पटाखों पर सुप्रीम फैसला: दिल्ली में मनेगी सिर्फ ‘ग्रीन’ दिवाली!

दिवाली के त्यौहार से ठीक पहले, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बुधवार, 15 अक्टूबर, 2025 को हुई सुनवाई…

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दिवाली के त्यौहार से ठीक पहले, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बुधवार, 15 अक्टूबर, 2025 को हुई सुनवाई में, अदालत ने पर्यावरण और त्योहार की अहमियत के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। नतीजतन, सख्त शर्तों के साथ केवल ‘ग्रीन’ यानी हरित पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। यह फैसला एक ‘टेस्ट केस’ के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि यह समझा जा सके कि क्या कम प्रदूषण वाले विकल्पों से त्योहार मनाना संभव है।

यह निर्णय दिल्ली-एनसीआर के निवासियों के लिए एक बड़ी खबर है, जहां पिछले कई वर्षों से सर्दियों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। अदालत का यह कदम पटाखा उद्योग से जुड़े लोगों की आजीविका और आम जनता की त्योहार मनाने की इच्छा को ध्यान में रखता है। हालांकि, इसके साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा भी तैयार किया गया है। फैसले के अनुसार, केवल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (CSIR-NEERI) द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखों की ही अनुमति होगी। इसके अलावा, अदालत ने पटाखे बेचने और जलाने के लिए एक सीमित समय-सीमा भी तय की है, जिसका उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विस्तृत विश्लेषण: संतुलन की एक नई पहल

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय कई वर्षों के कानूनी विचार-विमर्श का परिणाम है। यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के प्रयासों का एक हिस्सा है। अदालत ने माना कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद, अवैध रूप से पारंपरिक पटाखे बड़े पैमाने पर बिकते रहे। इससे प्रतिबंध का मूल उद्देश्य ही विफल हो रहा था। इसलिए, अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें पर्यावरण से समझौता किए बिना संयम के साथ अनुमति दी जाए।” यह निर्णय भविष्य में पर्यावरण नियमों और सांस्कृतिक प्रथाओं के बीच संतुलन बनाने के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।

प्रतिबंध में ढील क्यों दी गई?

अदालत ने पूर्ण प्रतिबंध में ढील देने के पीछे कई प्रमुख कारण बताए हैं। ये तर्क उनके आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेखित हैं।

  • अवैध पटाखों की तस्करी: सबसे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद, दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में अवैध पारंपरिक पटाखों की भरमार थी। ये पटाखे न केवल अधिक प्रदूषण फैलाते हैं, बल्कि इनमें खतरनाक रसायन भी होते हैं। इसलिए, अदालत का मानना था कि एक विनियमित तरीके से कम प्रदूषणकारी विकल्प उपलब्ध कराना बेहतर है।
  • ग्रीन पटाखों का विकास: दूसरे, CSIR-NEERI द्वारा ग्रीन पटाखों का विकास एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इन पटाखों को पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम से कम 30% कम पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) उत्सर्जित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अदालत को बताया गया कि ग्रीन पटाखे एक व्यवहार्य मध्य मार्ग प्रदान करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उत्सव की भावना को बनाए रखते हुए प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • सरकार का पक्ष: इस बार केंद्र और दिल्ली सरकार, दोनों ने ही प्रतिबंध में ढील देने का समर्थन किया। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि वे ग्रीन पटाखों से संबंधित सभी नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेंगे। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव था, क्योंकि पहले दिल्ली सरकार ने साल भर के लिए सभी प्रकार के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा था।
  • आर्थिक और सामाजिक पहलू: अंत में, अदालत ने पटाखा उद्योग से जुड़े लाखों श्रमिकों की आर्थिक कठिनाइयों पर भी विचार किया। इसके अलावा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर में आने वाले जिलों के निवासियों की चिंताओं को भी ध्यान में रखा गया। इस प्रकार, यह निर्णय “व्यवसाय करने के अधिकार” और “जीवन के अधिकार” के बीच संतुलन बनाने का एक प्रयास है।

ग्रीन पटाखों के लिए सुप्रीम कोर्ट के सख्त दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की अनुमति देते हुए यह सुनिश्चित किया है कि इसका दुरुपयोग न हो। इसके लिए एक विस्तृत और सख्त नियामक ढांचा तैयार किया गया है, जिसका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है।

नियम विवरण
बिक्री की अवधि ग्रीन पटाखों की बिक्री केवल 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर, 2025 (धनतेरस से दिवाली तक) तक ही की जा सकेगी।
बिक्री के स्थान पटाखे केवल जिला कलेक्टरों और पुलिस अधिकारियों द्वारा पहचाने गए और व्यापक रूप से प्रचारित निर्दिष्ट स्थानों पर ही बेचे जा सकेंगे।
पटाखे जलाने का समय पटाखे केवल दो दिन – दिवाली (20 अक्टूबर) और छोटी दिवाली (19 अक्टूबर) को ही जलाए जा सकेंगे। समय सीमा सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और शाम 8 बजे से 10 बजे तक निर्धारित की गई है।
प्रमाणन केवल CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बेचे और इस्तेमाल किए जा सकेंगे। इन पटाखों पर एक क्यूआर (QR) कोड होना अनिवार्य है।
प्रतिबंधित रसायन बेरियम लवण (Barium salts) और अन्य प्रतिबंधित रसायनों वाले पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध जारी रहेगा।
ऑनलाइन बिक्री पर रोक ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से पटाखों की खरीद और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
लड़ी वाले पटाखे जुड़े हुए पटाखों, जिन्हें आमतौर पर ‘लड़ी’ कहा जाता है, के निर्माण और बिक्री की अनुमति नहीं होगी।
बाहरी पटाखों पर रोक एनसीआर क्षेत्र के बाहर से किसी भी प्रकार के पटाखे को दिल्ली-एनसीआर में लाने की अनुमति नहीं होगी।
निगरानी और प्रवर्तन पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गश्ती दल बनाएंगे जो बिक्री स्थलों की निगरानी करेंगे और पटाखों की प्रामाणिकता की जांच करेंगे।
उल्लंघन पर दंड नियमों का उल्लंघन करने वाले निर्माताओं और विक्रेताओं दोनों को दंडित किया जाएगा, जिसमें लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है।

इन नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल प्रमाणित और कम प्रदूषणकारी पटाखे ही बाजार में उपलब्ध हों। साथ ही, उनका उपयोग भी सीमित और नियंत्रित तरीके से हो।

क्या हैं ग्रीन पटाखे और ये पारंपरिक पटाखों से कैसे अलग हैं?

“ग्रीन पटाखे” शब्द सुनते ही लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि ये आखिर हैं क्या। साथ ही, वे यह भी जानना चाहते हैं कि ये पर्यावरण के लिए बेहतर कैसे हैं। दरअसल, ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों का एक सुधरा हुआ और वैज्ञानिक रूप से विकसित संस्करण हैं। इनका मुख्य उद्देश्य ध्वनि और वायु प्रदूषण को कम करना है।

ग्रीन पटाखों की वैज्ञानिक संरचना

इन्हें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के तहत आने वाले राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने विकसित किया है। पारंपरिक पटाखों के विपरीत, ग्रीन पटाखों के निर्माण में हानिकारक रसायनों का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता है। इनमें बेरियम नाइट्रेट, एल्यूमीनियम और सल्फर जैसे रसायन शामिल हैं।

CSIR-NEERI के अनुसार, ग्रीन पटाखों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • कम उत्सर्जन: ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में पार्टिकुलेट मैटर (PM) का उत्सर्जन 30-40% तक कम करते हैं।
  • धूल को दबाने की क्षमता: इनमें धूल को दबाने वाले योजक (dust suppressants) होते हैं। ये जलने पर पानी की वाष्प छोड़ते हैं और धूल के कणों को हवा में फैलने से रोकते हैं।
  • कम हानिकारक गैसें: इसके अलावा, ये सल्फर डाइऑक्साइड () और नाइट्रोजन ऑक्साइड () जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी कम करते हैं।
  • कम शोर: ग्रीन पटाखे ध्वनि प्रदूषण को भी नियंत्रित करते हैं। इनकी ध्वनि का स्तर आमतौर पर 110-125 डेसिबल के बीच होता है, जबकि पारंपरिक पटाखों का शोर 160 डेसिबल से भी अधिक हो सकता है।

CSIR-NEERI ने तीन मुख्य प्रकार के ग्रीन पटाखे विकसित किए हैं: SWAS, STAR, और SAFAL। इन पटाखों की पहचान के लिए, इनके बॉक्स पर CSIR-NEERI का लोगो और एक क्यूआर कोड लगा होता है, जिसे स्कैन करके उनकी प्रामाणिकता की पुष्टि की जा सकती है।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का संकट और पटाखों का प्रभाव

दिल्ली-एनसीआर हर साल सर्दियों में गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में आ जाता है। इस दौरान मौसम की स्थिति, जैसे हवा की धीमी गति, प्रदूषकों को वायुमंडल में फंसा लेती है। इसके अतिरिक्त, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और वाहनों से होने वाले उत्सर्जन से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। दिवाली के दौरान बड़े पैमाने पर पटाखे जलाने से स्थिति विस्फोटक रूप से खराब हो जाती है।

आंकड़ों में प्रदूषण का स्तर

विगत वर्षों के आंकड़े इस गंभीर समस्या को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के आंकड़े बताते हैं कि दिवाली की रात और उसके अगले दिन, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के स्तर को पार कर जाता है। यह ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में आता है।

CPCB के अनुसार, दिवाली के दौरान PM2.5 (अति सूक्ष्म कण) और PM10 का स्तर सामान्य दिनों की तुलना में 10 से 15 गुना तक बढ़ जाता है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि दिवाली की रात पटाखों के धुएं में सीसा, मैग्नीशियम और बेरियम जैसे जहरीले भारी धातुओं की सांद्रता खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती है। यह गंभीर वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा है।

पटाखों का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव: एक मूक हत्यारा

दिवाली की रात आसमान भले ही रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाता है, लेकिन पटाखों से निकलने वाला धुआं हमारे स्वास्थ्य के लिए एक अदृश्य जहर का काम करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायु प्रदूषण को एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम के रूप में पहचाना है। नतीजतन, पटाखों से होने वाला प्रदूषण इस जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है।

पटाखों से निकलने वाले रसायन और उनके प्रभाव

पटाखों में विभिन्न प्रकार के रसायन होते हैं जो जलने पर जहरीली गैसें और कण छोड़ते हैं।

  • सल्फर डाइऑक्साइड: यह फेफड़ों में जलन पैदा करता है और अस्थमा के रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड: ये गैसें श्वसन तंत्र में सूजन पैदा करती हैं और फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम करती हैं।
  • पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10): ये सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफड़ों में गहराई तक चले जाते हैं। ये रक्त प्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  • भारी धातुएं (जैसे सीसा, बेरियम): ये तंत्रिका तंत्र, गुर्दे और श्वसन प्रणाली को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।

कौन हैं सबसे ज्यादा जोखिम में?

हालांकि पटाखों के धुएं का असर सभी पर पड़ता है, लेकिन कुछ समूह विशेष रूप से कमजोर होते हैं।

  • बच्चे: बच्चों के फेफड़े विकास की अवस्था में होते हैं। इसलिए, वे प्रदूषकों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • बुजुर्ग: बुजुर्गों की प्रतिरक्षा प्रणाली अक्सर कमजोर होती है और उनमें पहले से ही हृदय या फेफड़ों की बीमारियां होने की संभावना अधिक होती है।
  • गर्भवती महिलाएं: वायु प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है।
  • अस्थमा और हृदय रोगी: पटाखों का धुआं इन रोगियों में गंभीर दौरे को ट्रिगर कर सकता है, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है।

The Lancet जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित अध्ययनों ने भारत में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली लाखों मौतों को उजागर किया है। दिवाली के दौरान प्रदूषण का चरम इस आंकड़े में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।

एक जिम्मेदार दिवाली: नागरिकों की भूमिका और आगे की राह

सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में स्वच्छ हवा की लड़ाई केवल अदालती आदेशों से नहीं जीती जा सकती। इसमें प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। ग्रीन पटाखे एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं, लेकिन वे पूरी तरह से प्रदूषण रहित नहीं हैं। दूसरे शब्दों में, विशेषज्ञ कहते हैं कि ये “कम हानिकारक” हैं, “हानिरहित” नहीं।

इसलिए, नागरिकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखे खरीदें और खरीदते समय CSIR-NEERI के लोगो और क्यूआर कोड की जांच अवश्य करें। दूसरे, समय-सीमा का पालन करें और अदालत द्वारा निर्धारित समय के भीतर ही पटाखे जलाएं। इसके अलावा, व्यक्तिगत रूप से बहुत सारे पटाखे जलाने के बजाय, सामुदायिक उत्सव को बढ़ावा दें। अंत में, अपने परिवार और दोस्तों को ग्रीन पटाखों और प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करें

सरकार और प्रशासन की भी यह जिम्मेदारी है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को सख्ती से लागू करें। उन्हें अवैध पटाखों की बिक्री को रोकना चाहिए और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को 14 अक्टूबर से 25 अक्टूबर, 2025 तक वायु गुणवत्ता की निगरानी करने और अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। यह रिपोर्ट भविष्य में ऐसे निर्णयों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करेगी। अंततः, दिवाली का त्योहार रोशनी और खुशी का प्रतीक है। इसे इस तरह से मनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा न बने।

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