
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को ओलंपिक सॉलिडैरिटी प्रोग्राम के तहत ₹15 करोड़ का वार्षिक फंडिंग पुनः शुरू कर दिया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय IOA में पिछले साल से चल रहे शासन संबंधी विवादों और नेतृत्व नियुक्ति के गंभीर मुद्दों के समाधान के बाद लिया गया है। IOC की इस पहल से भारतीय खिलाड़ियों के विकास कार्यक्रमों को नई दिशा मिलेगी और देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।
भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा अपनाए गए सुधारात्मक उपायों की सराहना करते हुए IOC ने यह फैसला किया है। पिछले वर्ष IOA में आंतरिक कलह, नेतृत्व चुनाव की समस्याओं और प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने फंडिंग रोक दी थी। अब इस फंडिंग की बहाली से भारतीय खेल जगत में नई उम्मीदें जगी हैं और युवा एथलीटों के लिए बेहतर प्रशिक्षण सुविधाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
ओलंपिक सॉलिडैरिटी प्रोग्राम IOC की एक महत्वपूर्ण योजना है जो विकासशील देशों में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिवर्ष ₹15 करोड़ की राशि भारत को मिलती थी, जिसका उपयोग कोचिंग विकास, एथलीट प्रशिक्षण, खेल उपकरण खरीदने और प्रतिभा खोज कार्यक्रमों के लिए किया जाता था। यह फंडिंग विशेष रूप से ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के खिलाड़ियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
IOA में पिछले साल की समस्याएं तब शुरू हुईं जब संघ के नेतृत्व चुनाव में विवाद छिड़ गया था। कई पदाधिकारियों के बीच आंतरिक राजनीति और न्यायालयी हस्तक्षेप के कारण IOA की साख अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित हुई थी। IOC ने इन परिस्थितियों को देखते हुए अपनी नीति के अनुसार फंडिंग स्थगित कर दी थी, क्योंकि वे केवल उन राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों को सहायता देते हैं जो स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से काम करती हैं।
समस्या के समाधान के लिए IOA ने कई ठोस कदम उठाए हैं। संघ ने अपने संविधान में आवश्यक संशोधन किए हैं और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाया है। चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और सभी हितधारकों की सहमति से नेतृत्व का चयन करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इसके अतिरिक्त, IOA ने वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट प्रक्रिया को मजबूत किया है और सभी खर्चों की निगरानी के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है।
नई फंडिंग का सबसे बड़ा लाभ युवा एथलीटों को मिलेगा जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रहे हैं। इस राशि से कोचिंग कैंप आयोजित किए जाएंगे, प्रशिक्षकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा और खेल विज्ञान की नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल करके एथलीटों का विकास किया जाएगा। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा खोज कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे।
फंडिंग की बहाली का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब भारत 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक की तैयारी के लिए व्यापक योजना बना सकेगा। पेरिस 2024 ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन के बाद खेल मंत्रालय और IOA दोनों ही अगले ओलंपिक में बेहतर परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं। इस फंडिंग से उन खेलों पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा जहां भारत के पास मेडल जीतने की संभावना अधिक है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह फंडिंग न केवल एलीट खिलाड़ियों के लिए बल्कि जमीनी स्तर पर खेल विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में अभी भी कई प्रतिभाशाली युवा हैं जिन्हें सही मार्गदर्शन और संसाधनों की आवश्यकता है। ओलंपिक सॉलिडैरिटी प्रोग्राम के तहत मिलने वाली राशि से राज्य स्तर पर भी कोचिंग केंद्र स्थापित किए जा सकेंगे और स्थानीय प्रशिक्षकों को अपग्रेड किया जा सकेगा।
IOC की इस पहल से भारतीय खेल जगत में एक सकारात्मक संदेश गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत की खेल क्षमता पर भरोसा रखता है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय एथलीटों ने ओलंपिक, एशियाई खेल और कॉमनवेल्थ गेम्स में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस सफलता को देखते हुए IOC का यह निर्णय भारत के खेल भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
फंडिंग के उपयोग की निगरानी के लिए IOA ने पारदर्शी तंत्र स्थापित किया है। हर तिमाही में IOC को खर्च की रिपोर्ट भेजी जाएगी और सभी कार्यक्रमों का ऑडिट किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि फंडिंग का सदुपयोग हो और वास्तव में खिलाड़ियों को लाभ मिले। IOA ने वादा किया है कि वे भविष्य में किसी भी प्रकार की विवादास्पद स्थिति से बचेंगे और खेल विकास को प्राथमिकता देंगे।
खेल मंत्रालय ने भी इस घटनाक्रम का स्वागत किया है और IOA के साथ मिलकर एक समन्वित रणनीति बनाने की बात कही है। सरकारी योजनाओं के साथ IOC फंडिंग का तालमेल बिठाकर भारत में खेल इकोसिस्टम को और मजबूत बनाया जा सकेगा। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में खेल अवसंरचना के विकास में यह फंडिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
निष्कर्ष रूप में, IOC द्वारा भारत को ₹15 करोड़ की वार्षिक फंडिंग की बहाली एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल IOA के सुधारात्मक प्रयासों की सफलता का प्रमाण है बल्कि भारतीय खेल जगत के उज्ज्वल भविष्य का संकेत भी है। अब सभी हितधारकों की जिम्मेदारी है कि वे इस अवसर का पूरा लाभ उठाकर भारत को एक खेल महाशक्ति बनाने की दिशा में काम करें।