
जापान में इस्लाम धर्म अब सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म बन गया है। हाल की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2019 के बीच जापान में मुस्लिम आबादी में लगभग 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले एक दशक में देश की मुस्लिम जनसंख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि जापान में रहने वाले लगभग 95 प्रतिशत मुस्लिम विदेशी मूल के हैं।
यह आंकड़ा जापानी समाज में धार्मिक विविधता की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है। पारंपरिक रूप से बौद्ध और शिंतो धर्म के प्रभुत्व वाले इस देश में इस्लाम का तेजी से फैलाव एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन का संकेत है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि यह वृद्धि मुख्य रूप से श्रम प्रवासन, शिक्षा और व्यावसायिक अवसरों के कारण हुई है।
जापान सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2010 में देश में लगभग 1,85,000 मुस्लिम निवासी थे। 2019 तक यह संख्या बढ़कर 2,30,000 के करीब पहुंच गई। यह वृद्धि मुख्यतः दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व से आने वाले प्रवासियों के कारण हुई है। इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान और तुर्की से आने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है।
टोक्यो और ओसाका जैसे प्रमुख शहरों में मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति सबसे अधिक देखी गई है। राजधानी टोक्यो में अकेले लगभग 70,000 मुस्लिम निवासी हैं। यहां कई मस्जिदें, हलाल रेस्टोरेंट और इस्लामिक सेंटर स्थापित हो चुके हैं। शिबुया, हारजुकू और अकिहाबारा जैसे इलाकों में हलाल फूड की दुकानें तेजी से बढ़ रही हैं।
जापानी विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों की बढ़ती संख्या भी इस वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। टोक्यो यूनिवर्सिटी, वासेदा यूनिवर्सिटी और केयो यूनिवर्सिटी में मुस्लिम छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन छात्रों के लिए कैंपस में नमाज की सुविधा और हलाल खाना उपलब्ध कराया जा रहा है।
औद्योगिक क्षेत्र में भी मुस्लिम श्रमिकों की मांग बढ़ी है। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और निर्माण उद्योग में कुशल मुस्लिम कामगारों को रोजगार मिल रहा है। टोयोटा, होंडा और सोनी जैसी कंपनियों में मुस्लिम कर्मचारियों के लिए धार्मिक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में जापान का रुख काफी उदार है। देश के संविधान में धार्मिक अधिकारों की गारंटी दी गई है। सरकार ने मुस्लिम समुदाय के लिए विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाए हैं। हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों पर नमाज की व्यवस्था की गई है।
पर्यटन उद्योग भी इस बदलाव से प्रभावित हुआ है। जापान में मुस्लिम पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हलाल सर्टिफाइड होटल और रेस्टोरेंट की संख्या में वृद्धि हुई है। टोक्यो ओलंपिक 2021 के दौरान मुस्लिम एथलीटों और दर्शकों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी।
शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव आया है। कई जापानी स्कूलों और कॉलेजों में इस्लामिक स्टडीज के कोर्स शुरू हुए हैं। मुस्लिम बच्चों के लिए धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। कुछ प्राइवेट स्कूलों में इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार छुट्टियों का प्रावधान किया गया है।
स्थानीय जापानी समुदाय का रवैया भी सकारात्मक रहा है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते हैं। मुस्लिम त्योहारों जैसे ईद और रमजान के दौरान स्थानीय लोग भी उत्सव में शामिल होते हैं। इंटर-फेथ डायलॉग की गतिविधियां भी बढ़ी हैं।
व्यावसायिक अवसरों के साथ-साथ जापान की आर्थिक नीतियों ने भी इस वृद्धि में योगदान दिया है। देश की एजिंग पॉपुलेशन और श्रम शक्ति की कमी के कारण विदेशी कामगारों की आवश्यकता बढ़ी है। सरकार ने वर्क वीजा की प्रक्रिया को आसान बनाया है।
तकनीकी क्षेत्र में भी मुस्लिम प्रोफेशनल्स की मांग है। IT, इंजीनियरिंग और रिसर्च के क्षेत्र में उनका योगदान महत्वपूर्ण है। सिलिकॉन वैली की तर्ज पर जापान भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने में सफल हो रहा है।
सामाजिक एकीकरण की प्रक्रिया भी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। मुस्लिम कम्युनिटी सेंटर और इस्लामिक असोसिएशन सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। ये संस्थाएं नए आने वाले लोगों की मदद करती हैं और जापानी भाषा सिखाने के कार्यक्रम चलाती हैं।
जापान में इस्लाम की बढ़ती लोकप्रियता एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। यह वैश्वीकरण के युग में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता की सफल मिसाल है। आने वाले वर्षों में यह प्रवृत्ति और भी तेज होने की संभावना है।