ट्रंप के 50% टैरिफ से भारत पर बड़ा झटका, मोदी सरकार ने शुरू किया ‘मिशन मैन्युफैक्चरिंग’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ का फरमान आज से लागू हो गया है, जो भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। इस कदम के…

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ का फरमान आज से लागू हो गया है, जो भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। इस कदम के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मिशन मैन्युफैक्चरिंग’ की शुरुआत की है और भारतीय उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने पुष्टि की है कि 27 अगस्त 2025 को पूर्वी समयानुसार रात 12:01 बजे से यह टैरिफ प्रभावी हो गया है।

ट्रंप प्रशासन ने भारत पर यह टैरिफ इसलिए लगाया है क्योंकि भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने NBC न्यूज को बताया था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने “आक्रामक आर्थिक दबाव” का इस्तेमाल करते हुए भारत पर “द्वितीयक टैरिफ” लगाया है ताकि रूसियों के लिए अपनी तेल अर्थव्यवस्था से अमीर बनना मुश्किल हो जाए। इस टैरिफ से भारत के लगभग 55% निर्यात प्रभावित होंगे, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है।

टैरिफ का सबसे ज्यादा असर भारतीय कृषि उत्पादों पर पड़ेगा। बासमती चावल, चाय, मसाले और अन्य कृषि उत्पादों के 6 बिलियन डॉलर के निर्यात पर अब पूरे 50% की दर से शुल्क लगेगा। इंजीनियरिंग सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित होगा, जहां लगभग 15 बिलियन डॉलर के निर्यात में से करीब 7 बिलियन डॉलर का नुकसान होने की आशंका है। वस्त्र उद्योग और रत्न-आभूषण क्षेत्र भी इस टैरिफ की मार झेलने के लिए तैयार हो रहे हैं।

हालांकि, कुछ क्षेत्रों को इस टैरिफ से राहत मिली है। स्टील, एल्युमिनियम, यात्री वाहन, लाइट ट्रक, तांबे के उत्पाद, मानवीय दान और सूचनात्मक सामग्री जैसी किताबें और फिल्में इस अतिरिक्त शुल्क से बची हुई हैं। फार्मा और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (APIs) भी इस टैरिफ के दायरे से बाहर हैं। 27 अगस्त से पहले भेजे गए और 17 सितंबर तक क्लियर होने वाले शिपमेंट्स को भी इस अतिरिक्त शुल्क से छूट मिलेगी।

भारतीय निर्यातक संगठनों ने सरकार और रिजर्व बैंक से तत्काल सहायता की मांग की है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के अध्यक्ष एस.सी. राल्हन ने ब्याज सब्वेंशन योजनाओं और निर्यात क्रेडिट सपोर्ट की मांग की है। FIEO के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा है कि जहां 50% टैरिफ लागू होता है, वहां भारत से कोई निर्यात नहीं होगा जब तक कि आयात करने वाली कंपनी का मार्जिन बहुत ज्यादा न हो।

रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) के अध्यक्ष किरीत भंसाली ने RBI के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर बैंक लोन पर राहत मांगी है। उन्होंने बताया कि अमेरिका भारत के रत्न-आभूषण निर्यात का लगभग 30%, यानी 10 बिलियन डॉलर का हिस्सा है। इस सेक्टर में करीब 1.75 लाख कामगार जयपुर, मुंबई और गुजरात में काम करते हैं, जिनकी नौकरी खतरे में है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस चुनौती का सामना करने के लिए अहमदाबाद से एक मजबूत संदेश दिया है। मारुति सुजुकी के पहले बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन ई-विटारा को 100 से ज्यादा देशों में निर्यात के लिए रवाना करते हुए उन्होंने कहा कि “निवेश बाहर से आ सकता है, लेकिन उत्पादन स्थानीय होना चाहिए”। उन्होंने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर दिया है।

सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। मिशन मैन्युफैक्चरिंग के तहत भारत अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। प्रधानमंत्री ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन की भी घोषणा की है ताकि चीन से आने वाले दुर्लभ खनिजों पर निर्भरता कम की जा सके। सेमीकंडक्टर सेक्टर में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वस्त्र उद्योग कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) के अध्यक्ष राकेश मेहरा ने कहा है कि सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता और कच्चे माल की उपलब्धता से जुड़े नीतिगत फैसलों की उम्मीद है। भारतीय कपड़ा कंपनियां पहले से ही अमेरिकी बाजार पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए बाजारों के विविधीकरण में लगी हुई हैं।

RBI के अधिकारी अगले सप्ताह निर्यातकों से मिलने की तैयारी कर रहे हैं ताकि इस झटके से निपटने के लिए संभावित उपायों पर चर्चा की जा सके। बैंकिंग सेक्टर से लोन और ब्याज भुगतान पर मोरेटोरियम और कॉलेटरल फ्री लेंडिंग की मांग की जा रही है जो वर्किंग कैपिटल की समस्याओं से निपटने में मदद करेगा।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (EEPC) इंडिया के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने बताया कि 50% टैरिफ की घोषणा के बाद से अमेरिका से कोई ऑर्डर नहीं आया है। उन्होंने कहा कि बाजारों के विविधीकरण से करीब 1 बिलियन डॉलर की भरपाई हो सकती है, लेकिन फिर भी 6 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा।

यह टैरिफ भारत-अमेरिका के रिश्तों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। दोनों देश दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियां हैं और रणनीतिक साझेदार भी हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन का यह कदम इन रिश्तों में तनाव ला सकता है। भारत ने अब तक रूसी तेल खरीदना बंद करने से इनकार कर दिया है और अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।

इस पूरे मामले में भारत का रुख स्पष्ट है कि वह किसी भी दबाव में नहीं आएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा है कि “चाहे कितना भी दबाव आए, हम इसे सहने की अपनी ताकत बढ़ाते रहेंगे”। सरकार का फोकस अब आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन पर है, जो इस संकट को अवसर में बदलने का काम कर सकता है।

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