
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है जो देशभर के लाखों छात्रों और अभिभावकों को प्रभावित करेगी। बोर्ड ने कक्षा 10वीं के लिए द्विबोर्ड प्रणाली (Two-Board System) की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था छात्रों को अपने प्रदर्शन में सुधार का दूसरा अवसर प्रदान करेगी और पारंपरिक एकल बोर्ड परीक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव माना जा रहा है।
इस नई व्यवस्था के तहत कक्षा 10वीं के छात्रों को दो अलग चरणों में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा। पहला चरण फरवरी-मार्च 2026 में आयोजित होगा, जबकि दूसरा चरण मई-जून 2026 में संपन्न होगा। छात्र चाहें तो पहले चरण में सभी विषयों की परीक्षा दे सकते हैं या फिर अपनी सुविधानुसार विषयों को दो चरणों में बांट सकते हैं। यह व्यवस्था विशेषकर उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगी जो बेहतर तैयारी के लिए अधिक समय चाहते हैं।
द्विबोर्ड प्रणाली का मुख्य उद्देश्य छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम करना है। सीबीएसई के अधिकारियों के अनुसार, यह व्यवस्था छात्रों को अपनी क्षमताओं के अनुसार परीक्षा की रणनीति बनाने में मदद करेगी। जो छात्र पहले चरण में संतोषजनक परिणाम नहीं पा सकते, वे दूसरे चरण में उन्हीं विषयों की परीक्षा दोबारा दे सकेंगे। इससे छात्रों को अपने कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान देने का अवसर मिलेगा।
नई गाइडलाइन के अनुसार, छात्रों को परीक्षा से पहले अपना विकल्प चुनना होगा कि वे एकल चरण में सभी विषयों की परीक्षा देना चाहते हैं या द्विचरणीय व्यवस्था का लाभ उठाना चाहते हैं। एक बार विकल्प चुनने के बाद, छात्र परीक्षा के दौरान इसे बदल नहीं सकेंगे। यह निर्णय स्कूल प्रशासन की सहायता से लिया जा सकेगा और अभिभावकों की सहमति भी आवश्यक होगी।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यवस्था भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक सकारात्मक बदलाव है। डॉ. राजेश कुमार, एक प्रमुख शिक्षाविद् के अनुसार, “द्विबोर्ड प्रणाली छात्रों को उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार अध्ययन करने की सुविधा देगी। यह खासकर उन छात्रों के लिए वरदान है जो किसी कारणवश पूरी तैयारी नहीं कर पाते।”
परीक्षा पैटर्न में भी कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। प्रत्येक विषय में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की संख्या बढ़ाई गई है और व्यावहारिक आधारित प्रश्नों को अधिक महत्व दिया गया है। गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में केस स्टडी आधारित प्रश्न भी शामिल किए जाएंगे। इससे छात्रों की विश्लेषणात्मक क्षमता और व्यावहारिक समझ का बेहतर मूल्यांकन हो सकेगा।
सीबीएसई की इस पहल के पीछे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशें भी हैं। नई शिक्षा नीति में छात्र-केंद्रित शिक्षा व्यवस्था और परीक्षा में सुधार पर जोर दिया गया है। द्विबोर्ड प्रणाली इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह व्यवस्था छात्रों को रटने की बजाय समझने पर जोर देने के लिए प्रेरित करेगी।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कई अभिभावक इस व्यवस्था का स्वागत कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके बच्चों पर दबाव कम होगा। वहीं कुछ अभिभावकों की चिंता है कि कहीं यह व्यवस्था छात्रों को परीक्षा के प्रति लापरवाह न बना दे। मुंबई की एक अभिभावक सुनीता शर्मा का कहना है, “यह अच्छी पहल है लेकिन छात्रों को इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।”
स्कूल प्रशासन को भी इस नई व्यवस्था के लिए तैयारी करनी होगी। शिक्षकों को द्विबोर्ड प्रणाली की विशेषताओं के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। पाठ्यक्रम को इस तरह से व्यवस्थित करना होगा कि छात्र दोनों चरणों के लिए उचित तैयारी कर सकें। स्कूलों को अतिरिक्त कक्षाओं और परामर्श सत्रों की व्यवस्था भी करनी होगी।
तकनीकी तैयारी भी इस योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सीबीएसई को परीक्षा केंद्रों, प्रश्न पत्र तैयारी, और परिणाम घोषणा के लिए दोगुनी व्यवस्था करनी होगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके छात्रों के विकल्प चुनने और परीक्षा पंजीकरण की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाएगा। यह व्यवस्था प्रशासनिक चुनौती भी है लेकिन सीबीएसई का दावा है कि वे इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं।
आर्थिक प्रभाव की दृष्टि से देखें तो द्विबोर्ड प्रणाली से परीक्षा फीस में वृद्धि हो सकती है। हालांकि सीबीएसई ने अभी तक फीस संरचना की घोषणा नहीं की है, लेकिन अनुमान है कि यह वर्तमान फीस से 25-30% अधिक हो सकती है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है।
कोचिंग इंस्टीट्यूट भी इस बदलाव के लिए अपनी रणनीति में संशोधन कर रहे हैं। कई संस्थान द्विबोर्ड प्रणाली के लिए विशेष कोर्स और गाइडेंस प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी में हैं। दिल्ली के एक प्रमुख कोचिंग सेंटर के निदेशक अमित गुप्ता का कहना है, “हमें अपने शिक्षण पद्धति में बदलाव करना होगा ताकि छात्र दोनों चरणों के लिए बेहतर तैयारी कर सकें।”
राज्य शिक्षा बोर्डों पर भी इसका प्रभाव पड़ने की संभावना है। कई राज्य बोर्ड सीबीएसई की इस पहल को देखते हुए अपनी परीक्षा व्यवस्था में समान बदलाव करने पर विचार कर रहे हैं। यह भारतीय शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की शुरुआत हो सकती है।
उच्च शिक्षा संस्थानों को भी इस नई व्यवस्था के अनुकूल अपनी प्रवेश नीति में संशोधन करना पड़ सकता है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को यह तय करना होगा कि वे द्विबोर्ड प्रणाली के परिणामों को कैसे स्वीकार करेंगे। अधिकांश संस्थानों का मानना है कि यह व्यवस्था छात्रों के वास्तविक प्रदर्शन का बेहतर आकलन प्रदान करेगी।
निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि सीबीएसई की द्विबोर्ड प्रणाली एक महत्वाकांक्षी योजना है जो भारतीय शिक्षा व्यवस्था में नए युग की शुरुआत कर सकती है। यह व्यवस्था छात्रों को अधिक लचीलापन प्रदान करती है और उनके सर्वांगीण विकास में सहायक हो सकती है। हालांकि इसके सफल क्रियान्वयन के लिए सभी हितधारकों – छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और प्रशासन – को मिलकर काम करना होगा। समय बताएगा कि यह नई व्यवस्था कितनी सफल होती है और भारतीय शिक्षा के भविष्य को कैसे आकार देती है।