
गुजरात, साणंद | 28 अगस्त 2025
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को साणंद में CG Semi का पायलट OSAT संयंत्र (G1 फ़ैसिलिटी) राष्ट्र को समर्पित किया। उद्घाटन के मंच से उन्होंने ऐलान किया कि इसी लाइन से प्रति दिन पाँच लाख ‘मेड-इन-इंडिया’ चिप तैयार होंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही देश की पहली स्वदेशी चिप जनता को समर्पित करेंगे। खबर के सामने आते ही CG Power and Industrial Solutions के शेयर शुक्रवार की बाज़ार बंदि पर 4.6 फ़ीसदी चढ़े।
CG Semi की क्षमता और योजना
CG Power (भारत) की अगुआई में Renesas Electronics USA और Stars Microelectronics Thailand के साथ बने संयुक्त उपक्रम ने लगभग ₹7,600 करोड़ के निवेश से 28–32 एकड़ में दो-चरणी इकाई की रूपरेखा तैयार की है।
- G1 पायलट लाइन: 0.5 मिलियन (5 लाख) चिप/दिन – उत्पादन शीघ्र प्रारंभ।
- G2 मुख्य संयंत्र: निर्माण 2026 से, पूर्ण उत्पादन 2027 से; क्षमता ~14.5 मिलियन चिप/दिन।
सरकार की इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) इस परियोजना के पात्र पूंजीगत व्यय पर 50% तक सहायता दे रही है, जिससे लागत का बड़ा भार घटेगा।
राष्ट्रीय अर्धचालक यात्रा में पड़ाव
मंत्री वैष्णव ने बताया कि पास के माइक्रोन, कायन्स टेक्नोलॉजी, और धोलेरा-स्थित टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की पायलट लाइनों पर भी तेज़ काम चल रहा है। कुल दस स्वीकृत सेमीकंडक्टर परियोजनाएँ अब छह राज्यों में ₹1.60 लाख करोड़ के सामूहिक निवेश तक पहुँची हैं और 2032 तक अनुमानित 10 लाख वैश्विक पेशेवर-घाटे को पाटने के लिए 270 भारतीय विश्वविद्यालयों में डिज़ाइन टूल उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
वित्तीय-औद्योगिक प्रभाव
- प्रतिदिन बनने वाली करोड़ों चिप से आयात-निर्भरता घटेगी और रक्षा, ऑटो, टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों को सुरक्षित सप्लाई चेन मिलेगी।
- अनुमानित 2,000 से अधिक प्रत्यक्ष कौशल रोजगार एवं हज़ारों परोक्ष अवसर सृजित होंगे।
- ‘मेक-इन-इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ अभियानों को वैश्विक प्रतिस्पर्धी बढ़त मिलेगी, जिससे भारत को “प्रोडक्ट नेशन” के रूप में पहचान मिलेगी।
उद्योग-सरकार साझेदारी का प्रतिमान
CG Power के चेयरमैन वेल्लैयन सुबय्या ने समारोह में कहा, “यह सिर्फ़ CG का नहीं, राष्ट्रीय मील का पत्थर है। आज की शुरुआत को टिकाऊ सफलता में बदलने के लिए हमें एक-दूसरे का साथ देना होगा और ‘भारत में बने चिप’ अपनाने होंगे।”
आगे का रास्ता
माइक्रोन की पायलट लाइन दिसंबर-जनवरी 2026 तक उत्पादन शुरू कर सकती है, जबकि असम स्थित केयन्स और अन्य इकाइयाँ भी वर्षांत तक लाइन चालू करने की दिशा में बढ़ रही हैं। इन संयुक्त प्रयासों से भारत विश्व-स्तर पर अर्धचालक विनिर्माण का नया हब बनने की दिशा में तीव्र गति से अग्रसर है।
समापन
साणंद से निकला यह पहला स्वदेशी चिप भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता युग का उद्घोष करेगा—एक ऐसा क्षण जहाँ सरकार, उद्योग और अकादमिक जगत की साझा मेहनत देश को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार कर रही है।