भारत और यूनाइटेड किंगडम ने अपने रणनीतिक संबंधों को एक नई ऊंचाई देते हुए आज एक ऐतिहासिक रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। इस £350 मिलियन (लगभग ₹3850 करोड़) के समझौते के तहत, भारतीय सेना को अत्याधुनिक मार्टलेट लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइलों (LMM) से लैस किया जाएगा। यह India-UK Defence Deal न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की मारक क्षमता में वृद्धि करेगा, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बढ़ती रक्षा सहभागिता का एक मजबूत संकेत भी है।
मुख्य तथ्य (Quick Take)
- सौदा का मूल्य: £350 मिलियन (लगभग $468 मिलियन अमरीकी डॉलर या ₹3850 करोड़)।
- मुख्य हथियार प्रणाली: मार्टलेट लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल (LMM), जिसका निर्माण थेल्स यूके (Thales UK) द्वारा किया गया है।
- प्रमुख लाभार्थी: भारतीय सेना, विशेष रूप से इसकी हवाई और जमीनी इकाइयों की वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए।
- रणनीतिक महत्व: यह सौदा ‘भारत-यूके 2030 रोडमैप’ के रक्षा और सुरक्षा स्तंभ को मजबूत करता है और चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- मेक इन इंडिया: समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और भारत में भविष्य में संयुक्त उत्पादन की संभावनाओं पर भी चर्चा शामिल है, जो आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप है।
पृष्ठभूमि: क्यों महत्वपूर्ण है यह रक्षा सौदा?
यह सौदा ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और आक्रामक नीतियों ने भारत सहित कई देशों को अपनी रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण और रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है। भारत और ब्रिटेन, दोनों ही एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रबल समर्थक हैं, और पिछले कुछ वर्षों में उनके संबंधों में, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में, काफी मजबूती आई है।
2021 में हस्ताक्षरित ‘भारत-यूके 2030 रोडमैप’ ने दोनों देशों के बीच अगले दशक के लिए सहयोग का खाका तैयार किया था, जिसमें रक्षा और सुरक्षा एक प्रमुख स्तंभ था। (स्रोत: भारत सरकार, विदेश मंत्रालय)। इस रोडमैप के तहत, दोनों देशों ने जटिल लड़ाकू विमान प्रणालियों, समुद्री प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया था। मार्टलेट मिसाइल सौदा इसी प्रतिबद्धता को धरातल पर उतारने की दिशा में एक ठोस कदम है।
समझौते का विवरण और मार्टलेट मिसाइल की ताकत
क्या है मार्टलेट मिसाइल?
थेल्स यूके द्वारा निर्मित, मार्टलेट एक अगली पीढ़ी की हल्की, बहुउद्देशीय मिसाइल है जिसे विभिन्न प्रकार के खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह हेलीकॉप्टर, लड़ाकू विमान, नौसैनिक जहाजों और जमीनी वाहनों सहित कई प्लेटफार्मों से लॉन्च की जा सकती है।
तकनीकी विशेषताएँ:
- वजन और गति: इसका वजन केवल 13 किलोग्राम है और यह मैक 1.5 (ध्वनि की गति से 1.5 गुना तेज) की गति से लक्ष्य को भेद सकती है।
- गाइडेंस सिस्टम: यह लेजर बीम राइडिंग गाइडेंस तकनीक का उपयोग करती है, जो इसे छोटे, तेज गति वाले लक्ष्यों, जैसे ड्रोन (UAVs), हेलीकॉप्टर और छोटी नावों के खिलाफ अत्यधिक सटीक बनाती है।
- मारक क्षमता: 3 किलोग्राम के अपने वारहेड के साथ, यह हल्के बख्तरबंद वाहनों को भी भेदने में सक्षम है, जिससे यह भारतीय सेना के लिए एक बहुमुखी हथियार बन जाती है।
यह मिसाइल प्रणाली पहले ही रॉयल नेवी (यूके) द्वारा सफलतापूर्वक उपयोग की जा चुकी है और इसकी प्रभावशीलता सिद्ध हो चुकी है।
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारतीय सेना के लिए, मार्टलेट मिसाइलें हवाई रक्षा कवच में एक महत्वपूर्ण खाई को पाट देंगी। हाल के संघर्षों, विशेष रूप से ड्रोन के बढ़ते उपयोग ने दिखाया है कि पारंपरिक वायु रक्षा प्रणालियाँ अक्सर छोटे और धीमी गति से उड़ने वाले लक्ष्यों के खिलाफ अप्रभावी होती हैं। मार्टलेट मिसाइलें विशेष रूप से इसी तरह के “असममित खतरों” (asymmetric threats) से निपटने में माहिर हैं। लद्दाख और पूर्वोत्तर में चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव को देखते हुए, यह क्षमता भारतीय सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आधिकारिक प्रतिक्रियाएं और विशेषज्ञ विश्लेषण
सरकार का पक्ष
नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह सौदा भारत की “तत्काल परिचालन आवश्यकताओं” को पूरा करने के लिए किया गया है। हालांकि, भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई विस्तृत आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन उम्मीद है कि रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जल्द ही संसद में इस पर जानकारी देंगे।
लंदन में, यूके सरकार ने इस सौदे का स्वागत किया है। यूके के रक्षा सचिव ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा:
“भारत के साथ यह ऐतिहासिक मिसाइल समझौता हमारी बढ़ती रक्षा और सुरक्षा साझेदारी का प्रमाण है। यह न केवल यूके के रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने की हमारी साझा प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।”
विशेषज्ञों की राय
रक्षा विश्लेषक और इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) के पूर्व फेलो, डॉ. अजय मेहरा का मानना है कि यह सौदा सिर्फ हथियारों की खरीद से कहीं बढ़कर है।
“यह एक रणनीतिक संदेश है,” डॉ. मेहरा ने कहा। “भारत अपनी रक्षा खरीद में विविधता ला रहा है और रूस पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है। यूके के साथ यह सौदा यूरोपीय रक्षा शक्तियों के साथ भारत के गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। मार्टलेट की तकनीक महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण वह रणनीतिक विश्वास है जो इस सौदे से झलकता है।” (साक्षात्कार पर आधारित)
आंकड़ों में भारत-यूके रक्षा संबंध
इस सौदे को व्यापक संदर्भ में देखने के लिए आंकड़ों पर नजर डालना महत्वपूर्ण है:
मापदंड | आंकड़ा (2024-2025 अनुमानित) | स्रोत |
कुल भारत-यूके द्विपक्षीय व्यापार | £38 बिलियन | यूके डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस एंड ट्रेड |
भारत का कुल रक्षा बजट | $74.8 बिलियन (₹6.2 लाख करोड़) | भारत सरकार, बजट 2025 |
यूके से भारत का रक्षा आयात (पिछले 5 साल) | लगभग $1.2 बिलियन (इस सौदे से पहले) | SIPRI Arms Transfers Database |
तालिका 1: भारत-यूके व्यापार और रक्षा आंकड़े
यह डेटा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि रक्षा क्षेत्र में सहयोग की अभी भी बहुत गुंजाइश है और यह £350 मिलियन का सौदा उस दिशा में एक बड़ा कदम है।
‘मेक इन इंडिया’ पर प्रभाव और भविष्य की राह
आलोचकों का एक वर्ग यह सवाल उठा सकता है कि विदेशी खरीद ‘मेक इन इंडिया’ या ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के सिद्धांतों के खिलाफ है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस सौदे में एक महत्वपूर्ण ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण’ (Transfer of Technology – ToT) का घटक शामिल हो सकता है।
- संभावित संयुक्त उत्पादन: समझौते के दूसरे चरण में, इन मिसाइलों का भारत में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) जैसी किसी भारतीय रक्षा PSU के साथ मिलकर संयुक्त रूप से उत्पादन किया जा सकता है।
- स्थानीयकरण: इससे न केवल भारत में रोजगार पैदा होगा, बल्कि भविष्य में इन प्रणालियों के रखरखाव और उन्नयन के लिए विदेशी निर्भरता भी कम होगी।
यह मॉडल ब्रह्मोस मिसाइल (भारत-रूस संयुक्त उद्यम) की सफलता से प्रेरित है और भविष्य के रक्षा सौदों के लिए एक टेम्पलेट के रूप में काम कर सकता है।
निष्कर्ष: एक मजबूत साझेदारी का प्रतीक
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुआ यह मार्टलेट मिसाइल सौदा केवल एक सैन्य हार्डवेयर की खरीद नहीं है। यह बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच दो प्रमुख लोकतांत्रिक शक्तियों के बीच गहरे होते रणनीतिक संरेखण का प्रतीक है। यह सौदा भारतीय सेना को तत्काल आवश्यक क्षमता प्रदान करता है, ‘मेक इन इंडिया’ के लिए भविष्य के अवसर खोलता है, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक मजबूत संदेश भेजता है। आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस समझौते के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उत्पादन के वादे किस हद तक पूरे होते हैं।