
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ टोक्यो से सेंडाई तक की प्रतिष्ठित शिंकानसेन बुलेट ट्रेन में यात्रा की। 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के तहत दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर जापान पहुंचे पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सेंडाई पहुंच गया। पीएम इशिबा के साथ शिंकानसेन में इस शहर तक की यात्रा की।” सेंडाई पहुंचने पर भारतीय प्रवासियों और स्थानीय शुभचिंतकों ने “मोदी-सान, स्वागत!” के नारों से उनका हार्दिक स्वागत किया।
दोनों देशों के बीच बढ़ती मित्रता का यह प्रतीकात्मक क्षण तब सामने आया जब दोनों नेताओं ने बुलेट ट्रेन की यात्रा के दौरान तस्वीरें साझा कीं। जापानी प्रधानमंत्री इशिबा ने एक्स पर जापानी भाषा में लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेंडाई की ओर। कल रात से निरंतर, मैं ट्रेन के अंदर से उनके साथ हूं।” इस यात्रा का महत्व केवल परिवहन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारत और जापान के बीच तकनीकी सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
सेंडाई पहुंचने के बाद दोनों नेताओं ने पूर्वी जापान रेलवे कंपनी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे भारतीय लोको पायलटों से मुलाकात की। उन्होंने नवीनतम अल्फा-एक्स ट्रेन का भी अवलोकन किया और पूर्वी जापान रेलवे कंपनी के अध्यक्ष से बुलेट ट्रेन की तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। यह मुलाकात भारत में चल रहे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, जहां जापानी तकनीक और विशेषज्ञता का उपयोग हो रहा है।
मियागी प्रिफेक्चर में स्थित सेंडाई के पास एक अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रिकेशन प्लांट का दौरा पीएम मोदी की यात्रा का मुख्य उद्देश्य था। यह सुविधा ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (पीएसएमसी) द्वारा एसबीआई होल्डिंग्स और जापानी हितधारकों के साथ संयुक्त उद्यम जापान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (जेएसएमसी) के तहत विकसित की जा रही है। ओहिरा गांव के द्वितीय उत्तरी सेंडाई केंद्रीय औद्योगिक पार्क में निर्मित यह सुविधा जापान के चिप-निर्माण उद्योग को पुनर्जीवित करने की दिशा में सबसे बड़े प्रयासों में से एक है।
इससे पहले दिन में, पीएम मोदी ने टोक्यो में 16 जापानी प्रिफेक्चर के गवर्नरों के साथ बैठक की और व्यापार, नवाचार, स्टार्टअप और उभरती प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में अंतर-क्षेत्रीय साझेदारी की परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित किया। सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा, “आज सुबह मैंने टोक्यो में जापान के 16 प्रिफेक्चर के गवर्नरों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। राज्यों और प्रिफेक्चर के बीच सहयोग भारत और जापान के बीच मित्रता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।”
कल आयोजित 15वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन में इस अंतर-क्षेत्रीय सहयोग पर एक पहल शुरू की गई थी। व्यापार, नवाचार और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं, और स्टार्टअप, प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे उन्नत क्षेत्र दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होंगे। यह बैठक 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के व्यापक एजेंडे का हिस्सा थी, जहां दोनों पक्षों ने उप-राष्ट्रीय सहयोग को संस्थागत बनाने और विस्तार देने के लिए राज्य-प्रिफेक्चर साझेदारी पहल शुरू की।
भारत और जापान के बीच आर्थिक सुरक्षा पर घनिष्ठ सहयोग के संदर्भ में यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। इसमें सेमीकंडक्टर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, महत्वपूर्ण खनिज और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और भू-राजनीतिक तनाव के बीच, दोनों देश प्रौद्योगिकी और रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी स्वतंत्रता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
शुक्रवार को दो दिवसीय यात्रा पर जापान पहुंचे पीएम मोदी ने दिल्ली और टोक्यो के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर ध्यान दिया। इस दौरान भारत और जापान ने “भारत-जापान अगले दशक के लिए संयुक्त दृष्टिकोण: विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को दिशा देने के लिए आठ दिशाएं” शीर्षक से एक संयुक्त दृष्टिकोण अपनाया और सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
दोनों देशों ने चंद्रयान-5 मिशन के लिए कार्यान्वयन व्यवस्था पर भी हस्ताक्षर किए। यह दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा चांद के ध्रुवीय क्षेत्र की संयुक्त खोज का महत्वाकांक्षी मिशन है। यह समझौता भारत और जापान के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एक नया अध्याय खोलता है और दोनों देशों की वैज्ञानिक क्षमताओं को एक साथ लाने का प्रयास है।
भारत-जापान संबंधों का यह नवीनतम चरण व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है, जो दोनों देशों के बीच 2011 से प्रभावी है। यह समझौता व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति का आधार बना है। जापान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण निवेशक और प्रौद्योगिकी साझीदार के रूप में उभरा है।
बुलेट ट्रेन परियोजना के अलावा, दोनों देश बुनियादी ढांचे, रक्षा, और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर भारत में जापानी तकनीकी विशेषज्ञता और वित्तीय सहायता का एक प्रमुख उदाहरण है। इस परियोजना में जापान की ओर से 88,000 करोड़ रुपये की सॉफ्ट लोन सहायता प्रदान की जा रही है।
सेंडाई में सेमीकंडक्टर प्लांट का दौरा इस बात का प्रतीक है कि दोनों देश कैसे भविष्य की तकनीकों में साझेदारी कर रहे हैं। वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी के बाद, दोनों देश इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर केंद्रित हैं। भारत का सेमीकंडक्टर मिशन और जापान की पुनरुत्थान योजना के बीच तालमेल से दोनों देशों को लाभ होने की उम्मीद है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के संदर्भ में भारत-जापान सुरक्षा सहयोग भी महत्वपूर्ण है। दोनों देश क्वाड (भारत, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) के सदस्य हैं और समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में सहयोग कर रहे हैं। नवीन सुरक्षा घोषणा इस दिशा में एक और कदम है।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। जापान भारत के अंतर्राष्ट्रीय सोलर एलायंस का सक्रिय सदस्य है और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहा है। पेरिस समझौते के तहत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दोनों देश नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता में साझेदारी को आगे बढ़ा रहे हैं।
आज दोपहर बाद पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए चीन की यात्रा करेंगे। यह दिखाता है कि भारत कैसे विभिन्न मंचों पर अपनी कूटनीति को संतुलित कर रहा है। जापान के साथ रणनीतिक साझेदारी और चीन के साथ व्यावहारिक जुड़ाव भारत की बहुध्रुवीय विदेश नीति का हिस्सा है।
इस तरह टोक्यो से सेंडाई तक की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन यात्रा केवल दो नेताओं की यात्रा नहीं थी, बल्कि भारत-जापान संबंधों के नए आयाम और भविष्य की संभावनाओं का प्रतीक थी।