GST कटौती का बंपर असर: गाड़ियों की बिक्री में आया अभूतपूर्व उछाल, ट्रैक्टर सेगमेंट बना ‘हीरो’

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में की गई जीएसटी दरों में कटौती (GST rationalization) ने भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में नई जान फूंक दी है। विशेष रूप से छोटी पेट्रोल, हाइब्रिड,…

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केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में की गई जीएसटी दरों में कटौती (GST rationalization) ने भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में नई जान फूंक दी है। विशेष रूप से छोटी पेट्रोल, हाइब्रिड, एलपीजी और सीएनजी कारों पर जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% करने के फैसले ने त्योहारी सीजन में बिक्री को पंख लगा दिए हैं। सितंबर 2025 के बिक्री आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि बाजार में मांग का एक नया ज्वार आया है, जिसमें ट्रैक्टर सेगमेंट ने लगभग 50% की सालाना उछाल के साथ सबको चौंका दिया है, जबकि पैसेंजर, कमर्शियल वाहन और दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है।

मुख्य तथ्य / त्वरित जानकारी

  • जीएसटी 2.0 का प्रभाव: 3 सितंबर, 2025 को हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में छोटे वाहनों पर टैक्स 28% से घटाकर 18% किया गया, जो 22 सितंबर से लागू हुआ। इस फैसले को उद्योग जगत में “जीएसटी 2.0” का नाम दिया गया है।
  • ट्रैक्टर बिक्री में रिकॉर्ड तेजी: सितंबर में ट्रैक्टरों की थोक बिक्री में साल-दर-साल (YoY) 45-50% की विस्फोटक वृद्धि देखी गई। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 50.3% की वृद्धि के साथ 64,946 यूनिट्स बेचीं। (स्रोत: ट्रैक्टर जंक्शन, द इकोनॉमिक टाइम्स)
  • पैसेंजर वाहनों की बहार: टाटा मोटर्स ने 47% की सालाना वृद्धि के साथ अपनी अब तक की सर्वश्रेष्ठ मासिक बिक्री (59,667 यूनिट्स) दर्ज की। नवरात्रि के पहले नौ दिनों में यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री में 34.8% की बढ़ोतरी हुई। (स्रोत: FADA, द इकोनॉमिक टाइम्स)
  • दोपहिया बाजार में रौनक: जीएसटी कटौती और त्योहारी मांग के चलते दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री में भी 36% का उछाल आया। बजाज ऑटो की घरेलू बिक्री 5% बढ़ी। (स्रोत: FADA, द इकोनॉमिक टाइम्स)
  • ग्रामीण मांग का संकेतक: ट्रैक्टरों की असाधारण बिक्री को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूत मांग और सकारात्मक धारणा का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जा रहा है, जिसे अच्छे मानसून और बढ़ी हुई कृषि गतिविधियों से भी बल मिला है।

क्या है जीएसटी 2.0 और इसका संदर्भ?

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग पिछले कुछ समय से मांग में नरमी का सामना कर रहा था। त्योहारी सीजन से ठीक पहले, 3 सितंबर, 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस बैठक में टैक्स स्लैब को सरल बनाते हुए 12% और 28% के स्लैब को खत्म कर दिया गया।

इस पुनर्गठन के तहत, छोटे वाहनों को बड़ी राहत दी गई। 1200cc तक के पेट्रोल, एलपीजी, सीएनजी और हाइब्रिड वाहन (जिनकी लंबाई 4 मीटर से कम हो) और 1500cc तक के डीजल वाहन (जिनकी लंबाई 4 मीटर से कम हो) पर जीएसटी दर को 28% से घटाकर सीधा 18% कर दिया गया। यह नई दर 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी हुई। हालांकि, बड़े और लक्जरी वाहनों को 40% के नए स्लैब में रखा गया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य छोटे और किफायती वाहनों को आम आदमी की पहुंच में लाना और उद्योग को एक आवश्यक प्रोत्साहन देना था।

बिक्री के आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण

जीएसटी कटौती का असर सितंबर महीने के बिक्री आंकड़ों में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, खासकर 22 सितंबर के बाद।

ट्रैक्टर: ग्रामीण भारत का अप्रत्याशित ‘हीरो’

इस जीएसटी सुधार का सबसे आश्चर्यजनक और सकारात्मक प्रभाव ट्रैक्टर सेगमेंट पर पड़ा। सितंबर 2025 में ट्रैक्टरों की थोक (फैक्ट्री से डीलर को भेजी गई यूनिट्स) बिक्री में लगभग 45-50% की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई।

  • महिंद्रा एंड महिंद्रा: देश की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी ने 50.33% की सालाना वृद्धि के साथ सितंबर 2025 में 64,946 ट्रैक्टर बेचे, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह आंकड़ा 43,201 था।
  • एस्कॉर्ट्स कुबोटा: कंपनी ने भी 48.54% की शानदार वृद्धि दर्ज करते हुए 17,803 यूनिट्स की बिक्री की।
  • समग्र उद्योग: पूरे ट्रैक्टर उद्योग ने सितंबर 2025 में 1,46,180 यूनिट्स की थोक बिक्री की, जो सितंबर 2024 की 1,00,542 यूनिट्स की तुलना में 45.39% अधिक है।

हालांकि, खुदरा (डीलर से ग्राहक को बिक्री) बिक्री के आंकड़े 2.67% की मामूली वृद्धि दर्शाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि थोक और खुदरा बिक्री में यह अंतर डीलरों द्वारा त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर स्टॉक जमा करने के कारण है।

पैसेंजर और कमर्शियल वाहन

पैसेंजर वाहन (PV) सेगमेंट ने भी जीएसटी कटौती का भरपूर फायदा उठाया। नवरात्रि के दौरान (22 सितंबर से 30 सितंबर) खुदरा बिक्री में 34.8% की जोरदार तेजी आई।

टाटा मोटर्स के पैसेंजर व्हीकल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर, शैलेश चंद्रा ने कहा,

“जीएसटी 2.0 के लागू होने और त्योहारी हवाओं के जोर पकड़ने के बाद, सितंबर 2025 में यात्री वाहन उद्योग में मांग में तेज उछाल देखा गया। यह उछाल आने वाले महीनों में निरंतर विकास के लिए एक आशाजनक माहौल तैयार करता है।”

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी अपने कमर्शियल वाहनों की घरेलू बिक्री में 18% की वृद्धि दर्ज की। कंपनी के ऑटोमोटिव डिवीजन के सीईओ, नलिनीकांत गोलागुंटा के अनुसार, “जीएसटी 2.0 से मिले प्रोत्साहन और पिछले हफ्तों की रुकी हुई मांग के कारण, हमने नवरात्रि के पहले नौ दिनों के दौरान डीलर द्वारा बताई गई ग्राहक खुदरा बिक्री में मजबूत वृद्धि देखी है।”

दोपहिया वाहन

दोपहिया वाहन सेगमेंट, जो काफी हद तक बाजार की धारणा पर निर्भर करता है, ने भी सकारात्मक रुझान दिखाया। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) के अनुसार, नवरात्रि के दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री में 36% की वृद्धि हुई। बजाज ऑटो ने सितंबर में अपनी घरेलू दोपहिया बिक्री में 5% की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की।

सितंबर 2025: विभिन्न सेगमेंट में बिक्री वृद्धि (YoY)

वाहन सेगमेंटबिक्री में वृद्धि (%)स्रोत
ट्रैक्टर (थोक)~45-50%ट्रैक्टर जंक्शन, इकोनॉमिक टाइम्स
यात्री वाहन (नवरात्रि खुदरा)34.8%FADA
दोपहिया वाहन (नवरात्रि खुदरा)36%FADA
वाणिज्यिक वाहन (महिंद्रा)18%महिंद्रा एंड महिंद्रा

यह तालिका सितंबर 2025 के उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है।

विशेषज्ञ विश्लेषण और बाजार की धारणा

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि जीएसटी कटौती का समय बिल्कुल सही था। यह फैसला ठीक त्योहारी सीजन की शुरुआत में आया, जब उपभोक्ता वैसे भी खरीदारी की योजना बना रहे होते हैं। टैक्स कम होने से वाहनों की कीमतें घट गईं, जिससे रुकी हुई मांग बाहर आ गई।

जेएम फाइनेंशियल के एक विश्लेषक ने कहा, “सकारात्मक खरीफ दृष्टिकोण, बुवाई के रकबे में वृद्धि और सामान्य से ऊपर मानसून ग्रामीण मांग को और बढ़ावा दे रहे हैं।” (स्रोत: द इकोनॉमिक टाइम्स)

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ सतर्क भी हैं। उनका मानना है कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह मांग दिवाली के बाद भी बनी रहती है। यूबीएस ने अपनी एक रिपोर्ट में आगाह किया, “जीएसटी दरों में पर्याप्त कटौती और कंपनियों द्वारा दी जाने वाली अतिरिक्त छूट को देखते हुए, त्योहारी सीजन के दौरान मांग में आई तेजी को शेयरों में मूल्य वृद्धि के उच्च अनुमानों को पूरा करने के लिए त्योहारी सीजन के बाद भी बनाए रखने की आवश्यकता है।”

आगे क्या?

ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए अगली कुछ तिमाहियां महत्वपूर्ण होंगी। जीएसटी कटौती से मिली शुरुआती सफलता ने एक मजबूत आधार तैयार किया है। अब उद्योग की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह गति बनी रहती है। ग्रामीण मांग, विशेष रूप से ट्रैक्टर और दोपहिया वाहनों के लिए, एक महत्वपूर्ण कारक बनी रहेगी। यदि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहती है और उपभोक्ता धारणा सकारात्मक रहती है, तो भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में मजबूत वृद्धि दर्ज कर सकता है।

निष्कर्ष

निस्संदेह, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का कदम मोदी सरकार के लिए एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ है, जिसने ऑटोमोबाइल उद्योग को त्योहारी सीजन में एक शक्तिशाली ‘बूस्टर डोज’ दिया है। ट्रैक्टरों की रिकॉर्ड-तोड़ बिक्री से लेकर यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों में नए उत्साह तक, बाजार ने इस सुधार पर जोरदार सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। यह कदम न केवल उपभोक्ताओं के लिए वाहनों को अधिक किफायती बनाता है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी मजबूत करता है, जिससे आने वाले समय में आर्थिक विकास को और गति मिलने की उम्मीद है।


संपादक की टिप्पणी: इस लेख में दिए गए बिक्री के आंकड़े विभिन्न ऑटोमोबाइल कंपनियों और उद्योग निकायों द्वारा जारी किए गए प्रारंभिक आंकड़ों पर आधारित हैं। अंतिम आंकड़ों में मामूली बदलाव हो सकता है। थोक और खुदरा बिक्री के बीच का अंतर डीलरों के इन्वेंट्री स्तर में बदलाव के कारण होता है।

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