भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। यह महत्वपूर्ण राजनयिक बैठक दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को और भी गहरा बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इस मुलाकात के दौरान विभिन्न रणनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई है।
मास्को की इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ करीब एक घंटे तक बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच हुई इस बैठक में भारत और रूस के बीच व्यापार, रक्षा सहयोग, ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर आपसी समझ बढ़ाने के विषयों पर गहन विमर्श हुआ। यह मुलाकात वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच दोनों देशों की मित्रता की मजबूती को दर्शाती है।
क्रेमलिन में आयोजित इस बैठक में राष्ट्रपति पुतिन ने भारत के साथ रूस के पारंपरिक और विशेष रिश्तों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच दशकों पुराना विश्वास और मित्रता का रिश्ता आज भी उतना ही मजबूत है। पुतिन ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के हितों में है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश राष्ट्रपति पुतिन तक पहुंचाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत-रूस साझेदारी न केवल द्विपक्षीय हितों के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने बताया कि दोनों देश मल्टी-पोलर विश्व व्यवस्था के समर्थक हैं और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में समान दृष्टिकोण रखते हैं।
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग की चर्चा इस बैठक का एक प्रमुख हिस्सा रही। दोनों देश पिछले कई दशकों से रक्षा क्षेत्र में गहरे सहयोग कर रहे हैं। एस-400 मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल की संयुक्त निर्माण परियोजना और अन्य रक्षा उपकरणों की आपूर्ति जैसे विषयों पर विस्तार से बात हुई। रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार देश है और इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सालाना अरबों डॉलर का व्यापार होता है।
ऊर्जा सहयोग के मामले में भी महत्वपूर्ण प्रगति की संभावनाओं पर चर्चा हुई। रूस से भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति, प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में सहयोग और परमाणु ऊर्जा के विकास में रूसी तकनीकी सहायता जैसे विषयों को लेकर दोनों नेताओं ने सकारात्मक बातचीत की। कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र जैसी परियोजनाओं की सफलता से प्रेरित होकर भविष्य में और भी बड़े प्रोजेक्ट्स की योजना बनाई जा रही है।
आर्थिक साझेदारी के संदर्भ में दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन और नई व्यापारिक संभावनाओं पर गहरी चर्चा हुई। वर्तमान में भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 13 बिलियन डॉलर का है, लेकिन दोनों देश इसे और भी बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। रुपया-रूबल भुगतान प्रणाली, नई व्यापारिक मार्गों का विकास और तकनीकी सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग की बात करते हुए दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र, BRICS, SCO और G20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय बढ़ाने पर सहमति जताई। वैश्विक चुनौतियों से निपटने में दोनों देशों की भूमिका को लेकर विस्तृत रणनीति पर विमर्श हुआ। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के समान विचार हैं।
इस मुलाकात के दौरान शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की भी चर्चा हुई। भारतीय छात्रों के लिए रूसी विश्वविद्यालयों में अवसर, रूसी भाषा के प्रसार और दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर ठोस कार्य योजना बनाने की दिशा में प्रगति हुई। रूस में हजारों भारतीय छात्र चिकित्सा और इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में सहयोग भी इस बातचीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। रूस से भारत में उर्वरक की आपूर्ति, कृषि तकनीक का हस्तांतरण और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर विचार विमर्श हुआ। दोनों देश अपनी कृषि उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
डिजिटल प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में भी नई पहल की संभावनाओं पर बात हुई। भारत की डिजिटल इंडिया पहल और रूस की तकनीकी क्षमताओं को मिलाकर नवाचार की नई दिशाएं तलाशने पर सहमति बनी। उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष अनुसंधान और डिजिटल अवसंरचना के विकास में दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं।
इस मुलाकात का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि यह वर्तमान जटिल अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के बीच हुई है। भारत ने हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति का पालन किया है और सभी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखने का प्रयास करता है। यह मुलाकात इस बात का प्रमाण है कि भारत अपने पारंपरिक मित्रों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में विश्वास रखता है।
राष्ट्रपति पुतिन ने इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री मोदी को रूस आने का औपचारिक निमंत्रण भी दिया। उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय यात्राएं दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह निमंत्रण भविष्य में दोनों देशों के बीच और भी गहरे संबंधों की संभावना को दर्शाता है।
अंततः, डॉ एस जयशंकर की यह मास्को यात्रा और राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात भारत-रूस मित्रता की निरंतरता और मजबूती का प्रतीक है। यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापक साझेदारी को नई दिशा देने और आने वाले दशकों में इस रिश्ते को और भी मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।