मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण आतंकी हमले के 24 घंटे से भी कम समय के भीतर, भारत का शीर्ष सुरक्षा नेतृत्व आज शाम प्रधानमंत्री के आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए एकत्र हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS Meeting) की यह उच्च-स्तरीय आपात बैठक शुरू हो चुकी है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा स्पष्ट है: दिल्ली में हुए इस दुस्साहसिक ‘फिदायीन’ हमले की समीक्षा करना, राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति का आकलन करना और एक निर्णायक “आगे की राह” (way forward) तय करना।
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल सहित सीसीएस के प्रमुख सदस्य मौजूद हैं। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह इस बैठक में धमाके की जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट और देश भर में, खासकर जम्मू-कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दे रहे हैं।
मुख्य तथ्य: त्वरित जानकारी (Quick Take)
- क्या हो रहा है: प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस (CCS) की आपात बैठक जारी है।
- क्यों: 11 नवंबर को दिल्ली के लाल किला के पास हुए आतंकी हमले के जवाब में, जिसमें 12-13 लोगों की मौत हो गई।
- जांच: गृह मंत्रालय ने जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है; UAPA के तहत मामला दर्ज।
- हमले का प्रकार: प्रारंभिक जांच में इसे ‘फिदायीन’ (आत्मघाती) हमला माना जा रहा है। (स्रोत: द ट्रिब्यून)
- संभावित एजेंडा: जवाबी कार्रवाई पर विचार; ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे गैर-पारंपरिक सैन्य विकल्प की अटकलें।
- व्यापक संदर्भ: बैठक ऐसे समय हो रही है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकी इकोसिस्टम के खिलाफ 1500 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर बड़ी कार्रवाई चल रही है।
दिल्ली धमाके की गूंज: सीसीएस की आपात बैठक
मंगलवार, 11 नवंबर 2025 की शाम ने दिल्ली को दहला दिया। लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास एक कार में हुए भीषण विस्फोट में 12 से 13 लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक घायल हो गए। (स्रोत: द टाइम्स ऑफ इंडिया) इस घटना ने 2008 के मुंबई हमलों के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक के रूप में अपनी जगह बना ली है।
प्रत्यक्षदर्शियों और प्रारंभिक फोरेंसिक रिपोर्टों के आधार पर, जांच एजेंसियां इसे एक सुनियोजित ‘फिदायीन’ (आत्मघाती) हमला मान रही हैं। इस घटना की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गृह मंत्रालय ने बिना समय गंवाए जांच का जिम्मा भारत की प्रमुख काउंटर-टेरर एजेंसी, एनआईए (NIA) को सौंप दिया है। (स्रोत: द हिंदू) एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम – UAPA – की सख्त आतंकवादी विरोधी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
आज हो रही CCS Meeting इसी घटनाक्रम की सीधी प्रतिक्रिया है। इस बैठक का महत्व दोहरा है: पहला, राजधानी में इस तरह की सुरक्षा चूक के कारणों का पता लगाना और दूसरा, भारत की नई सुरक्षा सिद्धांत (new war doctrine) के तहत एक उचित और कड़ा जवाब देना।
जांच के केंद्र में: ‘फिदायीन’ हमला और कश्मीर-कनेक्शन
एनआईए की जांच कई महत्वपूर्ण सुरागों पर केंद्रित है।
- फरीदाबाद मॉड्यूल: जांचकर्ता इस हमले के तार हाल ही में फरीदाबाद में भंडाफोड़ हुए एक आतंकी मॉड्यूल से जोड़कर देख रहे हैं।
- पुलवामा का संदिग्ध: सूत्रों के हवाले से द ट्रिब्यून ने रिपोर्ट दी है कि जिस कार में विस्फोट हुआ, उसे कथित तौर पर पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) का एक डॉक्टर चला रहा था, जो लापता बताया जा रहा है।
- बाहरी समर्थन: इस हमले के कुछ ही घंटों बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वथनेनी हरीश ने सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “भारत ने दशकों तक सीमा पार आतंकवाद का दंश झेला है… आतंकवादी समूह बाहरी समर्थन, वित्तपोषण या सुविधा के बिना काम नहीं कर सकते। यह बयान स्पष्ट रूप से इस हमले के पीछे विदेशी हाथ होने की ओर इशारा करता है।
क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर-2’ की है तैयारी?
आज की सीसीएस बैठक में सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत का जवाब क्या होगा। मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने कथित तौर पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक वर्गीकृत (classified) काउंटर-टेरर मिशन को अंजाम दिया था।
विश्लेषकों और रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की उस नई युद्ध नीति का हिस्सा था, जिसमें कहा गया था कि “उसकी धरती पर हर आतंकी हमले को युद्ध का कृत्य माना जाएगा।” (स्रोत: द ट्रिब्यून) लोकमत न्यूज की एक रिपोर्ट (मई 2025) के अनुसार, उस ऑपरेशन में कथित तौर पर पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निशाना बनाया गया था, जिससे सैन्य समीकरण में महत्वपूर्ण बदलाव आया।
अब, जब आतंकवादियों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को निशाना बनाया है, तो सुरक्षा हलकों में यह अटकलें तेज हैं कि क्या सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर-2’ (Operation Sindoor-2) जैसे किसी बड़े और निर्णायक सैन्य विकल्प पर विचार करेगी। डायनामाइट न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाया है कि क्या आज की बैठक में सर्जिकल स्ट्राइक या प्रिसिजन स्ट्राइक जैसे कदमों पर मुहर लग सकती है।
डेटा और सांख्यिकी: भारत की बहु-आयामी सुरक्षा चुनौतियाँ
आज की सीसीएस बैठक केवल एक आतंकी हमले पर केंद्रित नहीं है; यह भारत के संपूर्ण सुरक्षा परिदृश्य का आकलन कर रही है, जो कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
1. आंतरिक सुरक्षा: जम्मू-कश्मीर में ‘प्री-एम्पटिव स्ट्राइक’
दिल्ली धमाके से ठीक पहले, पिछले एक सप्ताह में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने एक अभूतपूर्व अभियान चलाया है।
- 1,500+ हिरासत में: पूरे कश्मीर घाटी में 1,500 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए उठाया गया है।
- 200+ छापे: अकेले कुलगाम जिले में 12 नवंबर तक 200 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गई है। (स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस)
- लक्ष्य: यह कार्रवाई प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (JeI) और ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स’ (OGWs) के नेटवर्क को लक्षित कर रही है। अधिकारियों ने इसे “आतंकी इकोसिस्टम को खत्म करने” के लिए एक “प्री-एम्पटिव स्ट्राइक” (pre-emptive strike) करार दिया है।
2. चीन सीमा (LAC): ‘बफर जोन’ और पेट्रोलिंग विवाद
लद्दाख में चीन के साथ तनाव कम नहीं हुआ है। वाशिंगटन पोस्ट की एक हालिया रिपोर्ट (12 नवंबर, 2025) ने भारतीय आलोचकों और पूर्व सैन्य अधिकारियों के हवाले से गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं।
- 26/65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स: 2022 की एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारतीय सेना ने लद्दाख में 65 में से 26 पूर्व पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PPs) पर अपनी “उपस्थिति” खो दी है।
- बफर जोन का नुकसान: चुशुल के एक स्थानीय अधिकारी, कोंचोक स्टैनज़िन ने कहा, “मेरे निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 450 वर्ग किलोमीटर भूमि को बफर ज़ोन में बदल दिया गया… अब हमारे सैनिक वहां कदम नहीं रख सकते।”
- विशेषज्ञों की चिंता: विश्लेषकों का कहना है कि चीन की “दो कदम आगे, एक कदम पीछे” की रणनीति ने भारत को रणनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाया है।
3. पाकिस्तान/अफगानिस्तान सीमा (TTP संकट)
अक्टूबर 2025 में, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान शासन के बीच तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को लेकर गंभीर सैन्य संघर्ष हुआ।
- 40+ झड़पें: ACLED के अनुसार, अक्टूबर में दोनों देशों के बीच 40 से अधिक सैन्य झड़पें हुईं।
- 12+ हवाई हमले: पाकिस्तान ने कथित तौर पर TTP नेतृत्व को निशाना बनाते हुए अफगानिस्तान के अंदर 12 से अधिक हवाई हमले किए।
यह क्षेत्रीय अस्थिरता भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह आतंकी समूहों को पनाहगाह प्रदान करती है।
नई रक्षा खरीद और तैयारी
इन चुनौतियों के बीच, भारत अपनी रक्षा तैयारियों को भी तेजी से मजबूत कर रहा है। सीसीएस इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि सशस्त्र बल कितने तैयार हैं।
- DPM 2025 लागू: 1 नवंबर, 2025 से नया ‘रक्षा खरीद मैनुअल (DPM) 2025’ लागू हो गया है।
- ₹1 लाख करोड़ की खरीद: इस नए मैनुअल का उद्देश्य तीनों सेवाओं के लिए लगभग ₹1 लाख करोड़ (रुपये) के राजस्व खरीद (revenue procurement) में तेजी लाना है।
- ‘आत्मनिर्भरता’ पर जोर: DPM 2025 को ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी रक्षा उद्योग, MSMEs और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
आगे क्या? (What to Watch Next?)
इस गहन मंथन के बाद, देश और दुनिया की निगाहें सीसीएस बैठक के बाद जारी होने वाले आधिकारिक बयान पर टिकी हैं।
- आधिकारिक बयान: क्या सरकार इस हमले को सीमा पार आतंकवाद का स्पष्ट कृत्य घोषित करेगी?
- सैन्य अलर्ट: क्या नियंत्रण रेखा (LoC) या अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर सैनिकों की कोई असामान्य हलचल या हाई अलर्ट घोषित किया जाएगा?
- कूटनीतिक कदम: क्या भारत इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आक्रामक तरीके से उठाएगा और पाकिस्तान (यदि लिंक स्थापित होता है) पर कूटनीतिक दबाव बनाएगा?
- NIA की प्रगति: अगले 48 घंटों में NIA द्वारा की गई गिरफ्तारियां और खुलासे महत्वपूर्ण होंगे।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री आवास पर हो रही यह CCS Meeting महज़ एक आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया नहीं है; यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और भविष्य की रणनीति का एक निर्णायक क्षण है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, भारत ने अपनी प्रतिक्रिया की सीमा (threshold) को बदल दिया है। दिल्ली में हुआ यह हमला उस नई सीमा का परीक्षण है। आज लिए गए निर्णय न केवल आतंकवादियों और उनके आकाओं को एक कड़ा संदेश देंगे, बल्कि चीन से लेकर कश्मीर तक फैले व्यापक सुरक्षा चुनौतियों के प्रति भारत के दृढ़ संकल्प को भी परिभाषित करेंगे।
