अयोध्या में इस दीवाली पर एक अविस्मरणीय इतिहास रचा गया है। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी अयोध्या ने 26,17,215 दीयों को एक साथ जलाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। यह रिकॉर्ड दीवाली के शुभ अवसर पर सरयू नदी के तट पर स्थापित किया गया, जहां हजारों स्वयंसेवकों और श्रद्धालुओं ने मिलकर इस अभूतपूर्व उपलब्धि को संभव बनाया।
इस भव्य आयोजन का नेतृत्व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की और भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर रचे गए इस इतिहास को देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की आधिकारिक टीम ने इस उपलब्धि को प्रमाणित किया और अयोध्या को यह गौरवशाली खिताब प्रदान किया।
सरयू नदी के किनारे फैले विशाल क्षेत्र में लाखों दीयों की चमक से पूरा माहौल दिव्य हो उठा था। स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों द्वारा तैयार किए गए मिट्टी के दीयों को व्यवस्थित रूप से जमाने का काम कई दिनों से चल रहा था। इस महान कार्य में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ देश भर से आए श्रद्धालुओं ने अपना योगदान दिया।
तकनीकी तैयारियों में महीनों का समय लगा था। विशेषज्ञों की टीम ने दीयों की सही गिनती और उनकी व्यवस्था के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया। ड्रोन कैमरों और उन्नत गिनती प्रणाली के माध्यम से सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक दीया सही स्थान पर हो और गिनीज रिकॉर्ड की सभी शर्तों को पूरा करे।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों ने इस उपलब्धि की पुष्टि करते हुए बताया कि यह अब तक का सबसे बड़ा दीया प्रज्वलन कार्यक्रम है। पिछला रिकॉर्ड भी अयोध्या के नाम था, जो 2019 में 6 लाख दीयों के साथ बनाया गया था। इस बार के आयोजन ने उस रिकॉर्ड को कई गुना पार कर दिया है।
राम मंदिर के निर्माण के बाद यह अयोध्या के लिए एक और गौरवशाली उपलब्धि है। भगवान राम की जन्मभूमि पर मनाई गई इस दीवाली ने न केवल धार्मिक महत्व बढ़ाया है बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक विकास में भी नई दिशा दी है। देश-विदेश से आए पर्यटकों ने इस अद्भुत नजारे को देखा और अयोध्या की महिमा का गुणगान किया।
इस कार्यक्रम की तैयारी में स्थानीय समुदाय की भागीदारी अत्यधिक सराहनीय रही। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों से लेकर तेल विक्रेताओं तक, सभी ने अपना योगदान दिया। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ने दीयों की तैयारी में मुख्य भूमिका निभाई और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली।
पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी यह आयोजन उल्लेखनीय रहा। सभी दीयों में शुद्ध सरसों का तेल और कपास की बत्ती का उपयोग किया गया। प्लास्टिक या अन्य हानिकारक सामग्री का बिल्कुल प्रयोग नहीं किया गया। कार्यक्रम समाप्ति के बाद सफाई का विशेष प्रबंध किया गया और सरयू नदी की पवित्रता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और अग्निशमन विभाग की विशेष तैनाती की गई थी। चिकित्सा सुविधाओं के लिए कई एम्बुलेंस और डॉक्टरों की टीम मौजूद रही। भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेडिंग और वालंटियर्स की व्यापक व्यवस्था की गई थी।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इस ऐतिहासिक घटना को व्यापक कवरेज दिया। सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने इस खुशी में भागीदारी की और अयोध्या की इस उपलब्धि की सराहना की। विदेशी पर्यटकों और मीडिया प्रतिनिधियों ने भारतीय संस्कृति और परंपरा की समृद्धता को देखकर प्रशंसा की।
यह रिकॉर्ड न केवल अयोध्या बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और भारत के लिए गर्व की बात है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और भारतीय त्योहारों की वैश्विक पहचान बनाने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले वर्षों में यह आयोजन अयोध्या को दुनिया के नक्शे पर एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।
स्थानीय व्यापारियों और होटल संचालकों के लिए यह एक बड़ा अवसर साबित हुआ। हजारों पर्यटकों के आने से स्थानीय अर्थव्यवस्था में तेजी आई और रोजगार के नए अवसर सृजित हुए। हस्तशिल्प और स्मृति चिह्नों की बिक्री में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
इस महान उपलब्धि के साथ अयोध्या ने साबित कर दिया है कि आस्था और आधुनिकता का संगम कितना शक्तिशाली हो सकता है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की यह यात्रा न केवल एक संख्या है बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवंतता और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह प्रेरणास्रोत बनेगा और दिखाएगा कि सामूहिक प्रयासों से कैसे असंभव लगने वाले लक्ष्य भी हासिल किए जा सकते हैं।
