प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को धन्यवाद दिया है, जिन्होंने सोमवार को फोन करके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अलास्का में हुई अपनी महत्वपूर्ण बैठक की जानकारी साझा की। पुतिन ने मोदी को अलास्का शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें बताईं, जो यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से आयोजित हुआ था। इस फोन वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराया।
पुतिन का यह फोन कॉल अलास्का शिखर सम्मेलन के तीन दिन बाद आया, जहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर व्यापक चर्चा हुई थी। हालांकि इस बैठक में कोई युद्धविराम समझौता नहीं हो सका था, लेकिन दोनों नेताओं के बीच महत्वपूर्ण बातचीत हुई थी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन को उनके फोन कॉल और अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी हाल की बैठक की जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद”। उन्होंने आगे कहा कि “भारत ने लगातार यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है और इस संबंध में सभी प्रयासों का समर्थन करता है।”
भारत की विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की रणनीति इस फोन वार्ता में स्पष्ट रूप से दिखाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को अपना “मित्र” कहकर संबोधित किया, जो दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय रिश्तों को दर्शाता है। यह इस बात का भी संकेत है कि अमेरिका से दबाव के बावजूद भी नई दिल्ली और मास्को के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं।
अलास्का शिखर सम्मेलन 15-16 अगस्त 2025 को आयोजित हुआ था, जिसका मुख्य उद्देश्य यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा करना था। इस बैठक को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा बहुत महत्व दिया गया था, क्योंकि यह ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन के साथ उनकी पहली प्रमुख बैठक थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने पहले भी अलास्का शिखर सम्मेलन का स्वागत किया था और कहा था कि “भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में शिखर बैठक का स्वागत करता है”। इससे साफ पता चलता है कि भारत शांति प्रक्रिया में सभी सकारात्मक पहलकदमियों का समर्थन करता है।
रूस और भारत के बीच ऐतिहासिक मित्रता के संबंध रहे हैं, जो सोवियत काल से चले आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में व्यापक सहयोग है। यूक्रेन संघर्ष के दौरान भी भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखी है और सभी पक्षों के साथ संवाद जारी रखा है।
पुतिन और मोदी के बीच नियमित फोन वार्ता होती रहती है, जिसमें विभिन्न द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होती है। अलास्का की इस वार्ता से पहले भी 11 अगस्त को दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। यह दिखाता है कि दोनों देश महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं पर एक-दूसरे को अवगत कराते रहते हैं।
वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति में भारत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरफ जहाँ भारत अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी तरफ रूस के साथ भी पारंपरिक मित्रता बनाए रखे हुए है। इस संतुलनकारी नीति के कारण भारत विभिन्न पक्षों के बीच पुल का काम कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा कि वे “आने वाले दिनों में निरंतर संवाद की प्रतीक्षा कर रहे हैं”। यह दर्शाता है कि भविष्य में भी दोनों नेताओं के बीच नियमित संपर्क बना रहेगा और वे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर एक-दूसरे से सलाह-मशविरा करते रहेंगे।
यूक्रेन संघर्ष पर भारत का स्टैंड शुरू से ही स्पष्ट रहा है। भारत ने हमेशा कूटनीति और संवाद के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने यही स्थिति अपनाई है और युद्ध की निंदा करते हुए शांति की अपील की है।
इस फोन वार्ता का समय भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान में अमेरिका और रूस के बीच तनाव चरम पर है। ऐसी स्थिति में भारत जैसे देश की मध्यस्थता की भूमिका और भी अहम हो जाती है। भारत के पास दोनों पक्षों के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए वह शांति प्रक्रिया में सकारात्मक योगदान दे सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यूक्रेन संघर्ष के शीघ्र समाधान की उम्मीद कर रहा है। ऐसे में ट्रंप-पुतिन बैठक और उसके बाद पुतिन द्वारा मोदी को जानकारी देना एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। यह दिखाता है कि सभी प्रमुख शक्तियाँ इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए गंभीर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यह बातचीत भारत-रूस संबंधों की मजबूती को दर्शाती है। दोनों नेता न केवल द्विपक्षीय मुद्दों पर बल्कि वैश्विक चुनौतियों पर भी एक-दूसरे से सलाह लेते रहते हैं। यह दोनों देशों के बीच विश्वास और पारस्परिक सम्मान का प्रतीक है।