यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री, सर कीर स्टारमर, आज अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा पर मुंबई पहुँचे। इस दो दिवसीय दौरे का मुख्य केंद्र बिंदु जुलाई 2025 में हस्ताक्षरित ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के कार्यान्वयन और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता होगी, लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि वीज़ा नियमों में और उदारीकरण इस यात्रा के एजेंडे का हिस्सा नहीं है।
प्रधानमंत्री स्टारमर के साथ 125 से अधिक ब्रिटिश CEOs, उद्यमियों, विश्वविद्यालय के कुलपतियों और सांस्कृतिक नेताओं का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसे भारत में अब तक का सबसे बड़ा ब्रिटिश व्यापार मिशन माना जा रहा है। यह यात्रा भारत और ब्रिटेन के बीच ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ को ‘विजन 2035’ के तहत आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसका लक्ष्य अगले दशक में द्विपक्षीय संबंधों को हर क्षेत्र में मजबूत करना है।
मुख्य तथ्य / त्वरित जानकारी
- यात्रा का केंद्र: जुलाई 2025 में हुए भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लागू करना और व्यापारिक अवसरों का लाभ उठाना।
- वीज़ा पर स्पष्ट रुख: ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने यात्रा से पहले ही स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों के लिए वीज़ा नियमों में और ढील देने पर कोई बातचीत नहीं होगी।
- उच्च-स्तरीय बैठक: प्रधानमंत्री स्टारमर 9 अक्टूबर को मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे। दोनों नेता ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के छठे संस्करण को भी संबोधित करेंगे।
- व्यापार लक्ष्य: दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा लगभग £44.1 बिलियन से बढ़ाकर $100 बिलियन (लगभग £80 बिलियन) तक करना है।
- प्रतिनिधिमंडल: स्टारमर के साथ रोल्स-रॉयस, ब्रिटिश टेलीकॉम, डियाजियो और ब्रिटिश एयरवेज़ जैसी प्रमुख कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो व्यापारिक संबंधों को गहरा करने का संकेत है।
- विजन 2035: यह यात्रा ‘विजन 2035’ रोडमैप की प्रगति की समीक्षा करने का एक अवसर है, जिसमें व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा, सुरक्षा और जलवायु जैसे प्रमुख स्तंभ शामिल हैं।
संदर्भ / क्या हुआ?
यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2025 की यूके यात्रा के ठीक ढाई महीने बाद हो रही है, जहाँ दोनों नेताओं ने वर्षों की बातचीत के बाद व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA), जिसे FTA भी कहा जाता है, पर हस्ताक्षर किए थे। उस ऐतिहासिक समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार में आने वाली बाधाओं को कम करना, टैरिफ घटाना और निवेश को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री स्टारमर का यह दौरा उस समझौते को कागजों से धरातल पर उतारने और ब्रिटिश व्यवसायों के लिए भारतीय बाजार के विशाल अवसरों को भुनाने पर केंद्रित है। मुंबई में, जो भारत की वित्तीय राजधानी है, दोनों प्रधानमंत्रियों की बैठक व्यापार और निवेश पर केंद्रित होगी। वे प्रमुख उद्योगपतियों के साथ भी बातचीत करेंगे ताकि FTA द्वारा प्रस्तुत अवसरों का पता लगाया जा सके।
वीज़ा पर ब्रिटिश सरकार का दृढ़ रुख
यात्रा से पहले, प्रधानमंत्री स्टारमर ने पत्रकारों से बात करते हुए वीज़ा उदारीकरण की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “यह योजनाओं का हिस्सा नहीं है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य “पहले से किए गए मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाना है।”
यह रुख ब्रिटेन की आंतरिक राजनीतिक मजबूरियों को भी दर्शाता है, जहाँ प्रवासन एक संवेदनशील मुद्दा है। स्टारमर सरकार ने स्पष्ट किया है कि व्यापार समझौते का फोकस पूरी तरह से आर्थिक लाभ पर है और इसे प्रवासन नीतियों से नहीं जोड़ा जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण है क्योंकि पहले की व्यापार वार्ताएँ अक्सर वीज़ा पहुँच के मुद्दे पर रुक जाती थीं।
नवीनतम आँकड़े और सांख्यिकी
भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। नवीनतम आँकड़े इस प्रवृत्ति को उजागर करते हैं:
- द्विपक्षीय व्यापार: यूके सरकार द्वारा 19 सितंबर, 2025 को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, Q1 2025 (मार्च 2025 तक के चार क्वार्टर) के अंत तक भारत और यूके के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार £44.1 बिलियन था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 10.1% की वृद्धि है।
- व्यापार संतुलन: इन आंकड़ों में, भारत को यूके का कुल निर्यात £17.5 बिलियन था, जबकि भारत से यूके का कुल आयात £26.6 बिलियन था। इससे पता चलता है कि व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है।
- FTA का अनुमानित प्रभाव: यूके सरकार का अनुमान है कि FTA लागू होने के बाद द्विपक्षीय व्यापार में सालाना £25.5 बिलियन की वृद्धि हो सकती है। इस समझौते से लंबी अवधि में यूके की GDP में £4.8 बिलियन और मजदूरी में £2.2 बिलियन सालाना वृद्धि का अनुमान है।
आधिकारिक प्रतिक्रियाएं और विशेषज्ञ विश्लेषण
आधिकारिक उद्धरण
प्रधानमंत्री कार्यालय, 10 डाउनिंग स्ट्रीट द्वारा जारी एक बयान में, कीर स्टारमर ने कहा:
“हमने दिखाया है कि भारत के साथ व्यापार बढ़ाने की हमारी महत्वाकांक्षा की कोई सीमा नहीं है… हमारा सौदा किसी भी देश द्वारा भारत के साथ किया गया सबसे अच्छा समझौता है और यह ब्रिटिश व्यवसायों को एक विशाल और लगातार बढ़ते बाजार तक पहुँचने के लिए कतार में सबसे आगे रखता है।”
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान में कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच “एक दूरंदेशी साझेदारी बनाने के साझा दृष्टिकोण की पुष्टि करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करेगी।”
विशेषज्ञ विश्लेषण
विश्लेषकों का मानना है कि स्टारमर की यात्रा व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी है। वीज़ा जैसे विवादास्पद मुद्दों को अलग रखकर, दोनों पक्ष आर्थिक सहयोग के ठोस लाभों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। FTA के तहत, स्कॉच व्हिस्की, ऑटोमोबाइल, कपड़ा और चमड़े जैसे प्रमुख क्षेत्रों में टैरिफ में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे ब्रिटिश कंपनियों को लाभ होगा, जबकि भारतीय कपड़ा, रत्न और आभूषण और इंजीनियरिंग सामान को यूके के बाजार में बेहतर पहुँच मिलेगी।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि समझौते के पूर्ण लाभों को महसूस करने के लिए गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करना और नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना महत्वपूर्ण होगा।
लोगों पर प्रभाव और आगे क्या देखना है
आम लोगों और व्यवसायों के लिए इसका क्या मतलब है?
अल्पावधि में, इस यात्रा का सबसे बड़ा प्रभाव व्यापारिक समुदाय पर पड़ेगा। FTA के कार्यान्वयन से आयातकों और निर्यातकों दोनों के लिए लागत कम होने की उम्मीद है, जिसका लाभ अंततः उपभोक्ताओं तक पहुँच सकता है। उदाहरण के लिए, व्हिस्की पर भारत का 150% का भारी टैरिफ समझौते के तहत धीरे-धीरे घटकर 40% हो जाएगा, जिससे ब्रिटिश व्हिस्की सस्ती हो जाएगी।
भारतीय पेशेवरों, जैसे कि शेफ, योग प्रशिक्षकों और वास्तुकारों को भी सरलीकृत वीज़ा प्रक्रियाओं से लाभ मिल सकता है, जो समझौते का एक हिस्सा है, भले ही व्यापक वीज़ा उदारीकरण पर कोई चर्चा न हो।
आगे क्या होगा?
- द्विपक्षीय बैठक का परिणाम: 9 अक्टूबर को मोदी और स्टारमर के बीच होने वाली बैठक के बाद जारी होने वाला संयुक्त बयान भविष्य की दिशा तय करेगा। इसमें रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग के नए क्षेत्रों की घोषणा हो सकती है।
- FTA का अनुसमर्थन: दोनों देशों की संसदों द्वारा समझौते का अनुसमर्थन और इसे पूरी तरह से लागू करने की समय-सीमा एक महत्वपूर्ण अगला कदम होगा।
- निवेश घोषणाएँ: इस यात्रा के दौरान कई बड़ी ब्रिटिश कंपनियों द्वारा भारत में नए निवेश की घोषणा करने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की भारत यात्रा एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जहाँ भारत-यूके संबंध भावनाओं से अधिक आर्थिक व्यावहारिकता पर आधारित हैं। वीज़ा पर स्पष्टता और व्यापार पर अटूट ध्यान के साथ, यह यात्रा जुलाई के ऐतिहासिक व्यापार समझौते को एक ठोस वास्तविकता में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जबकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, दोनों देशों का नेतृत्व एक ऐसी साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध प्रतीत होता है जो न केवल उनके अपने नागरिकों के लिए समृद्धि लाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर एक स्थिर और नियम-आधारित व्यवस्था में भी योगदान देगी।