प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का शुभारंभ करके देश के हरित परिवहन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है । यह ऐतिहासिक पहल ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल यातायात को बढ़ावा देने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है । इस हाइड्रोजन ट्रेन के शुभारंभ के साथ भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो हाइड्रोजन संचालित रेल तकनीक का उपयोग कर रहे हैं ।
भारत की तकनीकी उपलब्धि
भारतीय रेलवे द्वारा विकसित यह हाइड्रोजन ट्रेन 1200 हॉर्स पावर की क्षमता के साथ दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन है । इसकी परीक्षण प्रक्रिया चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में सफलतापूर्वक पूरी की गई थी । रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे “भविष्य के लिए तैयार और टिकाऊ भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है । वहीं, यह ट्रेन 2638 यात्रियों की क्षमता रखती है और 110 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ सकती है ।
हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज योजना
इस पहल के तहत भारतीय रेलवे ने “हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज” योजना शुरू की है जिसके अंतर्गत 35 हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन किया जाएगा । प्रत्येक ट्रेन की लागत 80 करोड़ रुपये होगी जबकि रूट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 70 करोड़ रुपये का खर्च आएगा । फिलहाल, पहली हाइड्रोजन ट्रेन जींद-सोनीपत मार्ग पर हरियाणा में संचालित होगी । इसके अलावा, इस परियोजना की कुल लागत लगभग 136 करोड़ रुपये है ।
पर्यावरण अनुकूल तकनीक
हाइड्रोजन ट्रेन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूर्णतः प्रदूषण मुक्त है और केवल जल वाष्प का उत्सर्जन करती है । हालांकि, प्रत्येक पावर कार 220 किलो हाइड्रोजन को विशेष रूप से डिजाइन किए गए 350 बार दाब वाले सिलेंडरों में संग्रहीत करेगी । दूसरी ओर, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसमें दबाव राहत वाल्व, लीक डिटेक्शन सिस्टम और फ्लेम सेंसर जैसी कई सुरक्षा व्यवस्थाएं लगाई गई हैं । आखिरकार, यह तकनीक हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से बिजली बनाती है जो ट्रैक्शन मोटर्स को संचालित करती है ।
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति
इस उपलब्धि के साथ भारत जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद दुनिया का पांचवां देश बन गया है जो हाइड्रोजन संचालित ट्रेन तकनीक का उपयोग करता है । लेकिन, भारत की हाइड्रोजन ट्रेन अन्य देशों की तुलना में अधिक शक्तिशाली और लंबी है । इसके अलावा, रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) इस परियोजना के प्राथमिक डिजाइन, सत्यापन और परीक्षण का काम देख रहा है । वहीं, जींद में हाइड्रोजन स्टोरेज सुविधा की कुल क्षमता 3000 किलो होगी ।
सरकार की भविष्य की योजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना को “काशी के लोगों के लिए एक महान उपहार” बताया है और इसे भारत के विकसित और टिकाऊ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम करार दिया है । इसके अतिरिक्त, सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत 2035 तक नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग 65% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है । अब, भारतीय रेलवे मेंटेनेंस के उद्देश्य से पांच हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित टावर कारों का विकास भी कर रहा है, जिनकी प्रत्येक यूनिट की लागत 10 करोड़ रुपये होगी ।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
भारतीय रेलवे लंबे समय से स्वच्छ और हरित परिवहन की दिशा में काम कर रहा है। पहले से ही वंदे भारत श्रृंखला की ट्रेनें सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं और अब वंदे भारत 4.0 का विकास भी चल रहा है । हालांकि, हाइड्रोजन ट्रेन की परिचालन लागत अभी भी पारंपरिक ट्रेनों से अधिक है, लेकिन इसके पर्यावरणीय लाभ इसे भविष्य का ईंधन बनाते हैं । फिलहाल, जापान से प्राप्त होने वाले हाइड्रोजन की आपूर्ति के माध्यम से यह तकनीक और भी मजबूत बनेगी ।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वाराणसी में हाइड्रोजन ट्रेन का शुभारंभ भारत के हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश को वैश्विक स्तर पर स्वच्छ परिवहन तकनीक में अग्रणी बनाएगा ।
