भारतीय त्योहारों में भाई दूज का विशेष स्थान है। यह पावन पर्व दीपावली के बाद आता है। इस वर्ष 2025 में भाई दूज 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यह त्योहार आता है। इसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके अलावा, वे उनकी खुशहाली के लिए भी प्रार्थना करती हैं।
भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
धार्मिक पंचांग के अनुसार, इस दिन का शुभ मुहूर्त निर्धारित है। सबसे पहले, तिलक का समय सुबह 6:15 बजे से शुरू होगा। फिर, यह दोपहर 12:30 बजे तक चलेगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों के अनुसार मुख्य मुहूर्त दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक है।
दीपावली के दो दिन बाद यह त्योहार आता है। वास्तव में, यह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, पूरे भारत में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत में इसे भाई दूज कहते हैं। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र में भाऊ बीज के नाम से प्रसिद्ध है। वहीं, बंगाल में भाई फोंटा कहा जाता है। अंततः, नेपाल में भाई टीका के रूप में मनाया जाता है।
पारंपरिक पूजा विधि और रीति-रिवाज
इस दिन बहनें विशेष तैयारी करती हैं। सबसे पहले, वे अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं। फिर, उनकी आरती उतारती हैं। इसके बाद, मिठाई खिलाकर उपहार देती हैं। परिणामस्वरूप, भाई-बहन का रिश्ता और मजबूत होता है।
पौराणिक कथाएं और धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस त्योहार की दो मुख्य कथाएं हैं। पहली कथा भगवान कृष्ण से जुड़ी है। जब उन्होंने नरकासुर का वध किया था। तब, वापस लौटने पर सुभद्रा ने उनका स्वागत किया। उन्होंने तिलक लगाया और मिठाई खिलाई। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
दूसरी कथा यमराज से संबंधित है। एक बार वे अपनी बहन यमुना से मिलने गए। यमुना ने उनका तिलक लगाकर स्वागत किया। इसी कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।
त्योहारी तैयारियां और बाजार की स्थिति
त्योहार की तैयारियां कई दिन पहले शुरू होती हैं। सबसे पहले, बाजारों में रंग-बिरंगे तिलक दिखाई देते हैं। इसके साथ ही, राखी और मिठाइयों की भरमार होती है। इस वर्ष कोविड-19 की स्थिति बेहतर है। इसलिए, पारंपरिक तरीके से त्योहार मनाने की उम्मीद है।
व्यापारियों का कहना है कि मिठाई की मांग बढ़ी है। विशेष रूप से, गुजिया, खीर, लड्डू की मांग अधिक है। साथ ही, बर्फी की भी अच्छी बिक्री हो रही है।
आधुनिक समय में भाई दूज का स्वरूप
धार्मिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस दिन के अनुष्ठान का विशेष महत्व है। सुबह स्नान के बाद पूजा की जाती है। फिर, भाई के माथे पर चंदन या रोली का तिलक लगाया जाता है। इसके बाद, आरती उतारकर मिठाई खिलाई जाती है। बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
आधुनिक समय में इस त्योहार ने नया रूप लिया है। जो भाई-बहन दूर रहते हैं, वे वीडियो कॉल का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं साझा की जाती हैं। वहीं, ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां विशेष ऑफर लाती हैं।
विभिन्न राज्यों में मनाने के तरीके
अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को मनाने के तरीके भिन्न हैं। बंगाल में भाई फोंटा के दिन दूर्वा घास का उपयोग होता है। साथ ही, चंदन का लेप बनाकर तिलक लगाया जाता है। महाराष्ट्र में भाऊ बीज के दिन खास पूरी बनाई जाती है। इसके अतिरिक्त, बासुंदी भी तैयार की जाती है।
दक्षिण भारत में इसे यम द्वितीया कहते हैं। वहां, यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है। परिणामस्वरूप, लोग पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं।
त्योहार का आर्थिक प्रभाव
त्योहार के आर्थिक पहलू को देखें तो महत्वपूर्ण बदलाव दिखता है। इस दिन मिठाई की बिक्री तेज होती है। वास्तव में, उपहार की मांग भी बढ़ जाती है। मिठाई की दुकानों का कारोबार तीन गुना बढ़ता है। इसके अलावा, ज्वेलरी की दुकानों में भीड़ होती है। क्योंकि भाई अपनी बहनों को सोने-चांदी के गहने देते हैं।
स्वास्थ्य और सामाजिक सुझाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सफाई का विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हैं। डॉ अनिता वर्मा के अनुसार, त्योहार के दौरान लोगों का आना-जाना बढ़ता है। इसलिए, हाथ धोना जरूरी है। साथ ही, मास्क पहनना भी आवश्यक है। मिठाई खरीदते समय साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
शिक्षाविदों का मानना है कि ये त्योहार पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाते हैं। डॉ प्रीति गुप्ता के अनुसार, व्यस्त जीवन में ये त्योहार परिवार को जोड़ते हैं। खासकर, भाई-बहन के प्रेम को बढ़ावा देते हैं।
पर्यावरण संरक्षण की चिंता
पर्यावरणविदों की चिंता प्लास्टिक के उपयोग को लेकर है। त्योहारों के दौरान कृत्रिम सामग्री का अधिक उपयोग होता है। इसलिए, वे पारंपरिक सामग्री के उपयोग का सुझाव देते हैं। कागज की पैकेजिंग बेहतर विकल्प है। साथ ही, मिट्टी के दीये भी उपयोगी हैं। अंततः, प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल श्रेष्ठ है।
सामुदायिक कार्यक्रम और सामाजिक पहल
भाई दूज 2025 के अवसर पर विभिन्न संस्थानें कार्यक्रम आयोजित करती हैं। महिला कल्याण संस्थाएं निराश्रित महिलाओं के लिए भोज का आयोजन करती हैं। इसके अलावा, कई संगठन अनाथ बच्चों के लिए कार्यक्रम रखते हैं। ताकि वे भी त्योहार की खुशी में शामिल हो सकें।
ज्योतिषीय महत्व और शुभता
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस वर्ष का भाई दूज विशेष है। गुरुवार के दिन पड़ने से धार्मिक महत्व बढ़ा है। ज्योतिषी पंडित सुरेश कुमार के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य का फल कई गुना मिलता है। भाई-बहन के रिश्ते में मधुरता आती है। परिणामस्वरूप, पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है।
व्यापारिक तैयारियां और बिक्री की उम्मीदें
त्योहार की तैयारी में व्यापारी आशावादी हैं। मिठाई व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बताते हैं कि अच्छी बिक्री की उम्मीद है। विशेष रूप से, काजू कतली की मांग बढ़ी है। इसके साथ ही, सोन पापड़ी और रसगुल्ला भी लोकप्रिय हैं। उपहार की दुकानों में कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक सामान की बिक्री तेज है।
इस प्रकार भाई दूज 2025 का पावन पर्व धार्मिक महत्व रखता है। साथ ही, यह सामाजिक और आर्थिक रूप से भी प्रभावशाली है। 23 अक्टूबर को मनाए जाने वाले इस त्योहार की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। अंततः, लाखों परिवार इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
