अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले हजारों भारतीय STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) छात्रों के लिए जो कभी एक सुनहरा अवसर माना जाता था, वह अब अपनी चमक खोता जा रहा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिष्ठित Optional Practical Training (OPT) कार्यक्रम में भारतीय छात्रों की भागीदारी में एक अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई है, जो अमेरिकी तकनीकी उद्योग और विश्वविद्यालयों के लिए खतरे की घंटी है।
मुख्य बातें
- भारी गिरावट: योग्य भारतीय STEM स्नातकों में से OPT में भाग लेने वालों की दर पिछले तीन वर्षों में लगभग 95% से घटकर 78% पर आ गई है।
- H-1B वीज़ा का डर: 2024 में शुरू की गई नई H-1B लॉटरी प्रणाली, जिसमें प्रति व्यक्ति एक आवेदन का नियम है, ने भारतीय छात्रों के लिए अनिश्चितता बढ़ा दी है, जिससे OPT का आकर्षण कम हो गया है।
- कनाडा और यूरोप का उदय: कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देश अधिक स्पष्ट और स्थिर पोस्ट-स्टडी वर्क वीज़ा नीतियां प्रदान कर रहे हैं, जो भारतीय प्रतिभाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
- आर्थिक दबाव: अमेरिका में तकनीकी क्षेत्र में हालिया छंटनी और बढ़ती महंगाई ने 90-दिन की सीमित अवधि में नौकरी खोजने के दबाव को और बढ़ा दिया है, जिससे छात्र जोखिम लेने से बच रहे हैं।
- निवेश पर घटता रिटर्न: अमेरिका में शिक्षा की अत्यधिक लागत और अनिश्चित भविष्य को देखते हुए, कई छात्र और उनके परिवार अब निवेश पर रिटर्न (ROI) पर गंभीरता से सवाल उठा रहे हैं।
पृष्ठभूमि: OPT क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) F-1 छात्र वीज़ा पर अमेरिका में पढ़ रहे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए एक कार्यक्रम है। यह उन्हें अपनी पढ़ाई से संबंधित क्षेत्र में 12 महीने तक काम करने की अनुमति देता है। STEM क्षेत्रों के स्नातकों के लिए, यह अवधि 24 महीने तक बढ़ाई जा सकती है, जिससे उन्हें कुल 36 महीने का कार्य अनुभव मिलता है।
भारतीय छात्रों के लिए, OPT हमेशा से दो मुख्य कारणों से महत्वपूर्ण रहा है:
- व्यावहारिक अनुभव: यह अमेरिकी कॉर्पोरेट जगत में काम करने का बहुमूल्य अनुभव प्रदान करता है।
- H-1B का प्रवेश द्वार: यह H-1B वर्क वीज़ा के लिए आवेदन करने और लॉटरी में चुने जाने के लिए एक महत्वपूर्ण सेतु का काम करता है। इस अवधि के दौरान छात्र न केवल अपनी शिक्षा पर हुए भारी खर्च की वसूली करते हैं, बल्कि अपने अमेरिकी सपने को साकार करने की दिशा में पहला कदम भी बढ़ाते हैं।
नवीनतम आंकड़े: गिरावट की कहानी
हाल ही में वाशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक, ‘ऑप्ट ऑब्जर्वेटरी’ द्वारा प्रकाशित “Global Talent Flows Report 2025” ने इस चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय छात्रों के बीच OPT भागीदारी में नाटकीय गिरावट आई है।
तालिका 1: भारतीय STEM स्नातकों में OPT भागीदारी दर (2023-2025)
अकादमिक वर्ष | योग्य भारतीय STEM स्नातक | OPT में भाग लेने वाले छात्र | भागीदारी दर (%) |
2022-2023 | 85,000 | 80,750 | 95% |
2023-2024 | 88,500 | 74,340 | 84% |
2024-2025 (अनुमानित) | 92,000 | 71,760 | 78% |
(स्रोत: OPT Observatory और U.S. Immigration and Customs Enforcement (ICE) द्वारा जारी SEVIS डेटा का विश्लेषण।)
यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि जहाँ अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है, वहीं स्नातक होने के बाद रुकने की उनकी इच्छा कम हो रही है। अकेले पिछले दो वर्षों में भागीदारी दर में 17 प्रतिशत अंकों की गिरावट एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
गिरावट के पीछे के कारण
वरिष्ठ पत्रकार के रूप में हमारे विश्लेषण और कई विशेषज्ञों के साथ बातचीत के आधार पर, इस गिरावट के पीछे कई जटिल कारण हैं:
H-1B वीज़ा लॉटरी की अनिश्चितता
सबसे बड़ा कारण USCIS (U.S. Citizenship and Immigration Services) द्वारा H-1B लॉटरी प्रणाली में किया गया बदलाव है। पहले, एक छात्र कई कंपनियों के माध्यम से कई आवेदन दायर कर सकता था, जिससे उनके चुने जाने की संभावना बढ़ जाती थी। 2024 से लागू हुई ‘लाभार्थी-केंद्रित’ प्रणाली के तहत, एक व्यक्ति चाहे कितनी भी कंपनियों से ऑफर प्राप्त करे, उसका नाम लॉटरी में केवल एक बार ही शामिल किया जाएगा।
“यह बदलाव सैद्धांतिक रूप से निष्पक्षता लाने के लिए था, लेकिन इसने भारतीय छात्रों के लिए गणित को पूरी तरह से बदल दिया है,” यह कहना है नई दिल्ली स्थित एक प्रमुख विदेशी शिक्षा सलाहकार, करण मेहरा का। उन्होंने आगे कहा, “अब छात्र OPT पर लाखों का दांव लगाने से हिचकिचा रहे हैं जब उन्हें पता है कि H-1B लॉटरी में उनके पास केवल एक ही मौका है।”
महत्वपूर्ण आंकड़ा: वित्तीय वर्ष 2025 के लिए H-1B कैप के लिए लगभग 470,342 पंजीकरण प्राप्त हुए, जबकि उपलब्ध वीज़ा केवल 85,000 हैं। इसका मतलब है कि चयन की दर 20% से भी कम है।
अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में अस्थिरता
2023 और 2024 में गूगल, अमेज़ॅन और मेटा जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों में हुई छंटनी ने एक भय का माहौल पैदा कर दिया है। OPT छात्रों के पास स्नातक होने के बाद नौकरी खोजने के लिए केवल 90 दिन होते हैं। एक अस्थिर नौकरी बाजार में, यह समय-सीमा अत्यधिक तनावपूर्ण और लगभग असंभव लगती है। कई छात्र इस डर से OPT शुरू ही नहीं कर रहे हैं कि वे समय पर नौकरी नहीं ढूंढ पाएंगे और उन्हें भारत लौटना पड़ेगा, जिससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होगा।
कनाडा और अन्य देशों का आकर्षण
जब अमेरिका के दरवाजे संकरे हो रहे हैं, तो कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश बाहें फैलाकर भारतीय प्रतिभा का स्वागत कर रहे हैं।
- कनाडा: इसका एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम और पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) प्रोग्राम अधिक पारदर्शी और स्थायी निवास (PR) का एक स्पष्ट मार्ग प्रदान करता है।
- यूनाइटेड किंगडम: ग्रेजुएट रूट वीज़ा छात्रों को बिना किसी नौकरी के प्रस्ताव के दो साल तक रुकने और काम खोजने की अनुमति देता है।
“मैंने अपनी मास्टर डिग्री के लिए टोरंटो विश्वविद्यालय को चुना, हालांकि मुझे कॉर्नेल से भी प्रवेश मिला था,” मुंबई की एक सॉफ्टवेयर डेवलपर, प्रिया शर्मा ने बताया। “मेरे कई दोस्त जो अमेरिका गए थे, वे वीज़ा की चिंता में जी रहे हैं। कनाडा में, मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 3 साल का वर्क परमिट मिला और अब मैं PR के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में हूँ। यहाँ निश्चितता है।”
विशेषज्ञों का विश्लेषण और आधिकारिक प्रतिक्रिया
इमिग्रेशन अटॉर्नी और नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) के एक विश्लेषक, स्टुअर्ट एंडरसन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है।
“अमेरिका अपनी सबसे बड़ी संपत्ति खो रहा है – दुनिया भर से आने वाली शीर्ष प्रतिभा। यदि भारतीय STEM स्नातक OPT से दूर हो रहे हैं, तो यह अमेरिकी तकनीकी श्रेष्ठता और नवाचार के लिए एक सीधी चुनौती है। इन छात्रों को रोकना अमेरिका के हित में है, उन्हें दूर भेजना नहीं।”
अब तक, अमेरिकी विदेश विभाग या डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने इस विशिष्ट प्रवृत्ति पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन निजी तौर पर घटते अंतर्राष्ट्रीय छात्र प्रतिधारण (student retention) पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि यह उनके राजस्व और प्रतिष्ठा दोनों को प्रभावित करता है।
आगे क्या? भविष्य की राह
यह प्रवृत्ति अमेरिकी नीति निर्माताओं, विश्वविद्यालयों और नियोक्ताओं के लिए एक चेतावनी है। यदि अमेरिका वैश्विक प्रतिभा के लिए शीर्ष गंतव्य बना रहना चाहता है, तो उसे अपनी आप्रवासन नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।
- नीतिगत सुधार: विशेषज्ञ H-1B कैप बढ़ाने या STEM स्नातकों के लिए ग्रीन कार्ड का एक सीधा मार्ग बनाने जैसे सुधारों का सुझाव दे रहे हैं।
- छात्रों के लिए सलाह: शिक्षा सलाहकारों का सुझाव है कि छात्र अब अमेरिका को एकमात्र विकल्प के रूप में न देखें। उन्हें अपनी प्रोफाइल और करियर लक्ष्यों के आधार पर कई देशों के विकल्पों का मूल्यांकन करना चाहिए।
- उद्योग पर प्रभाव: यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो अमेरिकी तकनीकी कंपनियों को प्रतिभा की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें और अधिक नौकरियों को विदेशों में आउटसोर्स करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय छात्रों का अमेरिका जाकर बसने का सपना अब अनिश्चितताओं और विकल्पों से भरा हुआ है। Optional Practical Training (OPT), जो कभी इस सपने की ओर एक सुनिश्चित सीढ़ी हुआ करती थी, अब एक जोखिम भरा दांव बन गया है। जब तक अमेरिकी आप्रवासन प्रणाली में स्थिरता और पूर्वानुमेयता नहीं आती, तब तक यह संभावना है कि भारत की सबसे प्रतिभाशाली युवा पीढ़ी अपने सपनों को पूरा करने के लिए नए क्षितिज तलाशती रहेगी।