पहले छह महीनों में ही 2025 का जॉब मार्केट करवट बदल चुका है। LinkedIn की मिड-ईयर रिपोर्ट (अप्रैल-जून) बताती है कि मैथेमेटिक्स स्पेशलिस्ट पद की मांग पिछली तिमाही की तुलना में 3.3 गुना बढ़ गई है, जिससे यह सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली नौकरी बन गई है। इस लिस्ट में मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट, परफॉर्मेंस मैनेजर और कॉन्ट्रैक्ट एडमिनिस्ट्रेटर जैसे रोल भी शीर्ष पर नज़र आ रहे हैं।
रिपोर्ट का यह डेटा भारत समेत वैश्विक कॉर्पोरेट माहौल में कौशल-आधारित भर्ती पर बढ़ते ज़ोर को रेखांकित करता है। खास बात यह है कि गणित और डेटा से जुड़े प्रोफेशन न सिर्फ टेक कंपनियों बल्कि BFSI, ई-कॉमर्स और हेल्थकेयर तक में मौके खोल रहे हैं।
अब विस्तार से समझिए कि यह बूम क्यों आया, कौन-कौन से क्षेत्र प्रभावित हुए और नौकरी-खोजने वालों को आगे क्या रणनीति अपनानी चाहिए।
कॉर्पोरेट बोर्डरूम से क्लासरूम तक गणित का दखल
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग-डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों ने संगठनों को रीयल-टाइम निर्णय लेने में सक्षम बनाया। इन उद्देश्यों के लिए कंपनियाँ उन पेशेवरों को प्राथमिकता दे रही हैं जो जटिल गणितीय मॉडल बना सकें और अनिश्चितता को मात्रात्मक रूप से माप सकें। यही वजह है कि मैथेमेटिक्स स्पेशलिस्ट, डेटा साइंस स्पेशलिस्ट और स्टैटिस्टिशियन प्रोफाइल एक साथ उभर रहे हैं।
रिक्रूटमेंट प्लेटफॉर्म का रूख
LinkedIn के अनुसार, तेज़ी से बढ़ने वाली शीर्ष 10 नौकरियों में क्रमशः माँग और वृद्धि इस प्रकार रिकॉर्ड हुई—मैथेमेटिक्स स्पेशलिस्ट (3.3×), मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट (3.1×), परफॉर्मेंस मैनेजर (2.5×) और डेटा साइंस स्पेशलिस्ट (2.0×) आदि। वहीं ‘सबसे अधिक पोस्ट की जाने वाली’ पारंपरिक नौकरियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सेल्सपर्सन और नर्स जैसे रोल अब भी ऊपरी पायदान पर टिके हुए हैं, हालाँकि उनके भीतर रैंक बदलाव देखने को मिले हैं।
मेंटल वेलनेस पर फोकस
महामारी के बाद से कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ पर कॉर्पोरेट निवेश लगातार बढ़ा है। रिपोर्ट दिखाती है कि मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट की माँग 3.1 गुना उछली, जो कंपनियों की ‘पीपल-फर्स्ट’ नीति को मजबूत करती है। इससे काउंसलिंग साइकॉलजिस्ट, वेलनेस कोच और कॉर्पोरेट थेरेपिस्ट जैसे रोल्स को भी गति मिली है।
रिटेल और सप्लाई-चेन की वापसी
स्टॉक एसोसिएट, मर्चेंडाइज़ एसोसिएट और मीट-कट्टर जैसे रोल्स की डिमांड लगभग दोगुनी हुई है, जो बताता है कि ऑफ़लाइन रिटेल और क्विक-कॉमर्स सेक्टर महामारी से उबर कर विस्तार कर रहे हैं। सप्लाई-चेन में ऑटोमेशन बढ़ने के बावजूद फ्रंटलाइन भूमिकाएँ अभी भी अहम बनी हुई हैं।
भारत में करियर स्कोप
स्थानीय जॉब पोर्टलों पर भी गणित विशेषज्ञों की वैकेंसी बढ़ रही है। स्कूल-कॉलेज से लेकर बीमा, बैंकिंग, एनालिटिक्स और एड-टेक कंपनियाँ गणित में दक्ष पेशेवरों को आकर्षक पैकेज दे रही हैं। एक्चुअरी, सांख्यिकीविद्, डेटा वैज्ञानिक और फाइनेंशियल एनालिस्ट जैसे प्रोफाइल में 25-30 लाख रुपये वार्षिक तक के पैकेज आम होते जा रहे हैं।
स्किल-अपग्रेड का सही समय
यदि आप जॉब बदलने या करियर की शुरुआत करने की सोच रहे हैं तो यह वक़्त प्रासंगिक सर्टिफिकेशन जोड़ने का है। डेटा विज़ुअलाइज़ेशन, प्रोग्रामिंग (Python/ R) और मशीन लर्निंग के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल पर भी काम करें, क्योंकि कंपनियाँ बहु-आयामी प्रोफेशनल तलाश रही हैं। LinkedIn प्रोफ़ाइल में ‘मैथेमेटिकल मॉडलिंग’, ‘डेटा एनालिटिक्स’ और ‘बिज़नेस इम्पैक्ट’ जैसे कीवर्ड जोड़ने से सर्च-विज़िबिलिटी बढ़ती है।
भविष्य की झलक
विशेषज्ञ मानते हैं कि 2026 तक हर दूसरे मिड-टियर संगठन में एक समर्पित क्वांटिटेटिव एनालिटिक्स टीम होगी, जहाँ मैथेमेटिक्स स्पेशलिस्ट प्रमुख भूमिका निभाएगा। अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो भी गणित-संबंधी नौकरियों में 31% तक वार्षिक वृद्धि का अनुमान दे चुका है। भारत में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (UPI, ONDC) के विस्तार से भी डेटा मॉडलिंग की खपत बढ़ेगी, जो इस ट्रेंड को और तेज़ करेगा।
उम्मीदवारों के लिए अहम सलाह
हर नौकरी आवेदन को ‘डेटा-ड्रिवन इम्पैक्ट’ की कहानियों से सजाएँ। उदाहरण के लिए—‘प्राकृतिक भाषा मॉडल अनुकूलित कर 15% प्रोसेस टाइम घटाया’—इस तरह के वाक्य भर्तीकर्ता का ध्यान खींचते हैं। साथ ही, मेंटल हेल्थ या ESG प्रोजेक्ट में योगदान रहा हो तो उसे हाइलाइट करें; यह आज की कॉर्पोरेट प्राथमिकताओं से मेल खाता है।
निष्कर्ष
LinkedIn रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि मैथेमेटिक्स स्पेशलिस्ट जैसे विशुद्ध कौशल-आधारित रोल अब मुख्यधारा में आ चुके हैं और निकट भविष्य में इनकी मांग कम होने वाली नहीं है। यदि आपने विश्लेषण, समस्या-समाधान और संख्या-पठनीयता जैसे बेसिक गुणों पर पकड़ बनाई है, तो 2025-26 आपके लिए अवसरों की सौगात लेकर आएगा।