भारत की खेल मंत्रालय ने पाकिस्तान के साथ खेल संबंधों को लेकर अपनी स्पष्ट नीति जारी की है। इस नई नीति के अनुसार भारतीय टीमें पाकिस्तान में नहीं खेलेंगी और पाकिस्तानी टीमों को भारत में खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय और बहुपक्षीय टूर्नामेंट्स में भाग ले सकेंगे। युवा कार्य और खेल मंत्रालय द्वारा 20 अगस्त को जारी इस दस्तावेज का एशिया कप 2025 जैसे आगामी टूर्नामेंट्स पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
खेल मंत्रालय के इस फैसले में द्विपक्षीय खेल आयोजनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। मंत्रालय के अधिकारिक बयान के अनुसार, “जहां तक एक-दूसरे के देश में द्विपक्षीय खेल आयोजनों का सवाल है, भारतीय टीमें पाकिस्तान में प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेंगी। न ही हम पाकिस्तानी टीमों को भारत में खेलने की अनुमति देंगे।” यह निर्णय भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स के संबंध में मंत्रालय ने अधिक लचीला रुख अपनाया है। मंत्रालय का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय और बहुपक्षीय आयोजनों के मामले में भारत अंतर्राष्ट्रीय खेल संस्थाओं की प्रथाओं और अपने खिलाड़ियों के हितों से निर्देशित होगा। इसका मतलब यह है कि भारतीय टीमें और व्यक्तिगत खिलाड़ी उन अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भाग ले सकेंगे जिनमें पाकिस्तान की टीमें या खिलाड़ी भी शामिल हों।
इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पाकिस्तानी खिलाड़ी और टीमें भारत द्वारा आयोजित बहुपक्षीय इवेंट्स में भाग ले सकेंगी। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि “इसी तरह, पाकिस्तानी खिलाड़ी और टीमें भारत द्वारा आयोजित ऐसे बहुपक्षीय आयोजनों में भाग ले सकेंगी।” यह निर्णय भारत की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतिष्ठा और मेजबानी क्षमता को दर्शाता है।
एशिया कप 2025 के संदर्भ में इस नीति का व्यापक प्रभाव होगा। चूंकि एशिया कप एक बहुपक्षीय टूर्नामेंट है, इसलिए भारत और पाकिस्तान दोनों देश इसमें भाग ले सकेंगे। हालांकि यदि यह टूर्नामेंट पाकिस्तान में आयोजित होता है, तो भारतीय टीम की भागीदारी संदेहास्पद हो सकती है। वर्तमान में एशिया कप की मेजबानी को लेकर एशियाई क्रिकेट परिषद में चर्चा जारी है।
भारत-पाकिस्तान के बीच खेल संबंधों का इतिहास काफी जटिल रहा है। 2008 में मुंबई आतंकी हमलों के बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट श्रृंखला लगभग बंद हो गई है। केवल ICC और ACC के बहुपक्षीय टूर्नामेंट्स में ही दोनों देशों की टीमें एक-दूसरे के खिलाफ खेल पाती हैं। 2012-13 में भारत की पाकिस्तान यात्रा के बाद से कोई द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं हुई है।
राजनीतिक तनाव का खेलों पर प्रभाव निरंतर दिखाई देता रहा है। 2016 में उरी हमले के बाद भारत ने SAARC सम्मेलन में भाग लेने से इनकार कर दिया था। इसी तरह 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने विश्व कप में पाकिस्तान के साथ मैच न खेलने की मांग की थी, हालांकि बाद में ICC के दबाव में यह मैच खेला गया था।
खेल मंत्रालय की इस नई नीति में अंतर्राष्ट्रीय खेल अधिकारियों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने पर भी जोर दिया गया है। मंत्रालय का लक्ष्य भारत में प्रमुख खेल आयोजनों को आकर्षित करना और अंतर्राष्ट्रीय खेल अधिकारियों की यात्रा के दौरान उचित प्रोटोकॉल सुनिश्चित करना है। यह पहल भारत को एक विश्वसनीय खेल मेजबान के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
भारतीय खेल जगत में इस नीति को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। कुछ पूर्व खिलाड़ी और विशेषज्ञ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं, वहीं कुछ का मानना है कि खेल को राजनीति से अलग रखना चाहिए। हरभजन सिंह जैसे पूर्व खिलाड़ियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के लिए भी यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। ICC को अपने सभी सदस्य देशों के हितों का संतुलन बनाना पड़ता है। भारत ICC की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, जबकि पाकिस्तान भी एक महत्वपूर्ण सदस्य है। ऐसे में ICC को दोनों देशों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।
वर्तमान नीति का प्रभाव केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं है। हॉकी, बैडमिंटन, कबड्डी और अन्य खेलों पर भी इसका असर होगा। साउथ एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स जैसे बहुपक्षीय आयोजनों में दोनों देश भाग ले सकेंगे, लेकिन द्विपक्षीय प्रतियोगिताएं बंद रहेंगी।
भविष्य में इस नीति में बदलाव की संभावना राजनीतिक स्थिति पर निर्भर करेगी। यदि दोनों देशों के बीच संबंध सुधरते हैं, तो खेल मंत्रालय अपनी नीति में संशोधन कर सकता है। हालांकि वर्तमान परिस्थितियों में ऐसा होना कठिन दिखता है।
इस नीति से भारतीय खिलाड़ियों को नुकसान भी हो सकता है। पाकिस्तान में खेलने का अनुभव न मिल पाना और नियमित प्रतिस्पर्धा का अभाव उनके विकास को प्रभावित कर सकता है। वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देना भी आवश्यक है।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि खेल मंत्रालय की यह नई नीति भारत-पाकिस्तान खेल संबंधों की वर्तमान वास्तविकता को दर्शाती है। द्विपक्षीय खेलों पर प्रतिबंध के साथ अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में भागीदारी की अनुमति एक संतुलित दृष्टिकोण प्रतीत होता है। एशिया कप 2025 और भविष्य के अन्य टूर्नामेंट्स में इस नीति का व्यावहारिक प्रभाव देखने को मिलेगा।