दिल्ली के लाल किला इलाके में सोमवार (10 नवंबर) को हुए भयंकर कार बम धमाके की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने संभाल ली है। इस धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई है। जांच में खुलासा हुआ है कि यह धमाका फरीदाबाद में 2900 किलो विस्फोटक के साथ पकड़े गए ‘व्हाइट-कॉलर’ टेरर मॉड्यूल से जुड़ा था। सूत्रों के मुताबिक, मॉड्यूल के एक सदस्य, डॉ. उमर नबी ने, अपने साथियों की गिरफ्तारी से घबराकर इस ‘कार बम’ (VBIED) में समय से पहले विस्फोट कर दिया।
सबसे भयावह चिंता यह है कि 3200 किलो की कुल खेप में से 300 किलो विस्फोटक (Missing Explosives India) अभी भी लापता है, जिसकी तलाश में देशव्यापी अलर्ट जारी है।
मुख्य तथ्य: 13 नवंबर तक का अपडेट
- लाल किला ब्लास्ट (10 नवंबर): सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार (Hyundai i20) में हुए विस्फोट में 12 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल।
- फिदायीन की पहचान: कार चलाने वाले संदिग्ध की पहचान पुलवामा निवासी डॉ. उमर उन नबी के रूप में हुई है। उसकी मां के डीएनए (DNA) से मिलान के बाद इसकी पुष्टि हुई है।
- NIA ने संभाली जांच: गृह मंत्रालय के आदेश के बाद, इस आतंकी घटना की जांच आधिकारिक तौर पर एनआईए (NIA) को सौंप दी गई है।
- 300 किलो अभी भी लापता: फरीदाबाद और अन्य जगहों से 2900 किलो विस्फोटक (अमोनियम नाइट्रेट) बरामद होने के बावजूद, कुल 3200 किलो की खेप का 300 किलो हिस्सा अभी भी गायब है।
- नई गिरफ्तारी: फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर से एक मौलवी (इमाम) को भी गिरफ्तार किया गया है, जिस पर मॉड्यूल को लॉजिस्टिक्स सहायता देने का शक है।
- तस्करी का रूट: जांच से पता चला है कि यह विस्फोटक बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते भारत लाया गया था, जिसे कथित तौर पर एक फर्टिलाइजर कंपनी से चुराया गया था।
लाल किला धमाका: जब घबराहट बनी 12 लोगों की मौत का कारण
सोमवार, 10 नवंबर की शाम। दिल्ली का व्यस्त लाल किला इलाका। शाम लगभग 7 बजे के करीब एक जोरदार धमाके ने पूरे इलाके को दहला दिया। एक सफेद i20 कार के परखच्चे उड़ गए और आस-पास की कई गाड़ियां और इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। इस भयावह घटना में 12 निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
पहले इसे एक सामान्य कार ब्लास्ट समझा गया, लेकिन जैसे ही जांच आगे बढ़ी, इसके तार सीधे तौर पर जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस द्वारा हाल ही में भंडाफोड़ किए गए ‘व्हाइट-कॉलर’ टेरर मॉड्यूल से जुड़ गए।
जांच का मुख्य बिंदु:
जांचकर्ताओं का मानना है कि यह एक सुनियोजित हमला नहीं था, बल्कि “घबराहट में की गई कार्रवाई” (a panic reaction) थी।
- मुख्य संदिग्ध: कार डॉ. उमर उन नबी चला रहा था, जो पुलवामा का रहने वाला था और फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले डॉ. मुजम्मिल गनई का करीबी था।
- घबराहट का कारण: 8 से 10 नवंबर के बीच, जब J&K पुलिस ने डॉ. आदिल राठेर और डॉ. मुजम्मिल गनई को गिरफ्तार किया और फरीदाबाद के धौज स्थित किराए के मकान से 360 किलो और बाद में कुल 2900 किलो विस्फोटक बरामद किया, तब डॉ. उमर घबरा गया।
- समय से पहले विस्फोट: सूत्रों का मानना है कि डॉ. उमर को लगा कि अब वह भी पकड़ा जाएगा। वह इस कार बम (VBIED – Vehicle-Borne Improvised Explosive Device) को कहीं और ले जाकर छिपाने या नष्ट करने की फिराक में था, लेकिन घबराहट में या गलती से यह विस्फोट समय से पहले ही हो गया।
- मूल योजना: एजेंसियों को शक है कि इस मॉड्यूल की मूल योजना 6 दिसंबर को दिल्ली में एक बड़ा, सिलसिलेवार हमला करने की थी।
NIA की एंट्री और ‘मौलवी’ की गिरफ्तारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिसमें एक अंतर-राज्यीय आतंकी नेटवर्क, पढ़े-लिखे पेशेवर (डॉक्टर), और भारी मात्रा में विस्फोटक शामिल हैं, गृह मंत्रालय ने 12 नवंबर की देर रात जांच एनआईए को सौंप दी।
एनआईए अब इस पूरे नेटवर्क की परतों को खंगाल रही है। 13 नवंबर की सुबह तक की गई कार्रवाई में:
- डीएनए पुष्टि: लाल किला ब्लास्ट साइट से मिले अवशेषों का डीएनए डॉ. उमर नबी की मां से लिए गए सैंपल से मैच कर गया है, जिससे यह पुष्टि हो गई है कि कार में मौजूद व्यक्ति डॉ. उमर ही था।
- मौलवी गिरफ्तार: फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर में रहने वाले एक मौलवी, इस्ताक को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि उसी ने डॉ. मुजम्मिल को विस्फोटक छिपाने के लिए कमरा किराए पर दिलाया था।
- तुर्किये कनेक्शन: जांच में इस मॉड्यूल का ‘तुर्किये कनेक्शन’ भी सामने आया है। गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल गनई ने इस साल जनवरी में लाल किला क्षेत्र की कई बार रेकी (Reconnaissance) की थी।
आधिकारिक पक्ष (परिप्रेक्ष्य):
फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सतेंद्र कुमार गुप्ता ने पहले ही पुष्टि की थी कि फरीदाबाद से बरामद पदार्थ “अमोनियम नाइट्रेट” है। एनआईए अब यह जांच कर रही है कि लाल किला ब्लास्ट में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक क्या उसी खेप का हिस्सा था और क्या यह मिलिट्री-ग्रेड RDX या PETN के साथ मिलाया गया था।
सबसे बड़ा सवाल: 300 किलो विस्फोटक अभी भी कहां है? (Missing Explosives India)
लाल किला ब्लास्ट में 12 लोगों की दर्दनाक मौत के बावजूद, देश पर मंडरा रहा मुख्य खतरा अभी टला नहीं है। 13 नवंबर की सुबह की ताजा रिपोर्टों ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस मॉड्यूल ने भारत में कुल 3,200 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की तस्करी की थी।
विस्फोटक का हिसाब:
- कुल खेप: 3,200 किलोग्राम (अमोनियम नाइट्रेट)
- कुल बरामद (12 नवंबर तक): 2,900 किलोग्राम (फरीदाबाद और अन्य ठिकानों से)
- लाल किला ब्लास्ट में प्रयुक्त: अनुमानित 30-50 किलोग्राम (जांच जारी)
- अभी भी लापता: लगभग 300 किलोग्राम
यह 300 किलो ‘Missing Explosives India’ विस्फोटक अब एनआईए और देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यह स्पष्ट है कि यह विस्फोटक डॉ. उमर की कार में नहीं था और अभी भी मॉड्यूल के स्लीपर सेल के पास कहीं छिपा हो सकता है।
तस्करी का नया रूट:
आज की जांच में यह भी पता चला है कि यह विस्फोटक किसी फर्टिलाइजर कंपनी से चुराया गया था और इसे पारंपरिक J&K रूट से नहीं, बल्कि बांग्लादेश से नेपाल के रास्ते भारत में तस्करी कर लाया गया था।
आगे क्या: तीन मोर्चों पर एनआईए की नजर
एनआईए की जांच अब तीन मुख्य मोर्चों पर केंद्रित है:
- 300 किलो की खोज: देश भर में, विशेषकर दिल्ली-एनसीआर और यूपी में, उन छह संभावित ठिकानों पर छापेमारी तेज कर दी गई है, जहां इस 300 किलो विस्फोटक के छिपे होने का अंदेशा है।
- नेटवर्क का पर्दाफाश: इस ‘व्हाइट-कॉलर’ मॉड्यूल में और कितने डॉक्टर, प्रोफेसर और छात्र शामिल हैं, इसका पता लगाना।
- विदेशी हैंडलर: तुर्किये और पाकिस्तान में बैठे उन आकाओं की पहचान करना, जो इस पूरे नेटवर्क को फंड और निर्देश दे रहे थे।
निष्कर्ष:
लाल किला ब्लास्ट ने यह साबित कर दिया है कि फरीदाबाद में पकड़े गए डॉक्टर केवल लॉजिस्टिक सपोर्ट नहीं थे, बल्कि वे एक सक्रिय आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा थे। 2900 किलो की बरामदगी एक बड़ी सफलता थी, लेकिन 12 लोगों की मौत एक दुखद विफलता है। जब तक लापता 300 किलो विस्फोटक बरामद नहीं हो जाता, तब तक यह ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंक का खतरा देश पर मंडराता रहेगा।
