भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए ₹62,000 करोड़ की विशाल रक्षा डील को मंजूरी दे दी है। इस मेगा डील के तहत भारत 97 तेजस Mk1A फाइटर जेट्स की खरीदारी करेगा, जो पूर्णतः भारत में निर्मित होंगे। यह निर्णय ‘मेड इन इंडिया’ अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होगा।
रक्षा मंत्रालय की इस मंजूरी के साथ भारत अपनी वायु सेना की शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि करने की दिशा में आगे बढ़ा है। तेजस Mk1A विमान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित किए जाएंगे, जिससे देश की रक्षा उत्पादन क्षमता का विस्तार होगा। यह डील न केवल भारत की सामरिक जरूरतों को पूरा करेगी बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाएगी।
स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में यह कदम भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। तेजस Mk1A फाइटर जेट्स में आधुनिकतम तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमानों की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है। इन विमानों में उन्नत रडार सिस्टम, आधुनिक हथियार प्रणाली और बेहतर इंजन तकनीक शामिल है।
वायुसेना की बढ़ती आवश्यकताओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास पुराने मिग-21 विमान हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्त किया जा रहा है। तेजस Mk1A विमान इन पुराने विमानों का स्थान लेंगे और भारत की वायु रक्षा क्षमता को मजबूत बनाएंगे। इन विमानों की सुपुर्दगी 2024-25 से शुरू होकर आने वाले वर्षों में पूरी की जाएगी।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लिए यह डील एक बड़ी उपलब्धि है। कंपनी ने तेजस विमान के विकास में वर्षों की मेहनत की है और अब यह परियोजना व्यावसायिक सफलता की ओर अग्रसर है। HAL को इस डील से न केवल आर्थिक लाभ होगा बल्कि भारत के रक्षा निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
तकनीकी विशेषताओं की बात करें तो तेजस Mk1A में कई उन्नत सुविधाएं हैं। इसमें आधुनिक रडार सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, और एयर टू एयर रिफ्यूलिंग क्षमता शामिल है। विमान की अधिकतम गति मैक 1.6 है और यह 24,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी लड़ाकू त्रिज्या 350 किलोमीटर है और यह विभिन्न प्रकार के हथियार ले जा सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह डील भारत की सामरिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देगी। विदेशी रक्षा कंपनियों पर निर्भरता कम करने और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। तेजस विमान का सफल विकास भारत की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है और यह दिखाता है कि देश जटिल रक्षा प्रणालियों का निर्माण कर सकता है।
इस परियोजना से रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। तेजस विमानों के उत्पादन में हजारों इंजीनियर, तकनीशियन और श्रमिक शामिल होंगे। रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न कंपनियों को भी इससे लाभ होगा क्योंकि वे इन विमानों के लिए विभिन्न घटकों की आपूर्ति करेंगी।
परीक्षण और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के दौरान तेजस विमान ने अपनी क्षमताओं का बेहतर प्रदर्शन किया है। वायुसेना के पायलटों ने इसकी उड़ान विशेषताओं और हैंडलिंग गुणों की प्रशंसा की है। विमान की मेंटेनेंस आवश्यकताएं कम हैं और यह उच्च परिचालन दर बनाए रख सकता है।
निर्यात की संभावनाओं के लिहाज से तेजस Mk1A एक आशाजनक उत्पाद है। कई देश हल्के लड़ाकू विमानों की तलाश में हैं और तेजस इस आवश्यकता को पूरा कर सकता है। मलेशिया, अर्जेंटीना और मिस्र जैसे देशों ने तेजस में रुचि दिखाई है, जो भारत के रक्षा निर्यात के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत यह डील एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का मुख्य घटक है। तेजस कार्यक्रम की सफलता अन्य रक्षा परियोजनाओं के लिए भी प्रेरणा का काम करेगी।
वित्तीय दृष्टि से देखें तो ₹62,000 करोड़ का यह निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था में वापस आएगा। घरेलू उत्पादन से न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी बल्कि स्थानीय उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। यह राशि भारत की रक्षा बजट के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है और इसके सदुपयोग से देश की रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार होगा।
भविष्य की योजनाओं के अंतर्गत भारत तेजस के और भी उन्नत संस्करण विकसित करने पर काम कर रहा है। तेजस Mk2 और नेवल तेजस जैसी परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इन सभी परियोजनाओं की सफलता भारत को विश्व के प्रमुख रक्षा उत्पादक देशों की सूची में शामिल कर देगी।
अंततः यह निर्णय भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। स्वदेशी तकनीक, आधुनिक क्षमताएं और आर्थिक लाभ – ये सभी तत्व मिलकर इस डील को भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बनाते हैं। तेजस Mk1A फाइटर जेट्स न केवल भारत की वायु शक्ति को बढ़ाएंगे बल्कि देश के तकनीकी गौरव को भी नई ऊंचाई प्रदान करेंगे।