6 सितंबर 2025: गणेश विसर्जन के शुभ मुहूर्त और अनंत चतुर्दशी की संपूर्ण जानकारी

इस वर्ष 6 सितंबर 2025 को पूरे देश में गणेश विसर्जन का पावन पर्व मनाया जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है, जो…

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इस वर्ष 6 सितंबर 2025 को पूरे देश में गणेश विसर्जन का पावन पर्व मनाया जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है, जो हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है। महाराष्ट्र से लेकर पूरे भारत में गणेश भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जब वे अपने प्रिय गणपति बप्pa को विदाई देंगे।

गणेश विसर्जन की तैयारियां देशभर में जोरों पर चल रही हैं। मुंबई, पुणे, नागपुर और महाराष्ट्र के अन्य शहरों में विशाल गणेश मूर्तियों को सजाया जा रहा है। इस साल महाराष्ट्र में उदयपुर चा राजा की मूर्ति का श्रृंगार 1.51 करोड़ रुपए के नोटों से किया गया है, जिसे देखने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। यह अनोखा श्रृंगार गणेश भक्तों के बीच खासा चर्चित हो रहा है।

अनंत चतुर्दशी का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की विशेष आराधना करने से 14 लोकों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन अनंत सुख और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। भक्तगण इस दिन अनंत व्रत भी रखते हैं और भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करते हैं।

विसर्जन से पहले कई शुभ उपाय किए जा सकते हैं जो धन-लाभ में सहायक होते हैं। पंडितों के अनुसार गणेश विसर्जन के दिन तुलसी के पत्ते चबाने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है। इसके अलावा नारियल और गुड़ का प्रसाद बांटने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। दान-पुण्य का विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।

गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाला यह त्योहार 11 दिन तक चलता है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का आगमन होता है और अनंत चतुर्दशी को उनकी विदाई की जाती है। इन 11 दिनों में भक्तगण नियमित रूप से आरती, भजन और पूजा-अर्चना करते हैं। मोदक, लड्डू और खीर जैसे व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है।

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोकमान्य तिलक ने इसे सामाजिक एकता का माध्यम बनाया था। तब से लेकर आज तक यह त्योहार महाराष्ट्रीयन संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है। मुंबई के लालबागचा राजा, गणेशगली चा राजा और सिद्धिविनायक मंदिर जैसे स्थान इस समय श्रद्धालुओं से भरे रहते हैं।

विसर्जन के दिन शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 6 सितंबर को सुबह 6:30 से 8:45 तक का समय विसर्जन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसके अलावा दोपहर 12:15 से 1:30 तक का समय भी उत्तम है। शाम का समय 5:45 से 7:00 तक भी विसर्जन के लिए अनुकूल है। इन मुहूर्तों में विसर्जन करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से आजकल मिट्टी की मूर्तियों का प्रचलन बढ़ रहा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस और रासायनिक रंगों से बनी मूर्तियां जल प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसलिए सरकार और पर्यावरण संस्थाओं की सलाह पर लोग प्राकृतिक सामग्री से बनी मूर्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। शुद्ध मिट्टी, हल्दी और प्राकृतिक रंगों से बनी मूर्तियां पानी में आसानी से घुल जाती हैं।

इस साल दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और बंगलुरु जैसे महानगरों में भी गणेश उत्सव की धूम देखने को मिल रही है। स्थानीय गणेश मंडलियां अपने-अपने क्षेत्रों में भव्य पंडाल सजा रही हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या और प्रसाद वितरण का आयोजन किया जा रहा है। युवा पीढ़ी भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रही है।

सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। मुंबई पुलिस ने विसर्जन के दिन चौकी नाकों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। समुद्री तट पर लाइफगार्ड्स की संख्या बढ़ाई गई है। मेडिकल टीमों को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके। भक्तों से अनुरोध किया गया है कि वे अनुशासन बनाए रखें।

गणेश विसर्जन के दिन “गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठता है। ढोल-ताशे की धुन पर नृत्य करते हुए भक्तगण अपने प्रिय देवता को विदाई देते हैं। यह दृश्य अत्यंत भावुक होता है क्योंकि एक साल बाद फिर से गणेश जी के दर्शन का इंतजार करना पड़ता है। “पुढच्या वर्षी लवकर या” यानी “अगले साल जल्दी आना” की प्रार्थना के साथ विसर्जन संपन्न होता है।

निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि 6 सितंबर का गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। अनंत चतुर्दशी के इस पावन दिन पर भगवान गणेश से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

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