राजस्थान के जोधपुर जिले में आज 25 अगस्त 2025 को बाबा रामदेव मसूरिया मेला (बाबा री बीज) के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इस विशेष दिन पर मसूरिया स्थित प्रसिद्ध बाबा बालिनाथ मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। यह मेला राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है, जिसके कारण प्रशासन ने इस दिन को विशेष छुट्टी घोषित करने का निर्णय लिया है।
मसूरिया का बाबा बालिनाथ मंदिर राजस्थान के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां देश भर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बाबा रामदेव, जिन्हें रामसा पीर के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान की लोक संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इनकी समाधि रुणिचा में स्थित है, लेकिन राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में इनके मंदिर और स्मारक बने हुए हैं।
जोधपुर जिला प्रशासन द्वारा इस सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को बिना किसी बाधा के मेले में भाग लेने का अवसर प्रदान करना है। इस दिन सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे, जिससे स्थानीय निवासी और आसपास के क्षेत्रों के लोग आसानी से मेले में भाग ले सकें। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि यह निर्णय स्थानीय जनता की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया गया है।
बाबा रामदेव मसूरिया मेला राजस्थान की प्राचीन परंपराओं में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह मेला हर वर्ष भाद्रपद मास की द्वादशी को मनाया जाता है, जिसे बाबा री बीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को बाबा रामदेव के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन बाबा रामदेव का आशीर्वाद पाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मेले के दौरान बाबा बालिनाथ मंदिर का माहौल अत्यंत भक्तिमय हो जाता है। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं और बाबा से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय कलाकार राजस्थानी लोक संगीत और भजनों से माहौल को भक्तिमय बनाते हैं।
इस वर्ष के मेले में विशेष व्यवस्थाओं का आयोजन किया गया है। स्थानीय प्रशासन ने मंदिर के आसपास पार्किंग की उचित व्यवस्था की है और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी, चिकित्सा सुविधा और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था भी की गई है।
बाबा रामदेव का जीवन चरित्र अत्यंत प्रेरणादायक है। वे 14वीं शताब्दी में राजस्थान के पोकरण में जन्मे थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा और धर्म प्रचार में समर्पित किया। उन्होंने जाति-पाति के भेदभाव को मिटाने का कार्य किया और सभी धर्मों के लोगों में एकता का संदेश दिया। इसी कारण आज भी हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं।
मसूरिया मेले की एक विशेषता यह है कि यहां केवल धार्मिक गतिविधियां ही नहीं होतीं, बल्कि राजस्थानी संस्कृति का भव्य प्रदर्शन भी देखने को मिलता है। मेले में पारंपरिक राजस्थानी वस्त्र, हस्तशिल्प, आभूषण और स्थानीय व्यंजनों की दुकानें लगती हैं। यह मेला स्थानीय कारीगरों और व्यापारियों के लिए आर्थिक अवसर भी प्रदान करता है।
राजस्थान सरकार द्वारा इस तरह के धार्मिक मेलों को बढ़ावा देना राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संजोने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देता है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाता है। मेले के दौरान आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु स्थानीय होटल, रेस्तरां और दुकानों से खरीदारी करते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों को लाभ होता है।
इस वर्ष कोविड-19 के बाद पहली बार मेला अपने पूर्ण स्वरूप में आयोजित हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में महामारी के कारण मेले का आयोजन सीमित पैमाने पर किया जा रहा था, लेकिन इस बार प्रशासन ने सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ मेले को पूर्ण रूप से मनाने की अनुमति दी है। इसके लिए विशेष स्वास्थ्य जांच केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
मेले में आने वाले श्रद्धालुओं में न केवल राजस्थान के निवासी शामिल हैं, बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से भी लोग यहां पहुंच रहे हैं। बाबा रामदेव की महिमा और इस मंदिर की पवित्रता की चर्चा देश भर में फैली हुई है, जिसके कारण दूर-दराज से लोग यहां आते हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह मेला उनकी सांस्कृतिक पहचान का एक अभिन्न अंग है। पीढ़ियों से उनके पूर्वज इस मेले में भाग लेते आए हैं और यह परंपरा आज भी जीवित है। युवा पीढ़ी भी इस मेले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है और अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव महसूस करती है।
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस मेले के सफल आयोजन के लिए महीनों पहले से तैयारी शुरू कर दी गई थी। मंदिर और आसपास के क्षेत्र की साफ-सफाई, सड़कों की मरम्मत, बिजली की उचित व्यवस्था और सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा मेले के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था भी की गई है।
बाबा रामदेव मसूरिया मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की समग्र सांस्कृतिक परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। इस मेले के माध्यम से आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़ी रहती हैं और राजस्थानी संस्कृति की महानता को समझती हैं। आज के आधुनिक युग में भी इस तरह के पारंपरिक मेलों का आयोजन दिखाता है कि राजस्थान अपनी सांस्कृतिक विरासत को कितनी गंभीरता से संजो रहा है।