अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के महत्वपूर्ण सदस्य बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का निधन

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख सदस्य और अयोध्या के पूर्व राजपरिवार के वंशज बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का गत रविवार को 71 वर्ष की आयु में निधन…

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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख सदस्य और अयोध्या के पूर्व राजपरिवार के वंशज बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का गत रविवार को 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके देहांत से अयोध्या का राम मंदिर प्रकल्प और स्थानीय धार्मिक समुदाय गहरे शोक में डूब गया है। भारतीय धार्मिक परंपरा से गहराई से जुड़े इस व्यक्तित्व ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र केवल एक ट्रस्ट सदस्य नहीं थे, बल्कि अयोध्या के इतिहास और परंपरा के जीवंत प्रतीक माने जाते थे। अयोध्या के राजपरिवार के वंशज के रूप में जन्मे मिश्र ने अपना पूरा जीवन राम जन्मभूमि की पवित्रता की रक्षा और मंदिर निर्माण के संघर्ष में समर्पित किया था। वे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक प्रतिष्ठित सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं देते थे और मंदिर निर्माण के विभिन्न चरणों में उनका अनुभव और मार्गदर्शन अत्यंत मूल्यवान था।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण की देखरेख के लिए किया गया था। इस ट्रस्ट के 15 सदस्यों में बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और अयोध्या के स्थानीय इतिहास की गहरी जानकारी ट्रस्ट के कार्यों में अमूल्य सहायता प्रदान करती थी। अयोध्या के राजपरिवार का सदस्य होने के कारण वे स्थानीय जनता और धार्मिक संगठनों के साथ गहरे संपर्क बनाए रख सके थे।

लंबे समय से चले आ रहे राम जन्मभूमि आंदोलन में मिश्र परिवार का योगदान निर्विवाद है। बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के पूर्वज सदियों से अयोध्या के राम जन्मस्थान की पवित्रता की रक्षा में समर्पित रहे थे। ब्रिटिश शासनकाल से लेकर स्वतंत्रता के बाद के युग में राम जन्मभूमि संबंधी विभिन्न कानूनी लड़ाइयों में उनके परिवार ने सक्रिय भूमिका निभाई है। इस पारंपरिक जिम्मेदारी को उन्होंने निष्ठा के साथ आगे बढ़ाया था।

राम मंदिर निर्माण परियोजना में उनका योगदान केवल औपचारिक जिम्मेदारी निभाने तक सीमित नहीं था। स्थापत्य योजना से लेकर धार्मिक कर्मकांडों के सूक्ष्म विषयों तक हर क्षेत्र में उनकी सलाह ली जाती थी। अयोध्या की पारंपरिक रीति-नीतियों और आधुनिक निर्माण तकनीक के बीच समन्वय स्थापित करने में उनकी भूमिका अग्रणी थी। वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि नया मंदिर अयोध्या की प्राचीन गौरव और मर्यादा का उचित प्रतिबिंब हो।

स्थानीय जनसमुदाय के लिए बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र केवल एक ट्रस्ट सदस्य नहीं बल्कि एक श्रद्धेय व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे। अयोध्या में रहने वाले विभिन्न समुदायों के लोग उनकी सलाह और मार्गदर्शन चाहते थे। धार्मिक त्योहारों के आयोजन से लेकर सामाजिक कल्याणकारी कार्यक्रमों तक विभिन्न क्षेत्रों में वे सक्रिय भागीदारी करते थे। उनकी उपस्थिति किसी भी अवसर में विशेष गरिमा ला देती थी।

राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह से लेकर निर्माण के हर महत्वपूर्ण चरण में उनकी उपस्थिति उल्लेखनीय थी। 2020 के 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस ऐतिहासिक क्षण में अयोध्या के राजपरिवार के प्रतिनिधि के रूप में उनकी उपस्थिति विशेष महत्व रखती थी। उन्होंने यह सुनिश्चित करने में मदद की थी कि समारोह शास्त्रीय रीति-रिवाजों के अनुसार उचित रूप से संपन्न हो।

2024 के 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हजारों भक्तों की उपस्थिति में आयोजित इस पावन समारोह में अयोध्या की पारंपरिक कर्मकांड परंपराओं का उचित पालन सुनिश्चित करने में उनका योगदान अपरिहार्य था। मंदिर की दैनिक पूजा-अर्चना की नियमावली तैयार करने और पुजारियों की नियुक्ति के मामले में भी उनकी सलाह ली गई थी।

उनके निधन पर केवल ट्रस्ट सदस्य ही नहीं बल्कि संपूर्ण हिंदू समुदाय ने गहरा शोक व्यक्त किया है। अयोध्या के स्थानीय निवासी उनकी मृत्यु को एक अपूरणीय क्षति के रूप में देख रहे हैं। राम भक्तों और तीर्थयात्रियों के लिए भी वे एक श्रद्धेय व्यक्तित्व थे। उनका पारिवारिक इतिहास और राम जन्मभूमि के प्रति अटूट निष्ठा ने उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व बना दिया था।

भविष्य में राम मंदिर परिसर का विस्तार और अयोध्या के समग्र विकास के क्षेत्र में उनकी अनुपस्थिति एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आएगी। हालांकि उनके द्वारा छोड़े गए आदर्श और मार्गदर्शन भावी पीढ़ियों के लिए पथप्रदर्शक का काम करेंगे। ट्रस्ट के अन्य सदस्यों ने उनकी स्मृति को श्रद्धांजलि देते हुए उनके अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया है।

धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी केवल औपचारिक नहीं थी बल्कि हृदय से थी। अयोध्या में आयोजित होने वाले विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में उनकी सलाह और सहयोग लिया जाता था। राम नवमी, दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के दौरान वे व्यक्तिगत रूप से समारोहों में भाग लेते थे और उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने में योगदान देते थे।

शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय था। अयोध्या के युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखने के लिए वे निरंतर प्रयास करते रहते थे। धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के महत्व पर भी वे जोर देते थे। स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों के साथ उनके अच्छे संबंध थे।

पर्यटन विकास के क्षेत्र में भी उनकी दृष्टि व्यापक थी। राम मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या में बढ़ने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को देखते हुए उन्होंने उचित सुविधाओं के विकास पर जोर दिया था। धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए भी वे चिंतित रहते थे।

बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का निधन अयोध्या के इतिहास में एक अध्याय की समाप्ति का प्रतीक है लेकिन उनके आदर्श और योगदान हमेशा स्मरणीय रहेंगे। राम जन्मभूमि मंदिर की हर ईंट-पत्थर में उनकी निष्ठा और प्रेम की छाप रह गई है। आने वाली पीढ़ियों के लिए वे एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे जिन्होंने अपना जीवन धार्मिक परंपरा की रक्षा और भक्तों के आध्यात्मिक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था।

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