ओस्लो में नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने आज वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की। उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर एक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए उनके अथक संघर्ष के लिए दिया गया है। यह घोषणा दुनिया भर में लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।
यह पुरस्कार मचाडो के दो दशकों से अधिक के उस अहिंसक प्रतिरोध को मान्यता देता है, जो उन्होंने पहले ह्यूगो शावेज और अब निकोलस मादुरो के सत्तावादी शासन के खिलाफ किया है। नोबेल समिति ने उन्हें “बढ़ते अंधेरे के बीच लोकतंत्र की लौ जलाने वाली” एक साहसी और प्रतिबद्ध शांतिदूत के रूप में वर्णित किया। इस पुरस्कार ने मचाडो को, जिन्हें वेनेज़ुएला की “आयरन लेडी” के रूप में जाना जाता है, नेल्सन मंडेला और आंग सान सू की जैसे वैश्विक प्रतीकों की श्रेणी में ला खड़ा किया है, जिन्होंने निरंकुश शासन को चुनौती दी थी।
मुख्य तथ्य (Quick Take)
- पुरस्कार का कारण: वेनेज़ुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए दो दशकों से अधिक का अहिंसक संघर्ष।
- नोबेल समिति का बयान: मचाडो को “लैटिन अमेरिका में हाल के दिनों में नागरिक साहस के सबसे असाधारण उदाहरणों में से एक” बताया गया।
- पृष्ठभूमि: मचाडो, जो वर्तमान में सुरक्षा कारणों से छिपी हुई हैं, को मादुरो शासन द्वारा 2024 के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई पश्चिमी देशों ने इस फैसले का स्वागत किया है, इसे लोकतंत्र की जीत बताया है।
- पुरस्कार राशि: मचाडो को एक स्वर्ण पदक, एक डिप्लोमा और 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की पुरस्कार राशि मिलेगी।
- ट्रम्प की दावेदारी: इस पुरस्कार के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी एक मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन समिति ने मचाडो के जमीनी संघर्ष को प्राथमिकता दी।
पृष्ठभूमि: तानाशाही के साये में एक राष्ट्र
वेनेज़ुएला, जो कभी लैटिन अमेरिका के सबसे धनी और लोकतांत्रिक देशों में से एक था, पिछले दो दशकों में एक गंभीर आर्थिक, मानवीय और राजनीतिक संकट में घिर गया है। निकोलस मादुरो के शासन में देश ने मानवाधिकारों का व्यवस्थित दमन, चुनाव में धांधली और राजनीतिक विरोधियों को कैद करते देखा है।
नवीनतम आंकड़े और सांख्यिकी:
- प्रवासी संकट (दिसंबर 2024 तक): संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, देश के आर्थिक पतन और राजनीतिक दमन के कारण लगभग 7.9 मिलियन वेनेज़ुएला वासी देश छोड़कर भाग गए हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े विस्थापन संकटों में से एक है।
- आर्थिक संकुचन (2013-2020): अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, 2013 से 2020 के बीच वेनेज़ुएला की जीडीपी में 80% से अधिक की गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण कुप्रबंधन और तेल उत्पादन में गिरावट थी।8 2024 में 5.3% की वृद्धि के बावजूद, अर्थव्यवस्था 2013 के आकार के आधे से भी कम है।
- 2024 चुनाव परिणाम विवाद: जुलाई 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद, मादुरो ने अपनी जीत का दावा किया। हालांकि, मतदान केंद्रों के 80% से अधिक प्राप्त रसीदों के आधार पर विपक्षी दल ने दावा किया कि उनके उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज उरुटिया ने 67% वोट हासिल किए थे।
इस निराशाजनक माहौल में, मारिया कोरिना मचाडो आशा की एक किरण बनकर उभरीं। उन्होंने एक खंडित विपक्ष को एकजुट करने और नागरिकों को शांतिपूर्ण प्रतिरोध के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
1967 में जन्मीं मारिया कोरिना मचाडो एक इंडस्ट्रियल इंजीनियर हैं, जिन्होंने राजनीति में प्रवेश करने से पहले सामाजिक कार्यों में अपना जीवन समर्पित किया।
एकजुटता की शक्ति: Súmate का गठन
2002 में, उन्होंने नागरिक अधिकार संगठन Súmate की सह-स्थापना की, जिसका उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की वकालत करना था। यह उनके राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने कहा, “यह गोलियों के बजाय मतपत्रों का चुनाव था,” जो उनके अहिंसक दृष्टिकोण को दर्शाता है।। इस मंच के माध्यम से, उन्होंने चुनावी पारदर्शिता और न्यायिक स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी, जिसके कारण उन्हें तत्कालीन शावेज सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ा।
संसद से सड़क तक का सफर
2010 में, मचाडो रिकॉर्ड मतों से नेशनल असेंबली के लिए चुनी गईं। उन्होंने निडर होकर सरकार की नीतियों की आलोचना की। 2012 में, उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज को सीधे चुनौती देते हुए कहा, “जब्त करना चोरी करना है।” 2014 में, मानवाधिकारों के हनन पर बोलने के कारण उन्हें असंवैधानिक रूप से उनकी संसदीय सीट से निष्कासित कर दिया गया।
इसके बाद भी, उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी वेंटे वेनेज़ुएला (Vente Venezuela) की स्थापना की और लोकतंत्र समर्थक ताकतों को एकजुट करने का काम जारी रखा।
2024 का चुनाव और मचाडो की निर्णायक भूमिका
2024 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले, मादुरो शासन ने मचाडो पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और एक वैकल्पिक उम्मीदवार, एडमंडो गोंजालेज उरुटिया का समर्थन किया। उन्होंने हजारों स्वयंसेवकों को चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान का नेतृत्व किया।
इन स्वयंसेवकों ने अपनी जान जोखिम में डालकर मतदान केंद्रों की निगरानी की और वोटों की गिनती का दस्तावेजीकरण किया। विपक्ष के अनुसार, उनके पास अपनी जीत साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत थे, लेकिन शासन ने परिणामों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
आधिकारिक प्रतिक्रियाएं और विशेषज्ञ विश्लेषण
नोबेल समिति का उद्धरण:
नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष, जोर्गेन वाट्ने फ्राइडनेस ने घोषणा के दौरान कहा, “मारिया कोरिना मचाडो ने दिखाया है कि लोकतंत्र के उपकरण शांति के भी उपकरण हैं। वह एक अलग भविष्य की आशा का प्रतीक हैं, जहां नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होती है, और उनकी आवाज सुनी जाती है।”
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस जीत का जश्न मनाते हुए कहा कि यह पुरस्कार न केवल मचाडो के साहस का सम्मान करता है, “बल्कि हर उस आवाज का सम्मान करता है जिसे चुप कराने से इनकार किया जाता है… स्वतंत्रता की भावना को कैद नहीं किया जा सकता।”
विशेषज्ञ विश्लेषण:
काराकस स्थित राजनीतिक विश्लेषक फिल गुनसन (क्राइसिस ग्रुप) का मानना है कि यह पुरस्कार वेनेज़ुएला के लोकतंत्र आंदोलन के लिए एक “लाइफलाइन” है। यह मादुरो शासन पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव को बढ़ाता है और विपक्ष को एक नया नैतिक बल प्रदान करता है। उनका कहना है, “यह पुरस्कार दुनिया को याद दिलाता है कि वेनेज़ुएला का संकट अभी खत्म नहीं हुआ है और वहां के लोग अभी भी आजादी के लिए लड़ रहे हैं।”
लोगों पर प्रभाव और आगे क्या?
यह पुरस्कार वेनेज़ुएला के आम नागरिकों के लिए एक शक्तिशाली संदेश है, जो वर्षों से गरीबी, हिंसा और दमन का सामना कर रहे हैं। कराकस की एक गृहिणी, एना हर्नांडेज ने रॉयटर्स को बताया, “यह पुरस्कार सिर्फ मारिया का नहीं है, यह हम सभी का है। यह हमें उम्मीद देता है कि एक दिन हम एक स्वतंत्र देश में जागेंगे।”
आगे देखने वाली बातें:
- मादुरो शासन की प्रतिक्रिया: यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वेनेज़ुएला की सरकार इस पर कैसे प्रतिक्रिया करती है। क्या वे मचाडो पर दबाव बढ़ाएंगे या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ बातचीत के लिए मजबूर होंगे?
- विपक्ष की एकता: क्या यह पुरस्कार विपक्ष को और अधिक एकजुट करेगा, जो हाल के महीनों में भविष्य की रणनीति को लेकर विभाजित रहा है?
- अंतर्राष्ट्रीय दबाव: यह पुरस्कार अमेरिका और यूरोपीय संघ को वेनेज़ुएला पर नए सिरे से राजनयिक दबाव बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सकें।
निष्कर्ष
मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार मिलना सिर्फ एक व्यक्ति का सम्मान नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर में उन सभी लोगों की जीत है जो शांतिपूर्ण तरीकों से लोकतंत्र और न्याय के लिए लड़ रहे हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि सबसे अंधकारमय समय में भी, साहस और दृढ़ संकल्प की एक अकेली आवाज लाखों लोगों को प्रेरित कर सकती है और इतिहास की दिशा बदल सकती है। वेनेज़ुएला का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है, लेकिन आज, लोकतंत्र की लौ पहले से कहीं ज्यादा तेज जल रही है।