उनमें से अधिकांश लोग एंट्री-लेवल बाइक्स खरीदते हैं। ऐसे में 350cc तक की बाइक्स पर कर कटौती से लाखों परिवारों को सीधा फायदा होगा। यह खासकर उन युवाओं के लिए राहत की बात है जो अपना पहला वाहन खरीदना चाहते हैं।
इस प्रस्तावित सुधार को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रधानमंत्री मोदी की छवि को मजबूत बनाने में मदद करेगा। हालांकि इस कर कटौती से सरकारी राजस्व पर दबाव पड़ेगा, लेकिन व्यापारिक जगत और राजनीतिक पंडित इसकी प्रशंसा कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह कदम वाशिंगटन के साथ चल रहे व्यापारिक तनाव के दौरान मोदी की स्थिति मजबूत करेगा।
अंतिम निर्णय GST परिषद की बैठक में लिया जाएगा, जहां केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि इस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। अगर यह प्रस्ताव पास होता है, तो अक्टूबर 2025 से नई दरें लागू हो सकती हैं, जो दिवाली के त्योहारी सीजन से ठीक पहले होगा। यह समय ऑटो कंपनियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि त्योहारी सीजन में वाहनों की खरीदारी बढ़ जाती है।
सरकार का यह कदम ‘न्यू जनरेशन GST रिफॉर्म्स’ के तहत आता है, जिसका उद्देश्य कर व्यवस्था को और भी सरल बनाना है। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से GST सुधार की घोषणा की थी और इसे ‘दिवाली गिफ्ट’ कहा था। इस घोषणा के तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने GST स्लैब कम करने के संकेत दिए थे।
यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है क्योंकि हाल ही में ब्याज दरों में कटौती हुई है, महंगाई नियंत्रण में है और इस बार का मानसून भी अच्छा रहा है। ऐसे में GST स्लैब में कमी अर्थव्यवस्था को और गति प्रदान कर सकती है।