केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में एक बड़ी क्रांति का संकेत देते हुए घोषणा की है कि अगले चार से छह महीनों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की कीमत पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के बराबर हो जाएगी।1 20वें फिक्की उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन 2025 में बोलते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह परिवर्तन न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि आर्थिक रूप से भी अनिवार्य है।2 इस घोषणा से भारत के विशाल ऑटोमोबाइल बाजार और उपभोक्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई है, जिसे EV Price Parity (ईवी मूल्य समानता) हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।3
श्री गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों के भीतर भारत को दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल विनिर्माण केंद्र बनाना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य देश की बढ़ती विनिर्माण क्षमता, कुशल कार्यबल और सरकार की सहायक नीतियों पर आधारित है।
मुख्य तथ्य / त्वरित जानकारी
- मूल्य समानता की समय सीमा: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, इलेक्ट्रिक और पेट्रोल वाहनों की लागत अगले 4-6 महीनों में बराबर हो जाएगी।4 (स्रोत: फिक्की शिखर सम्मेलन, 6 अक्टूबर 2025)
- बैटरी लागत में भारी गिरावट: ईवी की कुल लागत का लगभग 40-50% हिस्सा बैटरी का होता है।5 बैटरी की कीमतें, जो पहले लगभग $150 प्रति किलोवाट-घंटा थीं, अब घटकर $55-$65 प्रति किलोवाट-घंटा के बीच आ गई हैं, जिससे ईवी सस्ती हो रही हैं।6 (स्रोत: विभिन्न मीडिया रिपोर्टें, अक्टूबर 2025)
- सरकारी प्रोत्साहन: सरकार FAME-II (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के माध्यम से ईवी अपनाने को बढ़ावा दे रही है।7 ईवी पर जीएसटी केवल 5% है, जबकि पेट्रोल कारों पर यह 28% तक है।8 (स्रोत: भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार)
- ऑटो उद्योग का लक्ष्य: भारत का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में चीन और अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का नंबर एक ऑटोमोबाइल उद्योग बनना है। वर्तमान में भारतीय ऑटो उद्योग का आकार ₹22 लाख करोड़ है।9 (स्रोत: द इकोनॉमिक टाइम्स)
- आयात बिल में कमी: भारत वर्तमान में जीवाश्म ईंधन के आयात पर सालाना लगभग ₹22 लाख करोड़ खर्च करता है।10 ईवी को अपनाने से इस आयात बिल को कम करने और देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी। (स्रोत: Trak.in)
पृष्ठभूमि / क्या हुआ?
सोमवार, 6 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित 20वें फिक्की उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह भविष्यदर्शी बयान दिया। उन्होंने कहा, “अगले 4-6 महीनों के भीतर, इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत पेट्रोल वाहनों की लागत के बराबर हो जाएगी।”
यह घोषणा उस समय आई है जब भारत अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक बड़ा कदम बढ़ा रहा है। लंबे समय से, इलेक्ट्रिक वाहनों की ऊंची अग्रिम लागत भारत में बड़े पैमाने पर इसे अपनाने में सबसे बड़ी बाधा रही है। मूल्य समानता इस बाधा को दूर कर सकती है और लाखों भारतीयों के लिए ईवी को एक व्यावहारिक विकल्प बना सकती है।
नवीनतम डेटा और सांख्यिकी
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी यह पारंपरिक वाहन बाजार का एक छोटा सा हिस्सा है।
- बिक्री के आंकड़े (Q1 2025-26): सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के आंकड़ों के अनुसार, 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में कुल 10,11,882 यात्री वाहन बेचे गए।11 हालांकि, इस रिपोर्ट में ईवी की बिक्री के अलग-अलग आंकड़े स्पष्ट रूप से नहीं दिए गए हैं, लेकिन उद्योग के रुझान बताते हैं कि ईवी की बिक्री में साल-दर-साल उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
- लागत विश्लेषण (5-वर्षीय): एक अनुमानित विश्लेषण से पता चलता है कि 5 वर्षों की अवधि में एक ईवी का मालिक होने की कुल लागत पेट्रोल कार की तुलना में काफी कम है।12 नीचे दी गई तालिका एक अनुमान प्रस्तुत करती है:
लागत घटक | ईवी (2025 अनुमान) | पेट्रोल कार (2025 अनुमान) | ईवी से बचत |
अग्रिम लागत | ₹9,50,000 | ₹8,00,000 | -₹1,50,000 |
ईंधन/ऊर्जा लागत (प्रति किमी) | ₹1.2 | ₹7.5 | ₹6.3 प्रति किमी |
वार्षिक रखरखाव | ₹6,000 | ₹15,000 | ₹9,000 प्रति वर्ष |
सरकारी प्रोत्साहन | ₹1,50,000 | ₹0 | ₹1,50,000 |
5 वर्षों में कुल लागत | ₹6,20,000 | ₹9,80,000 | ₹3,60,000 की बचत |
- बैटरी लागत में गिरावट: ईवी की कीमतों में कमी का सबसे बड़ा कारण बैटरी प्रौद्योगिकी में प्रगति और स्थानीय विनिर्माण है। लिथियम-आयन बैटरी पैक की वैश्विक औसत कीमतें 2010 में $1,100/kWh से घटकर 2024 में लगभग $132/kWh हो गई हैं। श्री गडकरी के बयान के अनुसार, भारत में यह लागत अब $55-$65/kWh के करीब पहुंच रही है, जो एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।13
आधिकारिक प्रतिक्रियाएं और उद्धरण
इस घोषणा पर सरकार और उद्योग जगत से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में कहा:
“सरकार की नीति आयात का विकल्प, लागत-प्रभावशीलता, प्रदूषण-मुक्त और स्वदेशी उत्पादन है… हमारा लक्ष्य पांच वर्षों के भीतर भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग को दुनिया में नंबर एक बनाना है… यह मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं है।”
यह बयान ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
विशेषज्ञ विश्लेषण
उद्योग विशेषज्ञ इस घोषणा को लेकर आशान्वित लेकिन सतर्क हैं। कई लोगों का मानना है कि 4-6 महीने की समय-सीमा महत्वाकांक्षी है, लेकिन असंभव नहीं।
S&P ग्लोबल मोबिलिटी के निदेशक, पुनीत गुप्ता का मानना है कि मूल्य समानता विशेष रूप से प्रवेश-स्तर के ईवी सेगमेंट को प्रभावित करेगी, जहां ग्राहक मूल्य के प्रति सचेत होते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों पर जीएसटी दरों में हालिया कटौती ईवी की गति को थोड़ा धीमा कर सकती है।
एक अन्य विशेषज्ञ, जो Team-BHP फोरम पर लिखते हैं, ने बताया कि जब सुविधाओं और ऑन-रोड कीमत की तुलना की जाती है, तो कुछ मॉडलों में पेट्रोल और ईवी की कीमतें पहले से ही काफी करीब हैं। उन्होंने कहा कि रोड टैक्स में छूट जैसे कारक इस अंतर को और कम करते हैं।
मूल्य समानता प्राप्त करने के प्रमुख कारक हैं:
- स्थानीय बैटरी उत्पादन: पीएलआई योजनाओं के तहत बैटरी सेल और पैक का घरेलू विनिर्माण आयात पर निर्भरता कम कर रहा है।
- तकनीकी प्रगति: सोडियम-आयन जैसी नई बैटरी केमिस्ट्री और बेहतर विनिर्माण प्रक्रियाएं लागत को और कम कर रही हैं।
- मात्रा का पैमाना: जैसे-जैसे ईवी का उत्पादन बढ़ेगा, प्रति यूनिट लागत स्वाभाविक रूप से कम हो जाएगी।
लोगों पर प्रभाव
यह घोषणा आम भारतीय उपभोक्ता के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। दिल्ली की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, रिया शर्मा, जिन्होंने पिछले साल एक ईवी खरीदी थी, अपना अनुभव साझा करती हैं:
“मैं पहले पेट्रोल पर हर महीने लगभग ₹8,000 खर्च करती थी, लेकिन अब मेरा बिजली का बिल घर पर चार्ज करने पर भी केवल ₹1,000-₹1,200 ही बढ़ता है।14 अग्रिम लागत अधिक थी, लेकिन मासिक बचत बहुत बड़ी है।”
कीमतें बराबर होने से, रिया जैसे और भी कई उपभोक्ता ईवी खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे न केवल उनके मासिक बजट में बचत होगी, बल्कि शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी।
आगे क्या देखना है
आने वाले 4-6 महीने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होंगे।15 निम्नलिखित पहलुओं पर नजर रहेगी:
- नई ईवी लॉन्च: क्या प्रमुख वाहन निर्माता इस मूल्य बिंदु पर नए, अधिक किफायती मॉडल पेश करते हैं।
- बैटरी की कीमतें: क्या बैटरी की कीमतों में गिरावट की मौजूदा प्रवृत्ति जारी रहती है।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: मूल्य समानता के साथ-साथ, चार्जिंग स्टेशनों का एक मजबूत नेटवर्क ईवी को अपनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा। सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा रही है।
- नीतिगत निरंतरता: FAME और PLI जैसी योजनाओं की निरंतरता और विस्तार उद्योग के विश्वास के लिए आवश्यक होगा।16
निष्कर्ष
नितिन गडकरी की घोषणा सिर्फ एक बयान नहीं है, बल्कि भारत के स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य की ओर एक साहसिक कदम का संकेत है। यदि EV Price Parity की यह समय-सीमा हासिल कर ली जाती है, तो यह न केवल भारत के ऑटोमोबाइल बाजार को हमेशा के लिए बदल देगा, बल्कि 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहन पैठ के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी एक बड़ी छलांग होगी। यह कदम भारत को न केवल एक प्रमुख ऑटोमोबाइल बाजार के रूप में स्थापित करेगा, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा में एक वैश्विक नेता के रूप में भी स्थापित करेगा।