भारतीय संसद के लोकसभा ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन गेमिंग बिल पास किया है, जिसके तहत अवैध जुआ और बेटिंग के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। विपक्षी दलों के जोरदार विरोध के बावजूद यह बिल पास हो गया है। नए कानून के अनुसार, ऑनलाइन जुआ और बेटिंग में शामिल व्यक्तियों को 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना और तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है। यह कदम डिजिटल गेमिंग इंडस्ट्री में पारदर्शिता लाने और युवाओं को जुआ की लत से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
संसदीय कार्यवाही के दौरान विपक्षी सदस्यों ने इस बिल का तीखा विरोध करते हुए कहा कि यह कानून बहुत सख्त है और इससे गेमिंग इंडस्ट्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस महत्वपूर्ण विषय पर पर्याप्त चर्चा नहीं की है। उन्होंने मांग की कि बिल को संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए था। हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बहुमत के कारण बिल सफलतापूर्वक पास हो गया।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने सदन को बताया कि यह कानून विशेष रूप से अवैध ऑनलाइन जुआ और बेटिंग को रोकने के लिए बनाया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वैध स्किल-बेस्ड गेम्स जैसे शतरंज, रम्मी और फंटेसी स्पोर्ट्स इस कानून के दायरे में नहीं आएंगे। मंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद केवल उन प्लेटफॉर्म्स को बंद करना है जो चांस-बेस्ड गेमिंग और अवैध बेटिंग को बढ़ावा देते हैं। इस कानून से देश के करोड़ों युवाओं को जुआ की लत से बचाने में मदद मिलेगी।
नए कानून के तहत ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को सरकारी लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। जो कंपनियां बिना लाइसेंस के गेमिंग सेवाएं चलाएंगी, उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, कंपनी के मालिकों और डायरेक्टरों को जेल की सजा भी हो सकती है। सरकार ने एक नया रेग्यूलेटरी फ्रेमवर्क भी तैयार किया है, जिसके तहत सभी गेमिंग कंपनियों को अपनी गतिविधियों की नियमित रिपोर्ट सरकार को देनी होगी। यह कदम उपभोक्ता सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी को मजबूत बनाने के लिए उठाया गया है।
गेमिंग इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने इस कानून पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ कंपनियों ने इसे स्वागत योग्य बताया है और कहा है कि यह इंडस्ट्री में पारदर्शिता लाएगा। वहीं, छोटी गेमिंग कंपनियों ने चिंता जताई है कि लाइसेंसिंग की जटिल प्रक्रिया उनके लिए समस्या बन सकती है। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के अध्यक्ष ने कहा कि वे सरकार के साथ मिलकर इस कानून को सही तरीके से लागू करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वैध गेमिंग कंपनियां नए नियमों का पूरा पालन करेंगी।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। कोविड-19 महामारी के दौरान जब लोग घरों में बंद थे, तब इस इंडस्ट्री में और भी तेजी से विकास हुआ। वर्तमान में भारत में लगभग 40 करोड़ लोग विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, 2025 तक भारतीय ऑनलाइन गेमिंग मार्केट 5 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। हालांकि, इस तेजी से बढ़ती इंडस्ट्री में कई समस्याएं भी आईं, जिसमें अवैध जुआ और बेटिंग की समस्या मुख्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कई मामलों में स्किल-बेस्ड गेम्स और चांस-बेस्ड गेम्स के बीच अंतर को स्पष्ट किया है। कोर्ट के अनुसार, जिन गेम्स में खिलाड़ी की कुशलता और रणनीति मुख्य भूमिका निभाती है, वे वैध हैं। लेकिन जो गेम्स पूरी तरह से भाग्य पर निर्भर हैं और जिनमें पैसे की बाजी लगाई जाती है, वे जुआ की श्रेणी में आते हैं। नया कानून इसी कानूनी ढांचे को मजबूत बनाने का काम करेगा। सरकार ने साफ किया है कि वैध स्किल गेम्स को कोई नुकसान नहीं होगा।
राज्य सरकारों की भूमिका भी इस नए कानून में महत्वपूर्ण है। चूंकि जुआ और बेटिंग राज्य सूची का विषय है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय जरूरी होगा। कई राज्यों जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ने पहले से ही ऑनलाइन गेमिंग पर कड़े नियम बनाए हैं। अब केंद्रीय कानून के आने से पूरे देश में एक समान नीति लागू होगी। यह कदम इंडस्ट्री में स्थिरता लाने और निवेशकों का भरोसा बढ़ाने में मदद करेगा।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी इस नए कानून से मजबूती मिलेगी। साइबर क्राइम सेल्स अब अवैध गेमिंग साइट्स के खिलाफ तेज कार्रवाई कर सकेंगी। सरकार ने एक विशेष टास्क फोर्स भी बनाने की योजना बनाई है, जो अवैध ऑनलाइन जुआ और बेटिंग की गतिविधियों पर नजर रखेगी। इस टास्क फोर्स में आईटी एक्सपर्ट्स, कानूनी विशेषज्ञ और साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ शामिल होंगे। नियमित निगरानी और सख्त कार्रवाई से अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सकेगी।
उपभोक्ता संगठनों ने इस कानून का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह कदम खासतौर पर युवाओं और किशोरों को जुआ की लत से बचाने में मददगार साबित होगा। कई परिवारों में ऑनलाइन जुआ की वजह से आर्थिक समस्याएं आई हैं। नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो सालों में ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड की शिकायतों में 300% की वृद्धि हुई है। नया कानून इन समस्याओं का समाधान करने में सहायक होगा।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो कई देशों ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए कड़े नियम बनाए हैं। चीन ने नाबालिगों के लिए गेमिंग के घंटे सीमित कर दिए हैं। यूरोपीय संघ के देशों में भी ऑनलाइन जुआ और बेटिंग पर सख्त नियंत्रण है। भारत का नया कानून इन अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और यह देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान देगा। साथ ही, यह विदेशी निवेशकों के लिए भी भारतीय गेमिंग मार्केट को अधिक आकर्षक और भरोसेमंद बनाएगा।
इस ऐतिहासिक ऑनलाइन गेमिंग बिल के पास होने से भारत में डिजिटल गेमिंग का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। 1 करोड़ रुपए जुर्माना और 3 साल जेल के कड़े प्रावधानों के साथ यह कानून अवैध जुआ और बेटिंग पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करेगा। वैध गेमिंग कंपनियों को इससे फायदा होगा और उपभोक्ताओं की सुरक्षा भी बढ़ेगी। आने वाले समय में इस कानून का सही क्रियान्वयन भारत की गेमिंग इंडस्ट्री की दिशा निर्धारित करेगा।