पंजाब में भीषण बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार ने 27 अगस्त से 30 अगस्त तक सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया है। रंजीत सागर और भाखड़ा बांधों से छोड़े गए पानी तथा सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में बढ़ते जल स्तर के कारण उत्पन्न बाढ़ की गंभीर स्थिति ने पूरे राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर, लुधियाना और जालंधर समेत कई जिलों के शैक्षणिक संस्थान इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गए हैं।

शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, वर्तमान में लगभग 15 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जहां सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। इन इलाकों में पानी का स्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंच गया है।

बांधों से जल निकासी की स्थिति राज्य के जल संसाधन विभाग के अनुसार काफी गंभीर है। रंजीत सागर बांध से प्रति सेकंड 70,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि भाखड़ा बांध से 50,000 क्यूसेक पानी की निकासी हो रही है। इस भारी जल निकासी के कारण डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा और भी बढ़ गया है। सतलुज नदी का जल स्तर पिछले 20 सालों के रिकॉर्ड से कहीं ज्यादा है।

मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 72 घंटों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश हुई है। हरिके, फिरोजपुर और कपूरथला जिलों में 200 मिलीमीटर से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में हुई तेज बारिश का पानी भी पंजाब की नदियों में आ रहा है, जिससे स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है।

प्रभावित जिलों में शैक्षणिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हैं। पठानकोट जिले के 500 से अधिक स्कूल इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि गुरदासपुर में 350 शैक्षणिक संस्थानों में पानी भर गया है। होशियारपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में स्थित स्कूलों तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है क्योंकि अधिकांश सड़कें पानी में डूब गई हैं। लुधियाना और जालंधर के कई स्कूलों में भी पानी घुस गया है।

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में राहत और बचाव कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव अभियान चला रही हैं। अब तक 2,500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। हेलिकॉप्टर की मदद से भी लोगों को निकाला जा रहा है, खासकर उन क्षेत्रों से जहां सड़क मार्ग से पहुंचना संभव नहीं है।

स्कूली छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की दिशा में भी विचार किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, यदि स्थिति में सुधार नहीं होता तो ऑनलाइन क्लासेस का विकल्प अपनाया जा सकता है। हालांकि, बिजली और इंटरनेट की समस्या के कारण यह चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित है और टेलीकॉम टावर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।

राज्य के कृषि क्षेत्र पर भी इस बाढ़ का गहरा प्रभाव पड़ा है। धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसान परेशान हैं। अनुमानित रूप से 2 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। मक्का और कपास की फसल भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। कृषि विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक पानी नहीं हटा तो नुकसान और भी बढ़ सकता है।

परिवहन व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। दिल्ली-जालंधर हाईवे के कई हिस्से पानी में डूब गए हैं, जिससे यातायात बाधित है। रेल सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं – जालंधर-पठानकोट रेल मार्ग पर कई ट्रेनें रद्द या विलंबित हैं। अमृतसर हवाई अड्डे पर भी उड़ानों में देरी हो रही है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इस आपदा का असर दिख रहा है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पानी के साथ सीवेज मिश्रित होने से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने हैजा, टाइफाइड और डेंगू जैसी बीमारियों को लेकर अलर्ट जारी किया है। मेडिकल टीमों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में भेजा गया है और अस्थायी स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं।

केंद्र सरकार से भी सहायता की अपील की गई है। राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया है और अतिरिक्त संसाधनों की मांग की है। प्रधानमंत्री राहत कोष से तत्काल सहायता की आवश्यकता बताई गई है। केंद्रीय जल आयोग भी स्थिति की निरंतर निगरानी कर रहा है।

पिछले दशक में यह पंजाब में आई सबसे भीषण बाढ़ है। 2019 में भी इसी तरह की स्थिति आई थी, लेकिन वर्तमान बाढ़ उससे कहीं अधिक विनाशकारी है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, क्लाइमेट चेंज के कारण इस तरह की चरम मौसमी घटनाएं बढ़ रही हैं। राज्य को भविष्य में ऐसी आपदाओं के लिए बेहतर तैयारी करनी होगी।

वर्तमान में मुख्य चुनौती पानी निकासी की है। ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह फेल हो गया है और पंपिंग स्टेशन भी काम नहीं कर रहे। सरकार ने अतिरिक्त पंप लगाने और पानी निकासी तेज करने के लिए आपातकालीन कदम उठाए हैं। अगले 48 घंटे इस संकट के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

इस बाढ़ की स्थिति ने पंजाब की शिक्षा व्यवस्था को गंभीर चुनौती दे दी है। 30 अगस्त के बाद स्कूल खोलने का फैसला मौसम और पानी की स्थिति को देखते हुए लिया जाएगा। राज्य सरकार का मुख्य फोकस अभी छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा पर है, जो सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है।

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