व्हाइट कॉलर’ टेरर: डॉक्टर, AK-47 और 2900 किलो विस्फोटक! महिला विंग की भर्ती का जिम्मा?

दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए भीषण कार धमाके की जांच ने एक अभूतपूर्व और भयावह मोड़ ले लिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसियों ने हरियाणा के फरीदाबाद से एक…

महत्वपूर्ण पोस्ट साझा करें

दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए भीषण कार धमाके की जांच ने एक अभूतपूर्व और भयावह मोड़ ले लिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसियों ने हरियाणा के फरीदाबाद से एक पढ़ी-लिखी महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया है, जिस पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JEM) के नए महिला विंग (Jaish women’s wing) की ‘इंडिया हेड’ होने का आरोप है।

सूत्रों के अनुसार, लखनऊ की रहने वाली डॉ. शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी, जैश की ‘जमात-उल-मोमिनात’ नामक महिला शाखा के खिलाफ भारत में पहली बड़ी कार्रवाई है। यह गिरफ्तारी उस ‘व्हाइट कॉलर’ टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़ का हिस्सा है, जिसके तार सीधे तौर पर दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ रहे हैं। इस मॉड्यूल से अब तक 2,900 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक सामग्री और स्वचालित हथियार बरामद किए जा चुके हैं।

🚨 मुख्य तथ्य (Quick Take)

  • बड़ी गिरफ्तारी: डॉ. शाहीन शाहिद को फरीदाबाद से J&K पुलिस और हरियाणा पुलिस के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया।
  • नया आतंकी विंग: शाहीन पर जैश की महिला विंग ‘जमात-उल-मोमिनात’ की इंडिया हेड होने का संदेह है, जिसका काम भारत में पढ़ी-लिखी महिलाओं को कट्टरपंथी बनाना और भर्ती करना था। 
  • भारी मात्रा में विस्फोटक: फरीदाबाद मॉड्यूल से 2,900 किलोग्राम से अधिक अमोनियम नाइट्रेट (विस्फोटक बनाने में प्रयुक्त) जब्त किया गया। 
  • हथियारों का जखीरा: डॉ. शाहीन की मारुति स्विफ्ट कार से एक AK-47 (क्रिंकोव असॉल्ट राइफल) और जिंदा कारतूस बरामद हुए। 
  • दिल्ली ब्लास्ट कनेक्शन: यह मॉड्यूल दिल्ली के लाल किला के पास हुए i20 कार ब्लास्ट से सीधे तौर पर जुड़ा है, जिसमें 12 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। 

क्या है पूरा मामला: दिल्ली ब्लास्ट से फरीदाबाद तक

सोमवार, 10 नवंबर 2025 की शाम को दिल्ली का दिल दहल गया, जब लाल किले के पास एक हुंडई i20 कार में भीषण विस्फोट हुआ। इस धमाके में अब तक 12 लोगों की जान जा चुकी है और कई गंभीर रूप से घायल हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तुरंत UAPA की धारा 16 (आतंकी कृत्य) और 18 (आतंकी साजिश) के तहत मामला दर्ज किया।

जांच की सुई तब घूमी जब ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई कार (HR 26 Y 7624) के मालिक का पता लगाया गया। जांच एजेंसियों ने पाया कि यह कार कई बार बेची गई थी और इसका अंतिम ज्ञात मालिक पुलवामा का रहने वाला तारिक नामक व्यक्ति था, जिसे हिरासत में ले लिया गया है। 

तारिक और अन्य खुफिया इनपुट के आधार पर, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा और यूपी में फैले एक बड़े आतंकी नेटवर्क पर शिकंजा कसना शुरू किया।

‘व्हाइट कॉलर’ आतंकवाद: डॉक्टरों का नेटवर्क

यह जांच फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी तक पहुंची, जहां से डॉ. मुजम्मिल शकील (असिस्टेंट प्रोफेसर) और डॉ. आदिल अहमद राथेर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। इन पर जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGUH) से जुड़े होने का आरोप है। 

लेकिन सबसे चौंकाने वाली कड़ी सोमवार देर रात जुड़ी, जब डॉ. मुजम्मिल की सहयोगी और लखनऊ निवासी डॉ. शाहीन शाहिद को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया। J&K पुलिस ने एक बयान में इसे “व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम” का भंडाफोड़ बताया है, जिसमें कट्टरपंथी पेशेवर और छात्र शामिल हैं जो विदेशी आकाओं के संपर्क में थे। 

जांच से पता चला कि डॉ. शाहीन ने कथित तौर पर अपनी मारुति स्विफ्ट कार में डॉ. मुजम्मिल को एक AK-47 राइफल और गोला-बारूद रखने की अनुमति दी थी।

आंकड़ों में फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल

इस मॉड्यूल से बरामदगी का पैमाना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हाल के वर्षों में सबसे बड़ा है:

  1. विस्फोटक:
  • 2,900 किलोग्राम: इंडिया टुडे और हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, फरीदाबाद के धौज इलाके में डॉ. मुजम्मिल द्वारा किराए पर लिए गए एक कमरे से लगभग 2,900 किलोग्राम संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया गया। 
  • 360 किलोग्राम: वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब्त सामग्री की मात्रा 360 किलोग्राम बताई है। 
  • नोट: विस्फोटक की सटीक मात्रा पर रिपोर्टों में भिन्नता है, लेकिन दोनों आंकड़े एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं।
  1. हथियार (डॉ. शाहीन की कार से):
  • 1 असॉल्ट राइफल (क्रिंकोव AK-47)
  • 3 मैगजीन
  • 83 जिंदा कारतूस 
  1. अन्य सामग्री:
  • 20 टाइमर डिवाइस
  • 24 रिमोट कंट्रोल
  • वॉकी-टॉकी सेट और बैटरी
  • 12 सूटकेस (जिनमें विस्फोटक भरा था)

फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सतेंदर कुमार गुप्ता ने पुष्टि की है कि J&K और हरियाणा पुलिस के संयुक्त प्रयास से एक “बड़े आतंकी मॉड्यूल” का भंडाफोड़ किया गया है। 

पहली बार भारत में ‘जमात-उल-मोमिनात’: क्या है यह नया खतरा?

डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी सिर्फ एक आतंकी लॉजिस्टिक्स प्रदाता के तौर पर नहीं है। खुफिया सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्टें कहीं ज्यादा गंभीर तस्वीर पेश करती हैं।

“दावा किया जा रहा कि लेडी डॉक्टर शाहीन जैश की महिला विंग जमात उल मोमीनात की इंडिया हेड का जिम्मा संभाल रही थी। उसका टारगेट ही यही था कि भारत में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा आतंकी ग्रुप में जोड़ा जाए।”

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट (11 नवंबर, 2025)

यह खुफिया एजेंसियों के लिए एक बड़ा ‘रेड फ्लैग’ है। ‘जमात-उल-मोमिनात’ का जिक्र पहली बार लगभग एक महीने पहले (अक्टूबर 2025) खुफिया रिपोर्टों में आया था।

वैश्विक नेतृत्व: मसूद अजहर की बहन

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी महिला विंग ‘जमात-उल-मोमिनात’ का गठन पाकिस्तान में किया था। 

  • वैश्विक प्रमुख: इसका नेतृत्व जैश सरगना मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर (या सईद अजहर) को सौंपा गया है।
  • उद्देश्य: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (मई 2025) जैसे भारतीय अभियानों में जैश के बुनियादी ढांचे को हुए भारी नुकसान के बाद, संगठन ने रणनीति बदली है। इस विंग का मकसद महिलाओं को कट्टरपंथी बनाना, धन जुटाना और संभावित रूप से महिला आत्मघाती दस्तों को प्रशिक्षित करना है। 
  • भर्ती: यह विंग पाकिस्तान के बहावलपुर और कराची में सक्रिय रूप से गरीब महिलाओं और आतंकी कमांडरों के परिवार की महिलाओं की भर्ती कर रहा था।

डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी यह साबित करती है कि यह केवल पाकिस्तान तक सीमित योजना नहीं थी। जैश ने भारत के भीतर, विशेष रूप से यूपी और हरियाणा जैसे राज्यों में, इस विंग का एक पदानुक्रम (hierarchy) स्थापित कर लिया था, जिसकी कमान डॉ. शाहीन के हाथ में थी।

विश्लेषण: ‘पढ़ी-लिखी’ महिला आतंकी क्यों?

एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह एक खतरनाक नया ट्रेंड है। एक महिला, विशेष रूप से एक डॉक्टर जैसी ‘व्हाइट कॉलर’ पेशेवर, संदेह के घेरे में कम आती है। वे आसानी से यात्रा कर सकती हैं, सुरक्षित ठिकानों (सेफ हाउस) का प्रबंधन कर सकती हैं और शहरी क्षेत्रों में घुल-मिल सकती हैं।”

डॉ. शाहीन का प्रोफाइल – लखनऊ की शिक्षित डॉक्टर – जैश की बदली हुई रणनीति को दर्शाता है। वे अब केवल मदरसों पर ही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों और पेशेवर संस्थानों पर भी नजर गड़ाए हुए हैं। इनका इस्तेमाल स्लीपर सेल को सक्रिय करने, लॉजिस्टिक्स (जैसे हथियार और विस्फोटक छिपाने) और यहां तक कि ‘लोन वुल्फ’ हमलों को अंजाम देने के लिए भी किया जा सकता है।

आगे क्या?

डॉ. शाहीन और मॉड्यूल के अन्य सदस्यों से UAPA के तहत कड़ी पूछताछ जारी है। एजेंसियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह पता लगाना है कि:

  1. ‘जमात-उल-मोमिनात’ ने भारत में कितनी महिलाओं की भर्ती की है?
  2. क्या यह नेटवर्क यूपी, J&K और हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों में भी फैला है?
  3. क्या दिल्ली ब्लास्ट जैसे और भी हमलों की योजना थी, जिनके लिए यह 2900+ किलो विस्फोटक जमा किया गया था?

डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी निस्संदेह एक बड़ी कामयाबी है, लेकिन इसने भारत की आंतरिक सुरक्षा के सामने एक नया ‘पैंडोरा बॉक्स’ खोल दिया है – शिक्षित, पेशेवर महिला आतंकवादियों का एक संगठित नेटवर्क।

About Author

Leave a Comment